बुध का वृश्चिक राशि में गोचर किसी व्यक्ति के संचार, व्यवहार, व्यवसाय और तर्क -विश्लेषण के तरीके में एक बड़ा बदलाव लाने वाला होता है. यह गोचर विभिन्न राशियों के लोगों के लिए कई सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम देने वाला हो सकता है. बुध का शुभ
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वैदिक ज्योतिष में, सूर्य को सभी ग्रहों में राजा का प्रतिनिधित्व प्राप्त है. सूर्य की स्थिति सभी ग्रहों के लिए नियंत्रक के रुप में होती है. सौर गणना द्वारा सौर मास का निर्धारण करती है. सूर्य का कन्या राशि गमन विशेष रुप से खास होता है.
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बुध ग्रह व्यक्ति के संचार कौशल, विचारशीलता, तर्क वितर्क, क्षमताओं और बुद्धि, वाणी का कारक है. इस कारन से बुध का राशि बदलाव जब भी होता है इन गुणों पर इसका असर अवश्य दिखाई देता है. बुध का कन्या राशि से तुला राशि में गोचर 10 अक्तूबर 2024 को
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मंगल का वृष राशि में प्रवेश 12 जुलाई 2024 को 18:58 के करीब हुआ. उसके बाद 26 अगस्त 2024 को मिथुन राशि में जाएंगे. मंगल शक्ति, साहस, सहनशक्ति, समर्पण, इच्छाशक्ति, कुछ भी करने की प्रेरणा होता है और किसी भी कार्य को पूरा करने की ऊर्जा है. मंगल
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17 अक्टूबर 2024 को सूर्य का तुला राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य का तुला राशि प्रवेश ज्योतिष शास्त्र अनुसार महत्वपूर्ण होता है. इस समय एक विशेषता यह होगी की सूर्य अपनी नीचस्थ राशि तुला में गोचर करेगा. सूर्य की स्थिति तुला में कमजोर मानी गई
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बुध ग्रह बौद्धिक गतिविधियों, संगती प्रभाव, तर्क वितर्क, भाषा बोली को प्रभावित करने वाला ग्रह है. बुध का गोचर जब किसी राशि में होता है तो यह बुध के गुणों को भी प्रभावित करने वाला समय होता है. बुध के राशि प्रवेश के साथ राशि के गुण धर्म बुध
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शनि की चाल में जब बदलाव होता है तो वक्री अवस्था का असर काफी चीजों को बदल देता है. शनि एक लम्बे समय तक मकर राशि में रहे ओर कुंभ में आए लेकिन वक्री होकर एक बार फिर से मकर में ही जाने वाले हैं. अब इस समय के दौरान जिन राशियों को शनि साढे़साति
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वैदिक ज्योतिष में, सूर्य को एक प्रमुख ग्रह माना जाता है और यह आत्मा-ऊर्जा का निर्माता बनता है. हमारी ऊर्जा किस तरह से काम करेगी किस ओर बढ़ेगी ये सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. 16 अगस्त 2025 को सिंह राशि में सूर्य प्रवेश करेगा. यह सरकार
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बुध का मिथुन राशि प्रवेश संचार हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि बुध इस समय अपनी स्वराशि में गोचर कर रहा होता है. बुध का प्रभाव यहां आकर विकसित होता है. बुद्धि के कारक बुध मिथुन में प्रवेश करने पर विचारों में गतिशीलता को देख पाते
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मंगल ग्रह मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, इच्छाओं, काम करने की तीव्रता, आक्रामक स्वभाव, क्रोध, लड़ने की क्षमता, सैनिक, खिलाड़ी आदि का प्रतिनिधित्व करता है. और मेष राशि जो राशि चक्र की पहली राशि है अग्नि तत्व से युक्त होती है तथा मंगल के
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28 जुलाई 2022 को बृहस्पति का मार्गी से वक्री अवस्था में बदलाव होगा. जिस प्रकार मार्गी बृहस्पति अनुकूलता को दर्शाता है वहीं गुरु का वक्रत्व अनुकूलता को दर्शाता है. वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति का गोचर काफी महत्व रखता है. गुरु का असर ज्ञान,
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सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र प्रवेश कई मायनों में बदलावों की स्थिति को दर्शाता है. किसी भी ग्रह का राशि और नक्षत्र बदलाव किसी न किसी रुप में बदलाव का संकेत अवश्य देता है. मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि और मिथुन राशि के मध्य आता है. मृगशिरा नक्षत्र
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शुक्र के वृष राशि में गोचर से शुक्र का बल वृद्धि पाएगा. शुक्र से जुड़े वस्तुओं में भी वृद्धि देखने को मिलेगी, इस समय पर कुछ अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति होगी. आस पास की स्थिति भी भौतिक रुप से समृद्धि होने लगेगी. कुछ अच्छी वस्तुओं के
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शनि देव अपने स्वरुप एवं अपने प्रभाव के कारण सभी के मध्य एक अत्यंत रहस्यमय एवं कठोर देव के रुप में स्थापित हैं शनि देव को सनातन धर्म में एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों ही स्थानों पर काफी महत्व प्रदान किया गया है. वैदिक संस्कृति में शनि को नौ
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विवाह एक ऎसी परंपरा है जो हर दृष्टिकोण से अत्यंत ही आवश्यक एवं प्रभावशाली स्थिति है जिसके द्वारा परिवार, समाज एवं राष्ट के निर्माण की नींव रखी जा सकती है. विश्वभर में विवाह एक ऎसा संबंध है जिसे सभी धर्म एवं पंथों ने स्वीकार किया और इसकी
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सूर्य ने 22 जून को गोचर करते हुए आर्द्रा नक्षत्र में जाएंगे. आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 06.20 से 20.00 डिग्री पर स्थित होता है, पश्चिमी ज्योतिष में इसे ओरियन के नक्षत्र में बेटेलगेस के नक्षत्र और डॉग स्टार सीरियस से भी जोड़ा जाता है.
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कुंभ राशि में वक्री शनि का सभी राशियों पर होगा असर जून माह को शनि कुंभ राशि में गोचर करते हुए वक्री होंगे. शनि कर्म प्रधान ग्रह है, इनकी दशा और इनका प्रभाव व्यक्ति को कर्म करने की ओर अत्यधिक उन्मुख बना सकता है. 17 जून, 2023, को 22:52
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सूर्य का गोचर मिथुन राशि में अनुकूल स्थिति का माना गया है. मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है ऎसे में सुर्य के लिए ये स्थान मित्रवत स्थिति को दर्शाता है. बुद्धज्ञान एवं कुशलता में निखार देखने को मिलता है. कला से संबंधित मामलों में
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बुध का गोचर वृषभ राशि में होने पर एक अनुकूल समय की स्थिति को दर्शाने में सहायक बन सकता है. बुध का जब शुक्र के स्वामित्व की राशि वृषभ में प्रवेश होता है तो ये स्थिति कई मायनों में बदलाव को दर्शाती है. ये समय करियर, संचार, व्यवसाय, भाषण, भाव
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सूर्य का वृषभ राशि गोचर सूर्य का वृषभ राशि गोचर के द्वारा आपको आर्थिक रुप से प्रभावशाली होगा. इस समय के दौरान आप के पास कुछ बेहतर नए विकल्प आपको आय के नए स्त्रोत दिलाने में सहायक होगा. मेष राशि मेष राशि के लिए सूर्य का गोचर धन भाव में