शनि की चाल में जब बदलाव होता है तो वक्री अवस्था का असर काफी चीजों को बदल देता है. शनि एक लम्बे समय तक मकर राशि में रहे ओर कुंभ में आए लेकिन वक्री होकर एक बार फिर से मकर में ही जाने वाले हैं. अब इस समय के दौरान जिन राशियों को शनि साढे़साति

वैदिक ज्योतिष में, सूर्य को एक प्रमुख ग्रह माना जाता है और यह आत्मा-ऊर्जा का निर्माता बनता है. हमारी ऊर्जा किस तरह से काम करेगी किस ओर बढ़ेगी ये सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. 16 अगस्त 2024 को सिंह राशि में सूर्य प्रवेश करेगा. यह सरकार

बुध का मिथुन राशि में प्रवेश जुलाई माह के दौरान होगा. 24 जून 2023 को बुध दोपहर 12:41 मिनिट पर होगा. इस समय बुध वृष राशि से निकल कर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे. बुध का प्रवेश अपने ही घर पर होना एक शुभ संकेत माना जाता है. मिथुन राशि बुध

मंगल ग्रह मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, इच्छाओं, काम करने की तीव्रता, आक्रामक स्वभाव, क्रोध, लड़ने की क्षमता, सैनिक, खिलाड़ी आदि का प्रतिनिधित्व करता है. और मेष राशि जो राशि चक्र की पहली राशि है अग्नि तत्व से युक्त होती है तथा मंगल के

28 जुलाई 2022 को बृहस्पति का मार्गी से वक्री अवस्था में बदलाव होगा. जिस प्रकार मार्गी बृहस्पति अनुकूलता को दर्शाता है वहीं गुरु का वक्रत्व अनुकूलता को दर्शाता है. वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति का गोचर काफी महत्व रखता है. गुरु का असर ज्ञान,

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र प्रवेश कई मायनों में बदलावों की स्थिति को दर्शाता है. किसी भी ग्रह का राशि और नक्षत्र बदलाव किसी न किसी रुप में बदलाव का संकेत अवश्य देता है. मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि और मिथुन राशि के मध्य आता है. मृगशिरा नक्षत्र

06 अप्रैल 2023 को शुक्र के वृष राशि में गोचर से  शुक्र का बल वृद्धि पाएगा. शुक्र से जुड़े वस्तुओं में भी वृद्धि देखने को मिलेगी, इस समय पर कुछ अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति होगी. आस पास की स्थिति भी भौतिक रुप से समृद्धि होने लगेगी. कुछ

शनि देव अपने स्वरुप एवं अपने प्रभाव के कारण सभी के मध्य एक अत्यंत रहस्यमय एवं कठोर देव के रुप में स्थापित हैं शनि देव को सनातन धर्म में एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों ही स्थानों पर काफी महत्व प्रदान किया गया है. वैदिक संस्कृति में शनि को नौ

विवाह एक ऎसी परंपरा है जो हर दृष्टिकोण से अत्यंत ही आवश्यक एवं प्रभावशाली स्थिति है जिसके द्वारा परिवार, समाज एवं राष्ट के निर्माण की नींव रखी जा सकती है. विश्वभर में विवाह एक ऎसा संबंध है जिसे सभी धर्म एवं पंथों ने स्वीकार किया और इसकी

सूर्य ने 22 जून को गोचर करते हुए आर्द्रा नक्षत्र में जाएंगे. आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 06.20 से 20.00 डिग्री पर स्थित होता है, पश्चिमी ज्योतिष में इसे ओरियन के नक्षत्र में बेटेलगेस के नक्षत्र और डॉग स्टार सीरियस से भी जोड़ा जाता है.

कुंभ राशि में वक्री शनि का सभी राशियों पर होगा असर  जून माह को शनि कुंभ राशि में गोचर करते हुए वक्री होंगे. शनि कर्म प्रधान ग्रह है, इनकी दशा और इनका प्रभाव व्यक्ति को कर्म करने की ओर अत्यधिक उन्मुख बना सकता है. 17 जून, 2023, को 22:52

सूर्य का मिथुन राशि गोचर 15 जून से 2023 में शुरु होगा, सूर्य का गोचर मिथुन राशि में अनुकूल स्थिति का माना गया है. मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है ऎसे में सुर्य के लिए ये स्थान मित्रवत स्थिति को दर्शाता है. बुद्धज्ञान एवं कुशलता में

बुध का गोचर वृषभ राशि में होने पर एक अनुकूल समय की स्थिति को दर्शाने में सहायक बन सकता है. बुध का जब शुक्र के स्वामित्व की राशि वृषभ में प्रवेश होता है तो ये स्थिति कई मायनों में बदलाव को दर्शाती है. ये समय करियर, संचार, व्यवसाय, भाषण, भाव

सूर्य का वृषभ राशि गोचर सूर्य का वृषभ राशि गोचर के द्वारा आपको आर्थिक रुप से प्रभावशाली होगा. इस समय के दौरान आप के पास कुछ बेहतर नए विकल्प आपको आय के नए स्त्रोत दिलाने में सहायक होगा. मेष राशि मेष राशि के लिए सूर्य का गोचर धन भाव में

शुक्र का मीन राशि में प्रवेश 27 अप्रैल 2023 को होगा. शुक्र का गोचर मीन राशि में होने पर शुक्र के बलाबल में वृद्धि होगी. मीन राशि में शुक्र उच्च स्थिति को पाता है. शुक्र ग्रह, विलासिता, आनंद, रचनात्मकता, प्रेम, विवाह और जुनून को प्रभावित

सूर्य का गोचर मेष राशि में अप्रैल माह के मध्य में होता है. इस समय पर सूर्य अपनी उच्चतम राशि की ओर प्रवृत्त होता है. सूर्य के गोचर का ये समय विशेष गतिविधियों के लिए खास होता है. इसी समय पर सूर्य की स्थिति काफी तीव्र होती है. इस समय के दोरान

मंगल गोचर दिन - सोमवार दिनांक - 23 फरवरी 2026 मंगल राशि प्रवेश समय - 11:57 मिनिट मंगल 23 फरवरी को सोमवार के दिन कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. मंगल का कुंभ राशि में जाना अग्नि तत्व का वायु तत्व में प्रवेश जैसा है. अग्नि ओर वायु का संबंध एक

राहु और केतु का राशि परिवर्तन  12 अप्रैल, 2022 को होगा और यह गोचर सभी राशियों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. ये ग्रह आपके पिछले जीवन कर्मों को दर्शाते हैं और आपके वर्तमान जीवन स्थितियों में विशेष भूमिका को दर्शा सकता है. इस गोचर

गुरु का गोचर इस वर्ष मीन राशि में हो रहा है. गुरु के स्वराशि में गोचर की स्थिति बदलाव को पाएगी क्योंकि गुरु काफी समय से वक्री अवस्था में थे ओर अब 23 नवंबर को वह मार्गी होंगे. 13 अप्रैल 2022 को गुरु(बृहस्पति) का प्रवेश मीन राशि में लगभग

"दुर्भक्षं जायते घोरं राज्ञां दुर्ममिजं भयम् । बालाहानिश्च रोगेभ्यो नले ज्ञेया समन्तत: ।।" 02 अप्रैल 2022 को नव विक्रम संवत का आरंभ होगा. 2079 का नव संवत्सर “नल” नाम से पुकारा और जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा शनि होंगे और मंत्री भी गुरु