सूर्य ने 22 जून को गोचर करते हुए आर्द्रा नक्षत्र में जाएंगे. आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 06.20 से 20.00 डिग्री पर स्थित होता है, पश्चिमी ज्योतिष में इसे ओरियन के नक्षत्र में बेटेलगेस के नक्षत्र और डॉग स्टार सीरियस से भी जोड़ा जाता है. 

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 22  जून 2022 को 11:42 पर होगा. इस समय पर शक आषाढ़ माह भी आरंभ होगा. सूर्य का आर्द्रा में जाना मौसम में नमी के आरंभ का समय होता है. आर्द्रा नक्षत्र जिसका अर्थ होता है “नम” यानी के नमी से युक्त यह नक्षत्र सूर्य के साथ जुड़ते ही भौगौलिक परिवर्तनों का समय होता है तथा विशेष बदलावों को दर्शाता है. 

आर्द्रा के स्वामी राहु पर शनि की दृष्टि 

आर्द्रा मानसिक ऊर्जा को केन्द्रित न होने दे, भ्रम पैदा कर सकता है ऎसे में चुनौतियों से निपटने के लिए साहस की तलाश करना आवश्यक हो जाता है. आर्द्रा के स्वामी राहु पर गोचर अनुसार शनि की दृष्टि पड़ रही है और इसलिए इस गोचर का प्रभाव अधिक प्रबल हो सकता है क्योंकि राहु अधिक चिंतित और अस्थिर होता है. आर्द्रा में सूर्य से सबसे अधिक प्रभावित होता है. 

जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में आता है, तो जीवन में अनेक आंतरिक एवं बाहरी उथल-पुथल , परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं क्योंकि आर्द्रा उथल-पुथल और अराजक घटनाओं को दर्शाता है,इस समय पर करियर में कई उतार-चढ़ाव और बदलाव आ सकते हैं. पिता और सत्ता के साथ संबंधों में कुछ तनाव की स्थिति उभर सकती है. विचारों का मतभेद दिखाइ देता है. ऐसे लोगों से मिल सकते हैं जो चोट पहुँचाने में आगे रह सकते हैं. वहीं यह एक ऐसा नक्षत्र है जो चिकित्सा के साथ भी करीब से जुड़ा हुआ है. इसलिए चिकित्सा के क्षेत्र एवं अस्पताल से जुड.ए क्षेत्र में दबाव अधिक रह सकता है. 

आपात स्थिति में लोगों की सेवा का भाव भी दिखाई देगा. राहु के प्रभाव के चलते दवाएं, ड्रग्स, विषाणु का प्रभाव अधिक होगा. चिकित्सा या नए जमाने के वैज्ञानिक और तकनीकी उपकरणों के साथ काम करने का समय होगा. पौराणिक कथा के कारण वे धनुर्विद्या जैसे क्षेत्र में भी शामिल है. मिथुन राशि के प्रभाव के कारण, यात्रा आर संचार से संबंधित व्यवसाय में भी तेजी का समय होगा. संचार के ऑनलाइन तरीकों में तेजी आएगी. 

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र गोचर में विभिन्न ग्रहों से योग 

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आते ही सूर्य इस नक्षत्र के प्रत्येक पद पर जाता है उसका उस नक्षत्र के चरण स्वामी के साथ भी संबंध बनता है. ग्रहों का प्रभाव ओर वेध भी इस गोचर में विशेष रुप से असर डालने वाला होता है. 

आर्द्रा पहले चरण में सूर्य-सूर्य, 

आर्द्रा दूसरे चरण में सूर्य -बुध, 

आर्द्रा तीसरे चरण में सूर्य-शुक्र

आर्द्रा चतुर्थ चरण में सूर्य -मंगल

आर्द्रा नक्षत्र प्रत्येक पद पर सूर्य का असर 

आर्द्रा नक्षत्र के (1) पहले पद में सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का पहला पद बृहस्पति द्वारा शासित धनु नवांश में पड़ता है. इस चरण के दौरान जिज्ञासा और खोज करने की इच्छा होती है. इस पाद में ग्रह शिथिल होते हैं लेकिन भौतिक अतिरेक का कारण बन सकते हैं. यह तूफान से पहले की शांति दिखाई देने जैसा होता है. इस समय सूर्य का गोचर काफी चीजों में बदलाव को दिखाता है. आने वाले समय के दोरान काफी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.  

आर्द्रा नक्षत्र के (2) दूसरे पद में सूर्य का गोचर 

इस नक्षत्र की दूसरी तिमाही शनि द्वारा शासित मकर नवांश में आती है. यह सभी प्रकार की भौतिक महत्वाकांक्षाओं और कुंठाओं का प्रतीक है. इस नक्षत्र के नकारात्मक गुण आमतौर पर धीरे धीरे ही सामने आते हैं. यहां तूफ़ान तेज़ होता जाता है इसलिए समय कष्ट चिंता और समस्याएं दर्शाने वाला होता है. इस समय पर सुर्य क अगोचर अचानक से स्थिति में विकटता को बढ़ा सकता है. चीजें नियंत्रण से बाहर लग सकती हैं.  

आर्द्रा नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का तीसरा पद शनि द्वारा शासित कुंभ नवांश में पड़ता है. यह एक वैज्ञानिक प्रकृति का प्रतीक है. तूफान अपने चरम पर है और इस प्रकार अचानक प्रेरणा और तीव्र मानसिक गतिविधि प्रदान करता है. सूर्य का इस समय गोचर परिश्रम की ओर आगे बढ़ने के समय को दर्शाता है. इस स्मय के दोरान छोटी छोटी चीजों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक होता है. 

आर्द्रा नक्षत्र के (4) चौथे पद पर सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का चौथा पाद मीन नवांश में पड़ता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है. यह संवेदनशीलता और करुणा का प्रतीक है. कमजोर लोगों की मदद करने की प्रबल इच्छा होगी. इस समय पर सूर्य का गोचर धीमे धीमे शांति और स्थिरता को लाता है. तूफान के पश्चात निर्मल स्थिति का आगमन होता है. निर्मल शांति से वातावरण व्याप्त है, और इस चरण के दौरान परिणाम असामान्य रूप से सकारात्मक देखने को मिलते हैं.

आर्द्रा नक्षत्र गोचर अन्य विशेषता 

आर्द्रा राशि चक्र में अधिक कठिन नक्षत्रों में से एक है जो संघर्ष कठिन स्थितियों, तूफानों के बाद होने वाली स्पष्टता और भावनात्मक स्पष्टता को दर्शाता है. आर्द्रा में सूर्य की स्थिति कई स्थानों में अचानक होने वाले बदलावों को दिखाती है. करियर हो या जीवन का उद्देश्य वह हर पहलूओं के आसपास अशांति पैदा करने वाली होती है. ऎसे में यह स्वयं का फिर से मूल्यांकन करने का समय होता है कि आप अपने करियर के साथ क्या करना चाहते हैं, अपने जीवन में उद्देश्य को क्से पूरा कर पाते हैं. 

आर्द्रा के लिए प्राथमिक प्रतीक एक मनुष्य का सिर है, जो सोच का नवीनता का प्रतिनिधित्व करता है, और एक आंसू है, जो आने वाले दुख का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक उदीयमान नक्षत्र है और शानदार मानसिक क्षमताओं को दर्शाता . रुद्र इसके स्वामी हैं इसलिए चुनौतोयों भीष्ण तूफानों की स्थिति भी इस समय पर अधिक देखने को मिलती है. 

अगर हम अतीत में फंस जाते हैं तो आर्द्रा अचानक से भावनात्मक उथल पुथल देता है. इसका उद्देश्य कठोरता से बाहर निकालना और बेहतर भविष्य बनाने के लिए जीवन को बदलना भी होता है. इसमें यूरेनस का गुण भी होता है. तूफान की स्थिति गंदगी को साफ करके  उज्जवल और चमकदार छाप छोड़ती है लेकिन इसके साथ कुछ मिट जाने का दुख भी होता है. यह देखने का नजरिया हो सकता है कि इसे सकारात्मक उद्देश्य से जोड़े या फिर इसे नकारात्मक रुप से. इस नक्षत्र को माया या भ्रम के किसी भी स्तर को नष्ट करने वाला भी माना जाता है.