सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र प्रवेश कई मायनों में बदलावों की स्थिति को दर्शाता है. किसी भी ग्रह का राशि और नक्षत्र बदलाव किसी न किसी रुप में बदलाव का संकेत अवश्य देता है. मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि और मिथुन राशि के मध्य आता है. मृगशिरा नक्षत्र के आरंभिक दो चरण वृषभ राशि में आते हैं और बाकी 2 चरण मिथुन राशि में आते हैं. मृगशिरा 27 नक्षत्रों में से पांचवां नक्षत्र है, यह राशि चक्र में सबसे उत्सुक नक्षत्र है और मनोविनोद की एक अच्छी स्थिति भी दिखाई देती है. 

ज्योतिष में मृगशिरा नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र का अधिपति ग्रह मंगल ग्रह है जिसका प्रतीकात्मक सिर हिरण है. जैसे हिरण हमेशा संवेदनशील, चिंतित और आसपास के प्रति शंकालु होते हैं, वैसे ही मृगशिरा नक्षत्र का प्रभाव भी व्यक्ति पर होता है. यह आध्यात्मिक चिंतनशीलता, दृढ़ता, शक्ति और साहस को दर्शाता है. चंद्रमा इसके देव हैं. इस नक्षत्र का प्रभाव प्रेम एवं अभिव्यक्ति की शुद्धता को दर्शाता है. यह एक नाजुक और संवेदनशील नक्षत्र भी है ऎसे में मानसिक रुप से बहुत उतार-चढ़ाव भी होता है. बुद्धिमानी, ईमानदारी और आज्ञाकारिता को भी इस नक्षत्र से जोड़ा जाता है. 

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र गोचर में विभिन्न ग्रहों से योग 

सूर्य के मृगशिरा नक्षत्र में आते ही सूर्य इस नक्षत्र के प्रत्येक पद पर जाता है उसका उस नक्षत्र के चरण स्वामी के साथ भी संबंध बनता है. ग्रहों का प्रभाव ओर वेध भी इस गोचर में विशेष रुप से असर डालने वाला होता है. 

मृगशिरा पहले चरण में सूर्य-सूर्य, 

मृगशिरा दूसरे चरण में सूर्य -बुध, 

मृगशिरा तीसरे चरण में सूर्य-शुक्र

मृगशिरा चतुर्थ चरण में सूर्य -मंगल

मृगशिरा नक्षत्र प्रत्येक पद पर सूर्य का असर 

मृगशिरा नक्षत्र के (1) पहले पद में सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम पद में सूर्य का आगमन मानसिकता तथा क्षमता को प्रभावित करने वाला होता है. मृगशिरा के पहले पद में  23° 20′ – 26° 40′ सिंह नवांश में होता है और सूर्य द्वारा प्रभावित होता है. ऎसे में यह स्थिति कुछ चीजों में प्रतिभा एवं साहस की वृद्धि को दर्शाती है. इस समय व्यक्ति बहुत रचनात्मक और कलात्मक हो सकता है लेकिन अभी के समय पर आक्रामकता भी अधिक देखने को मिल सकती है. शिक्षा से जुड़े छात्रों को अपने क्षेत्र में विकास के अच्छे मौके मिल सकते हैं. व्यक्ति अपनी सुंदरता पर अधिक ध्यान देना चाहेगा. राजनीतिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव दिखाई देंगे. 

मृगशिरा नक्षत्र के (2) दूसरे पद में सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र के दुसरे पद में सूर्य का जाना यहां स्थिति में थोड़ा बौद्धिक एवं रचनात्मक स्थिति को प्रभावित करने वाली होगी. मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा चरण 26° 40′ – 30° 00″ वृष राशि में होता है और बुध द्वारा शासित कन्या नवांश में आता है. ऐसे में गोचर व्यक्ति को काफी व्यस्त बना सकता है. सामाजिक स्थिति में मिलनसार भी होंगे तथा कार्यरत होकर अपनी स्थिति को बेहतर बनाएंगे. इस समय पर कार्यक्षेत्र में भी मजबूत मानसिक क्षमताएं दिखाई देंगी. कुछ नए दृष्टिकोण शामिल होंगे. छात्र अपने क्षेत्र में अपनी छुपी योग्यताओं को दिखाने में आगे रह सकते हैं. 

मृगशिरा नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र तीसरा चरण 00° 00′ – 3 ° 20′ तक मिथुन राशि में चला जाता है, मृगशिरा का तीसरा पद तुला नवांश में स्थित होता है जो शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. ऎसे में सुर्य का इस चरण में आना कुछ खिंचतान की स्थिति को दर्शाने वाला होता है. इस समय आर्थिक स्थिति एवं जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अधिक ध्यान केन्द्रित हो सकता है. कुछ नए खर्च तथा कुछ नवीन निवेश योजनाएं भी इस समय पर काम कर सकती हैं. भौतिक लाभ प्राप्ति का योग भी कुछ सहायक हो सकता है. 

मृगशिरा नक्षत्र के (4) चौथे पद पर सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र चौथा चरण 3° 20″ – 6 ° 40′ मिथुन राशि में ही पड़ता है. यह मंगल ग्रह द्वारा प्रभावित वृश्चिक नवांश में पड़ता है. ऎसे में सूर्य का इस नक्षत्र के अंतिम चरण में जाना बदलाव और आक्रमकता का समय होता है. विचारों में उग्रता एवं जिद भी दिखाई दे सकती है. इस समय बहुत तर्क-वितर्क भी हो सकते हैं. सहजता के साथ मसले सुलझाने में दिलचस्पी कम भी रहेगी. ऎसे में आवश्यक होता है की स्थिति को जितना संभव हो सके धैर्य के साथ स्थिति को नियंत्रित करना उचित होता है. कार्य क्षेत्र हो या परिवार की स्थिति बदलाव और जल्दबाजी से बचना आवश्यक होता है.दूसरे लोगों की ज़िंदगी में बहुत अधिक दखल देने से भी बचना चाहिए अन्यथा छवि प्रभावित हो सकती है. 

मृगशिरा नक्षत्र गोचर का सामान्य फल  

जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में होता है, तो लोग अपने करियर में उतार-चढ़ाव की स्थिति भी अभी बनी रहती दिखाई देती है. काम-काज में संतुष्ट महसूस नहीं कर सकते हैं और अपने लिए पद प्राप्ति की चाह भी बनी रह सकती है. नई संभावनाओं की तलाश भी बनी रहने वाली है. इस समय की स्थिति सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही रुपों में बनी रह सकती है. यह समय मानसिक सुधार की स्थिति को दर्शाता है. इस समय चीजों का पूर्ण रुप से समर्थन नही हो पाता है. अनुसंधान के कामों में भी ध्यान अधिक रह सकता है. खर्च की स्थिति भी इस समय पर बनी रह सकती है. 

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में जाना कई मायनों में महत्वपूर्ण होता है. इस नक्षत्र में आने पर भौगौलिक रुप से भी बदलाव स्पष्ट दिखाई देते हैं. मौसम में परिवर्तन की स्थिति विशेष रुप से वर्षा के आगमन की सूचना भी लाने वाली होती है.