मंगल ग्रह

मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, इच्छाओं, काम करने की तीव्रता, आक्रामक स्वभाव, क्रोध, लड़ने की क्षमता, सैनिक, खिलाड़ी आदि का प्रतिनिधित्व करता है. और मेष राशि जो राशि चक्र की पहली राशि है अग्नि तत्व से युक्त होती है तथा मंगल के स्वामित्व की राशि ही है.

अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी पहला नक्षत्र है, इसलिए यह सक्रियता की प्रकृति के साथ आता है. इसमें अनेक दिव्य गुण मौजूद होते हैं यह चिकित्सकों या डॉक्टरों का भी नक्षत्र है क्योंकि इसके देवता अश्विनी कुमार हैं, जो देवताओं को वैध माने जाते हैं. इस नक्षत्र को भ्रम, छल से भी जोड़ा जाता है क्योंकि केतु इस नक्षत्र पर प्रभाव डालता है.

इन तीनों चीजों का समिश्रण काफी प्रभावी होगा. दो चीजें प्रथम स्थिति या कहें आरंभ को दर्शाती है जिसमें मेष राशि और नक्षत्र तो वहीं मंगल का प्रभाव यहां होने से चीजों में अग्रीणता को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण होता है. मेष राशि में अश्विनी, भरणी और कृतिका नाम के नक्षत्र आते हैं.

अश्विनी नक्षत्र का सामान्य फल
अश्विनी नक्षत्र पर मंगल की स्थिति होने पर विशेष रुप से कुछ बातों पर ध्यान रखने और संभल कर आगे बढ़ने की जरुरत होती है. इस समय के दौरान मंगल मंत्र जाप के साथ ही नक्षत्र पूजा करना अत्यंत शुभदायक होता है. इस गोचर के दौरान पर निर्णायक स्थिति अधिक दिखाई देती है जो सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनो ही रुपों में दिखाई देती है.

इस समय के दौरान स्वास्थ्य संदर्भ के लिहज से स्थिति कुछ मिलेजुले प्रभाव दर्शाती है. सेहत पर असर दिखाई दे सकता है शरीर में पित्त की अधिकता रह सकती है तथा उच्च रक्तचाप से संबंधित प्रभाव भी दृष्टिगोचर होगा. मसिक उन्मांद, बेचैनी तथा दुर्घटना के कारण सेहत पर असर दिखाई दे सकता है. दूसरा पक्ष दर्शाता है की इस समय पर रोग उपचार की स्थिति भी अनुकूल रह सकती है.

अश्विनी नक्षत्र में मंगल का गोचर फल
मंगल का अश्विनी नक्षत्र में होना एक विशेष स्थिति का परिचायक बनता है. यह बहुत मजबूत स्थिति होती है मंगल ग्रह के लिए. मंगल जहां अपनी मूल त्रिकोण राशि में होता है तथा नक्षत्र के प्रभाव में स्वयं को पाता है. यहां मंगल साहस, उत्साह, मजबूत इरादों को दर्शाता है. इस समय पर काम में सक्रियता आने लगती है. मंगल कार्यों को करने में जल्दबाजी दर्शा सकता है क्योंकि यहां उसे प्रथम स्थान को पाना भी है. जो कुछ भी करेंगे उसमें प्रथम होना पसंद करेंगे. अश्विनी रोग निवारक बनता है उपचार को दर्शाता ऎसे में कार्य का होना भी सही होना आवश्यक होगा.


इस समय स्वास्थ्य की स्थिति पर भी विशेष ध्यान बना रह सकता है. देखभाल से संबंधित कार्यों में भी अधिक ध्यान जाता है. केतु के साथ होने पर ये समय स्वास्थ्य के लिहाज से कोई सर्जरी होने ओर उसमें सफलता को भी दर्शाती है.

मंगल-केतु का प्रभाव कुछ भौगौलिक परिवर्तन का समय भी होगा. भूकंप, हिमस्खलन, हिंसात्मक घटना क्रम भी इस समय पर दिखाई दे सकते हैं. ऊर्जा की अधिकता युद्ध एवं विध्वंस की स्थिति का निर्माण करने वाली भी होती है. स्थिति बहुत आक्रामक और आवेगी भी दिखाई दे सकती है. कभी-कभी, वे हिंसक भी हो सकते हैं क्योंकि केतु बिना सिर के होता है और केतु के साथ मंगल का संबंध कार्यों या आक्रामकता के मामलों में नेतृत्वहीन बना सकता है. इस समय पर धैर्य और शांति के साथ विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लेना चाहिए.

आक्रामक प्रवृत्तियों को सकारात्मक कार्यों में बदलने की आवश्यकता होती है. दूसरी ओर केतु का संबंध मनोगत और आध्यात्मिकता से भी जुड़ा है, यह वह सकारात्मक क्रिया हो सकती है जहां अपनी ऊर्जा का निवेश करके अच्छे लाभ पाए जा सकते हैं. कुल मिलाकर, मंगल की अश्विनी नक्षत्र में स्थिति एक बहुत अच्छी स्थिति तब बन सकती है जब क्रोध या आक्रामकता का सकारात्मक उपयोग कर पाने की योग्यता को विकसित किया जाए.

अश्विनी नक्षत्र प्रत्येक पद पर मंगल का असर

अश्विनी नक्षत्र के (1) पहले पद में मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल बनता है. इस चरण में मंगल ग्रह का गोचर प्रभाव व्यक्ति के भीतर अधिक ऊर्जा को दर्शाने वाला होगा. दूसरों पर रौब दर्शाने, अधिकार जमाने की स्थिति भी अधिक दिखाई दे सकती है. इस समय पर क्रोध की अधिकता, उत्तेजना तथा कार्यों में तेजी बनी रहेगी. कार्यक्षेत्र में पराक्रम बना रहेगा. आय प्राप्ति के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं.

अश्विनी नक्षत्र के (2) दूसरे पद में मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के इस दूसरे चरण का स्वामी शुक्र होता है. इस नक्षत्र के द्वितीय चरण में मंगल का गोचर स्रजनात्मक चीजों का निर्माण करने वाला होता है. ये समय कला ओर अभिव्यक्ति का अच्छा संगम बनता है. इस स्थान पर मंगल आगे बढ़ने ओर नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी संभावनाएं दर्शाता है. व्यक्ति कड़ी मेहनत से द्वारा अपने कार्यों को करने में आगे रह सकता है. छोटे छोटे अल्प अवधी वाले कार्य करने में रूचि भी अधिक होगी.

अश्विनी नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध होता है. इस स्थान पर मंगल के गोचर की स्थिति कुछ बदलावों एवं विरोधाभास को दर्शा सकती है. शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के तीसरे चरण में मंगल की स्थिति व्यक्ति को आर्थिक रुप से ललायित करने वाली हो सकती है, ऐश्वर्यशाली जीवन जीने के लिए संघर्ष जारी रह सकता है किंतु बहुत अधिक अनुकूल परिणाम मिलने में देरी की संभावनाएं अधिक दिखाई देती है.

अश्विनी नक्षत्र के (4) चौथे पद पर मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में मंगल की स्थिति सकारात्मक दिखाई दे सकती है. इस चरण का स्वामी चन्द्रमा मित्र स्वरुप दिखाई देता है. शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल का गोचर इच्छाओं के प्रति प्रयाशील बनाता है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस समय थोड़ा सजग रहने की आवश्यकता होती है. इस समय पर मानसिक रुप से कुछ अशांती एवं उद्विग्न स्वभाव की स्थिति भी दिखाई देती है.