मंगल जब तुला में होता है तो यह काफी जबरदस्त तरह से अपना असर दिखा सकता है. मंगल एक अग्नि तत्व युक्त ग्रह है ओर तुला राशि शुक्र के स्वामित्व की परिवर्तनशील वायु तत्व राशि है. ऎसे में तुला पर मंगल का गोचर बहुत अधिक अनुकूलता तो नहीं दिखाता है
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नीच भंग को ज्योतिष में किसी ग्रह की कमजोर स्थिति का प्रबल होने का संकेत बनता है. यह ग्रहों की उनकी राशि भाव स्थिति के अनुसार अपना असर दिखाता है. जब पंचधा मैत्री, नैसर्गिक मैत्री, तत्कालित मैत्री का उपयोग करते हैं तो किसी राशि में
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केतु तब होता है जब चंद्रमा उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है और सूर्य के पथ को पार करता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु दक्षिण नोड होता है और राहु को उत्तरी नोड के नाम से जाना जाता है. यह अपने रहस्यमय और हानिकारक गुणों के लिए जाना जाता है
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जन्म कुंडली को ही लग्न कुंडली के नाम से जाना जाता है ओर नवमांश कुंडली का निर्माण ग्रहों की शक्ति को बता है. ग्रह कितने शुभ और खराब हो सकते हैं इसका असर नवांश से देखा जाता है. लग्न कुंडली संपुर्ण अस्थित्व है ओर नवांश कुंडली उस अस्तित्व में
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कर्क राशि और शुक्र दोनों ही स्त्री तत्व युक्त शीतलता से भरपुर ग्रह माने जाते हैं. इन दोनों की स्थिति का जीवन पर असर व्यक्ति को कुछ अधिक महत्वाकांक्षी भी बना देता है ओर साथ में जल्द से काम करने को लेकर उत्सुक भी बनाता है. शुक्र प्रेम,
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होरा का असर कई मायनों में महत्व रखता है. ज्योतिष में होरा का असर कई तरह से जीवन पर असर डालता है.ऎसे में होरा आर्थिक जीवन, विवाह, सुख या मुहूर्त इत्यादि पर अपना असर डालने वाला होता है. मुहूर्त शास्त्र में होरा की भूमिका बहुत ही विशेष असर
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ग्रहों के गोचर में युति गोचर की भूमिका काफी विशेष मानी गई है. ऎसे में जब एक शुभ और एक पाप ग्रह आपस में साथ होकर गोचर करते हैं तो इसका असर व्यापक रुप से देखने को मिलता है. यह गोचर कई मायनों में अपने परिणाम दिखा सकता है. जब केतु के साथ
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बुध हमारी बुद्धि है और शुक्र सुंदरता है. यह दोनों ग्रह कोमल और प्रेम तथा भावनाओं को दर्शाते हैं एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से मेल खाते हैं. रिश्तों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनसे सुख भी देते हैं. इस युति के साथ अगर पाप प्रभाव नहीं हो तो
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सिंह राशि में शुक्र का वक्री होकर गोचर करना सभि राशियों के लिए विशेष समय होता है. शुक्र सौंदर्य का स्त्री तत्व युक्त ग्रह है जब अग्नि तत्व युक्त राशि में यह वक्री होगा तो अवश्य ही इसके परिणाम सोच से विपरित हो सकते हैं. जब शुक्र वक्री होता
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राजनीति में सफलता को पाने के लिए कुंडली में मौजूद दशाओं और ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है. राजनीति में धाक जमाने के लिए कुछ ग्रहों का साथ बहुत जरुरी होता है. उनके बिना इस क्षेत्र में आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता है. राजनीतिक सत्ता
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वैदिक ज्योतिष का आधार नौ ग्रह, 12 राशियां एवं 12 भाव होते हैं. इसके बिना हम ज्योतिष शास्त्र में गणना एवं भविष्यवाणी नहीं कर सकते. इसी में ग्रहों के अंश बल की स्थिति के अनुसार कुंडली में ग्रह की अवस्था को देखा जाता है. ग्रहों का आकलन करके
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बुध और केतु का तुला राशि में युति गोचर फल अपने आकस्मिक परिणामों को लेकर अधिक उल्लेखनीय माना गया है. जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो परिवर्तनों और आश्चर्यों से भरा होता है. जब ग्रह युति में गोचर करता है तो पूरी दुनिया में
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कुंडली में गण की स्थिति को कुछ विशेष पहलुओं से देखा जाता है. जिसमें विवाह को लेकर यह प्रमुखता से होती है, लेकिन इसके अलावा भी गण का असर व्यक्ति की कुंडली में कई तरह के असर दिखाने में आगे रहता है. किसी व्यक्ति के भविष्य और चरित्र का पता
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सिंह राशि में मंगल-शुक्र युति का असर बहुत विशेष होगा. इस युति का असर ज्योतिष में बेहद विशेष माना जाता है विशेष रुप से संबंधों और इच्छों की दृष्टि से योग को बेहद महत्व दिया जाता है. शुक्र मंगल युति विपरित लिंग के मध्य काफी प्रसिद्धि दिलाने
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वैदिक ज्योतिष में बुध को एक राजकुमार के रूप में वर्णित किया गया है. बुध अन्य ग्रहों की तुलना में सूर्य के बहुत निकट है. यह व्यक्ति में बुद्धि और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है और कई स्थितियों में यह ग्रह बहुत लाभकारी माना जाता है. जिन लोगों
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ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अस्त और उदय दोनों ही स्थितियों का असर देखने को मिलता है. इस पर शनि उदय का प्रभाव जब अस्त से मुक्त होकर उदय स्थिति में होता है तब शनि उदय के प्रभाव बेहतर रुप से देखने को मिलते हैं. शनि उदय उदय की स्थिति हर लग्न
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सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. यह खगोलीय घटना राशि के अनुसार कैसे प्रभावित कर सकती है.आइए देखें कि इस गोचर में क्या निहित है! मेष
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प्राचीन किंवदंतियों के अनुसार, शुक्र भृगु और ख्याति के पुत्र थे. शुक्र का विवाह भगवान इंद्र की पुत्री जयंती से हुआ था. उनकी दूसरी पत्नी गो पितरों की पुत्री थीं. उन्होंने चार पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम त्वष्ठा, वरुत्रि, शण्ड और अमार्क
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नवांश कुंडली वर्ग चार्ट में बहुत ही विशेष कुंडली मानी जाती है. यह किसी व्यक्ति के भीतर की क्षमताओं की अच्छी जानकारी देने में भी सक्षम होती है. नवाम्श कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में मौजूद होता है वह और लग्न जिस राशि में मौजूद होता है वह
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मेष लग्न मेष राशि का स्वामी मंगल है. बृहस्पति और मंगल नैसर्गिक मित्र हैं अत: मेष राशि गुरु की मित्र राशि होगी. मेष राशि में बृहस्पति की दशा के कारण व्यक्ति सक्षम और तेजस्वी बनता है. व्यक्ति अपने गुणों के कारण यश और कीर्ति प्राप्त करता