वैदिक ज्योतिष में जन्म नक्षत्र उस नक्षत्र को कहते हैं जिसमें चंद्रमा जन्म के समय स्थित होता है.  सत्ताईस नक्षत्र इस प्रकार हैं : अश्विनी नक्षत्र , भरणी नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्र नक्षत्र, उत्तराभाद्र नक्षत्र और रेवती नक्षत्र.

वैदिक ज्योतिष के विभिन्न पहलुओं में नक्षत्रों का उपयोग किया जाता है, जिसमें कुंडली मिलान, घटनाओं के लिए शुभ समय या मुहूर्त का निर्धारण, व्यक्तित्व लक्षणों को समझना और दशा और गोचर का उपयोग करके घटनाओं का समय निर्धारित करना शामिल है. हिंदू ज्योतिष में चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है. यह हमारी मानसिक पहचान, प्रवृत्ति, पसंद और नापसंद और गुणों को आकार देता है. इसलिए, वैदिक ज्योतिष में हमारा जन्म नक्षत्र संपूर्ण व्यक्तित्व को दर्शाने वाला होता है. जन्म नक्षत्र हमारे दृष्टिकोण, प्रवृत्ति और मानसिक स्थिति को दर्शाता है. जन्म नक्षत्र हमारे विचारों, भावनाओं और अनुभवों को नियंत्रित करता है. प्रत्येक नक्षत्र या तारे का एक अलग व्यक्तित्व होता है जिसमें अच्छा बुरा, पसंद, नापसंद, प्रवृत्ति और विशेषज्ञता के गुण होते हैं.  

नवतारा चक्र को कैसे समझें

किसी के जन्म नक्षत्र से गिनती करते हुए, लगातार नौ तारों को नौ अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है. उनके नाम और महत्व नीचे सूचीबद्ध हैं. 10वें और 19वें सितारों से, हम इसी तरह का वर्गीकरण करते हैं, जिससे सभी 27 नक्षत्र शामिल हो जाते हैं. इसे नवतारा चक्र कहा जाता है.

जन्म तारा (जन्म)

संपत तारा (धन)

विपत तारा (परेशानी)

क्षेम तारा (खुशी)

प्रत्यक्ष तारा (चुनौती)

साधन तारा (सफलता )

नैधन तारा (मृत्यु).

मित्र तारा (मित्र)

परम मित्र तारा (शुभचिंतक)

मुहूर्त शास्त्र में नव तारा चक्र 

मुहूर्त शास्त्र और गोचर के फलादेश को समझने के लिए जन्म नक्षत्र से 2, 4, 6, 8 और 9वें नक्षत्र अच्छे माने जाते हैं. जब कोई ग्रह किसी के जन्म नक्षत्र से किसी विशेष नक्षत्र में होता है, तो नवतारा चक्र के आधार पर अच्छे और बुरे परिणाम दिए जाते हैं. नवतारा चक्र हमारे जीवन का विश्लेषण करने और ज्योतिष के ज्ञान से लाभ उठाने की एक स्पष्ट और सुंदर विधि है.

उदाहरण के लिए, हमारे जन्म नक्षत्र से चौथे, तेरहवें और बाईसवें नक्षत्र को क्षेम तारा कहा जाता है. यह अनुकूल फल देता है. क्षेम तारा हमारे कल्याण, खुशी और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है.

ज्योतिष में नवतारा चक्र का उपयोग

वैदिक ज्योतिष में नवतारा चक्र नौ रूप में विभाजित किया जा सकता है. सत्ताईस नक्षत्रों का नौ-नौ तारों के तीन बराबर भागों में विभाजित हैं. जन्म - जन्म नक्षत्र से शुरू होने वाले पहले नौ तारे (1 से 9) तक होंगे. अनुजन्म - जन्म नक्षत्र से दसवें तारे से शुरू होने वाले अगले नौ तारे (10 से 18) तक होंगे, त्रिजन्म - जन्म नक्षत्र से उन्नीसवें तारे से शुरू होने वाले अंतिम नौ तारे (19 से 27) तक होंगे. 

पूरे नवतारा चक्र की नींव उस नक्षत्र के आधार पर रखी गई है जिसमें चंद्रमा किसी की जन्म कुंडली में स्थित है. उस विशेष नक्षत्र को जन्म नक्षत्र कहा जाता है. उदाहरण के लिए यदि किसी का चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है, तो वह जन्म नक्षत्र होता है. अश्विनी से आश्लेषा तक के नौ तारे जन्म समूह के अंतर्गत आते हैं, इसके बाद तक के अगले नौ तारे अनुजन्म समूह का हिस्सा बनते हैं और उसके बाद के तारे त्रिजन्म समूह के अंतर्गत आते हैं. ये समूह शरीर, मन और आत्मा के त्रिपद के अंतर्गत आते हैं. 

नव तारा और उनके स्वामी ग्रह 

जन्म तारा : सूर्य अधिपति द्वारा शासित, पशु - मोर

2) संपत तारा : बुध अधिपति , पशु - घोड़ा

3) विपत तारा : राहु अधिपति , पशु - बकरी

4) क्षेम तारा : बृहस्पतिअधिपति , पशु - हाथी

5) प्रतिक तारा : केतु अधिपति, पशु - कौआ

6) साधक तारा : चंद्रमा अधिपति , पशु - लोमड़ी

7) वध तारा : शनि अधिपति , पशु - शेर

8) मित्र तारा : शुक्र अधिपति , पशु - चील

9) परम मित्र तारा : मंगल अधिपति , पशु - हंस

जन्म तारा प्रभाव 

यह जन्म नक्षत्र होता है, कुंडली में चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, यह सभी नक्षत्रों में सबसे महत्वपूर्ण होता है. जन्म तारा हमेशा अनुकूल नहीं होता है और कहा जाता है कि यह मन की चंचलता को दर्शाता है और तनाव का कारण बनता है. जन्म नक्षत्रों के दिनों में मन हमेशा अस्थिर रहता है. 

संपत तारा प्रभाव 

यह आर्थिक स्थिति से जुड़ी सभी चीजों को दर्शाता है. यह एक बहुत ही अनुकूल तारा है और इसे धन से जुड़ी सभी घटनाओं के लिए शुभ माना जाता है. यह कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें घर से संबंधित होता है जो आय और लाभ के बारे में काफी हद तक बताता है. संपत तारा का स्वामी बुध है और इसका प्रभाव जीवन में सुख समृद्धि को दर्शाता है.

विपत तारा प्रभाव 

अपने नाम के अनुरुप इस तारा का प्रभाव कष्ट चिंता जैसी स्थिति को दिखाना है. यह जीवन में विभिन्न प्रकार के खतरों की स्थिति का सुचक बनता है. यह चोट लगने, मुद्दों में उलझने और इस तरह के सभी तरह के खतरों से संबंधित हो सकता है. विपत तारा राहु द्वारा प्रभावित होता है फर इसके प्रभाव काफी परेशानी को दिखाते हैं भ्रम की स्थिति जीवन पर अधिक असर डालती है.

क्षेम तारा

क्षेम तारा अनुकूल प्रभाव को दिखाता है. च्छे स्वास्थ्य और मन की शांति, जीवन की आरामदायक स्थिति को दर्शाता है. इसलिए यह संबंधित व्यक्ति की आवश्यक जीवन शक्ति और अच्छे व्यवहार के बारे में है. क्षेम तारा बृहस्पति द्वारा प्रभावित होने के कारण एक सकारात्मक स्थिति के लिए विशेष होता है.

प्रत्यय तारा

यह एक नकारात्मक तारा है और सभी तरह की बाधाओं को दर्शाता है. ऐसा कहा जाता है कि यह मन में बहुत सी उलझनें पैदा करता है और कार्यों और गतिविधियों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न करता है. इस तारा का स्वामी केतु है जिसके कारण अनिश्चितता का भाव अधिक रहता है. विषय वासना के प्रति ध्यान होता है और अजीब सा भय भी बना रहता है.

साधक तारा 

साधक तारा अनुकूल रहता है, इसका प्रभाव शांति स्थिरता और आत्म नियंत्रण की स्थिति को दिखाता है. यह उन सभी प्राप्तियों और लाभों के बारे में बताता है जिनकी प्राप्ति व्यक्ति अपने प्रयासों के द्वारा करता है. ऐसा माना जाता है कि यह तारा भगवान का आशीर्वाद देने वाला होता है. इस तारा पर चंद्रमा का अधिपत्य होता है. इसके कारण मानसिकता विशेष रुप से प्रभावित होती है.

वध तारा

इस तारा को खराब प्रभाव देने वाला माना गया है. यह एक अशुभ तारा है और मारक प्रकृति का होता है. यह नकारात्मकता से भरा हुआ है और सभी प्रकार के इनकार, दुर्भाग्य और परेशानी को दर्शाता है. इस तारा का स्वामी शनि है, इसके कारण जीवन में सफलता की गति भी धीमी बनी रहती है.

मित्र तारा

यह शुभ तारा होता है और इसका प्रभाव अनुकूलता देने वाला होता है. जीवन में सभी समृद्ध की प्राप्ति सफलता का सुख, अपनों का प्रेम इसके द्वारा संभव होता है.  यह जीवन में सही रास्ता दिखाता है और मन को अच्छी शुभता प्रदान करता है. मित्र तारा शुक्र के प्रभाव में होने के कारण भौतिक सुख समृद्धि को भी प्रदान करता है. 

परम मित्र तारा

यह भी एक अनुकूल फल देने वाला तारा होता है. इसे एक साधारण प्रभाव वाला तारा कहा जाता है. इसके जीवन पर मिले जुले फल देखने को मिलते हैं. परम मित्र तारा पर मंगल का प्रभाव होता है. इसके कारण साहस, जोश एवं उत्साह भी प्राप्त होता है.