Category Archives: Vedic Astrology

मुन्था और विभिन्न ग्रहों का प्रभाव

मुन्था वर्षफल में उपयोग की जाती है. मुन्था में प्रत्येक ग्रह का अपना प्रभाव फलिभूत होता है. सभी ग्रह अपने अनुसार फल प्रदान करते हैं. मुन्था सूर्य से युक्त | Muntha including Sun यदि मुन्था सूर्य से प्रभवैत होती है … Continue reading

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नवग्रह स्त्रोत के प्रयोग से स्वयं ही ग्रह शांति कैसे करें

नवग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर पूर्ण रुप से प्रभाव देखा जा सकता है. इन नवग्रहों की शांति द्वारा जीवन की अनेक समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकते हैं. नवग्रहों के विषय में अनेक तथ्यों को बताया गया … Continue reading

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शुक्र ग्रह और ज्योतिष

ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष एवं पीड़ा दायक होती है. शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं. … Continue reading

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जीव और ईश्वर का संबंध | Relationship between Humans and God

भारतीय वेद शास्त्रों में जीव और ईश्वर के संबंध को एक गहन रुप से परिभाषित किया गया है. धर्म ग्रंथों में आत्मा के ब्रह्म से मिलने और उसी में समा जाने के तथ्य को व्यक्त करते हुए कहा गया है … Continue reading

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विवाह और संतान-सुख में उपपद का महत्व

ज्योतिष में सामान्यत: विवाह सुख और संतान सुख का विचार सप्तम एवं पंचम भाव से किया जाता है, परंतु इसके साथ ही साथ विवाह एवं संतान के विचार के लिए उपपद को एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है. उपपद से … Continue reading

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तिथि क्या है और ज्योतिष में इसका महत्व क्यों है, जानिये.

ज्योतिष में तिथियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. हिन्दु धर्म में तिथियों के आधार पर मुहूर्त्त निकाले जाते हैं और उनके अनुसार विभिन्न कार्य किए जाते हैं. सभी कार्यों का मुहुर्त तिथियों के अनुसार बाँटा गया है. प्रतिपदा तिथि | … Continue reading

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श्री यंत्र प्रतिष्ठापन और पूजा की आसान विधि

श्री यंत्र देवी लक्ष्मी का यन्त्र होता है यह कष्टनाशक होने के कारण यह सिद्धिदायक और सौभाग्यदायक माना जाता है. लक्ष्मी कृपा हेतु श्रीयंत्र साधना के बारे में बताया जाता है. श्रीयंत्र की रचना पांच त्रिकोण के नीचे के भाग … Continue reading

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ज्योतिष में चाप योग क्या होता है

लग्नेश के उच्च राशिस्थ होने के साथ-साथ दशमेश और चतुर्थेश के मध्य विनिमय परिवर्तन योग होने पर निर्मित होता है. चाप योग की परिभाषाओं में कुछ भिन्नता देखने को मिलती है. यदि कुण्डली में चतुर्थ और दशम स्थानों के स्वामी … Continue reading

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कुण्डली के बारह भावों में मुंथा

वर्ष कुण्डली में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है. जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और प्रत्येक वर्ष मुंथा एक राशि आगे बढ़ जाती है. मुंथा नवग्रहों के समान ही महत्व रखती है. मुंथा  विचार … Continue reading

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शुक्र अगर वक्री हो जाये तो क्या होगा? देखिये

शुक्र ग्रह मान सम्मान, सुख और वैभव, दांपत्य सुख एवं भोग विलासिता के प्रतीक माने जाते हैं. साधारणत: यदि यह पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट न हों तो जातक को हंसमुख एवं विनोद प्रिय बनाते हैं. जातक मिलनसार और … Continue reading

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