Category Archives: Vedic Astrology

सिंह लग्न का छठा नवांश | Sixth Navansh of Leo Ascendant

सिंह लग्न का छठा नवांश कन्या राशि का होता है. इस नवांश में जन्में जातक को अपने जीवन में कर्म क्षेत्र के प्रति काफी विचारशील रहना होता है. उसे अपने शत्रु पक्ष एवं जीवन में आने वाले उतार-चढावों को समझने … Continue reading

Posted in Navamsa Kundli, Vedic Astrology | Tagged , , , , , | Leave a comment

मित्र क्षेत्री ग्रह का प्रभाव | Effects Of Planets Placed In Their Friendly House

किसी ग्रह के मित्र क्षेत्री ग्रह होने पर उक्त ग्रह का प्रभाव बली अवस्था में मौजूद रहता है. ग्रह की मित्र क्षेत्र में स्थिति के होने पर कुण्डली में उसके अनुकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं. कहीं न कहीं यह … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , | Leave a comment

कुण्डली के स्वक्षेत्री ग्रह का प्रभाव | Effects Of Planets Placed In Their Own House

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में स्वक्षेत्री ग्रहों की स्थिति होने पर अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है. स्वक्षेत्री होने पर जातक को धन धान्य की प्राप्ति होती है. वह दूसरों के समक्ष आदर व सम्मान पाता है. स्वक्षेत्री … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

कैसा होगा आपका व्यवसाय: जानने का आसान तरीका

वैदिक ज्योतिष में यूँ तो बहुत सी बातों की जानकारी दी गई है लेकिन वर्तमान समय में शिक्षा के पश्चात हर व्यक्ति अपना व्यवसायिक क्षेत्र जानने का इच्छुक रहता है. कई बार व्यक्ति अपने मनपसंद क्षेत्र में चला जाता है … Continue reading

Posted in Career, Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

नौकरी हो या बिजनेस कैसा रहेगा आपके लिए जानिये बृहस्पति/गुरु से

बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है. इसी के साथ इन्हें ज्ञान, विवेक और धन का कारक माना जाता है. इस बात से यह सपष्ट होता है कि अगर कुण्डली में गुरू उच्च एवं बली हो तो … Continue reading

Posted in Basic Astrology, Dashas, Planets, Profession, Rashi, Signs, Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

कर्क, सिंह और कन्या राशि पर मंगल की दृष्टि का फल

कर्कस्थ मंगल फल | Mars Aspecting Cancer कर्क राशि में मंगल के स्थित होने पर जातक को अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है. मित्र राशि में रहकर मंगल को कुछ शीतलता का अनुभव भी होता है. मंगल के आक्रामक और … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

संकटा योगिनी दशा | Sankata Yogini Dasha

संकटा दशा राहु की दशा होती है इस दशा की अवधि आठ वर्ष की मानी गई है. यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा की हानि करती है. परिवार से वियोग कष्ट प्राप्त होता है. जातक में मनमानी व हठ … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | 2 Comments

सिंह लग्न का पांचवां नवांश होता है देता है शुभ फल

सिंह लग्न का पांचवां नवांश वर्गोत्तम होता है यह सिंह राशि का ही होता है. इस लग्न के नवांश की यह स्थिति त्रिकोण की अवस्था की द्योतक है. इस नवांश में जातक का जन्म होने पर वह बुद्धिमान और योग्य … Continue reading

Posted in Navamsa Kundli, Vedic Astrology | Tagged , , , , , | Leave a comment

कब हो सकता है धन लाभ या होगी हानि अपनी कुंडली से जाने

वैदिक ज्योतिष में बनने वाले योगों द्वारा धन संबंधी मामलों को समझने में बहुत आसानी होती है. जैसे की जातक के जीवन में कौन सी ग्रह दशाएं ऎसी हैं जो उस धन प्राप्ति में मददगार हो सकती हैं और कौन … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

विभिन्न ग्रहों का स्थान बल में प्रभाव | Effects of Strongly Placed Planets

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह मित्र राशि में, उच्चराशिस्थ, मूल त्रिकोण या स्वक्षेत्री होने से अधिक बल प्राप्त करता है. स्थान बल के अंतर्गत पांच प्रकार के बलों को शामिल किया गया है. जिसमें उच्च बल, सप्तवर्ग, ओजयुग्म … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment