Category Archives: Navamsa Kundli

मिथुन लग्न का 5वां नवांश और उसका प्रभाव

मिथुन लग्न का पांचवां नवांश कुम्भ राशि का होता है. इस नवांश के स्वामी ग्रह शनि हैं जिनके अनुरूप इस नवांश पर शनि का प्रभाव भी परिलक्षित होता है. पांचवें नवांश में जन्म होने के कारण जातक का चेहरा बडा़ … Continue reading

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मिथुन लग्न का सातवां नवांश | Seventh Navamsha of Gemini Ascendant

मिथुन लग्न के सातवें नवांश में मेष राशि आती है. इस नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. मिथुन राशि के सातवें नवांश में जन्मा जातक मंगल के प्रभाव से पूर्ण होता है. जिसके फलस्वरूप जातक का कद लम्बा और रंग … Continue reading

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मिथुन लग्न का चौथा नवांश और इसका प्रभाव

मिथुन लग्न का चौथा नवांश मकर राशि का होता है. मकर राशि का स्वामी शनि है इस लिए इस नवांश लग्न पर शनि का स्वामित्व रहता है. इस नवांश लग्न के प्रभावस्वरूप जातक का मस्तक चौडा़ तथा आंखे सुंदर होती … Continue reading

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जानिये मिथुन लग्न के तीसरे नवांश का फलकथन

मिथुन लग्न का तीसरा नवांश धनु राशि का होता है और इसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. इस नवांश के होने से जातक में साहस की कमी नहीं होती है. जातक अपने परिश्रम और मेहनत के बल पर आगे बढ़ता रहता … Continue reading

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जानें – मिथुन लग्न के दूसरे नवांश का फल

मिथुन लग्न का दूसरा नवांश वृश्चिक राशि का होता है. इस नवांश के प्रभाव स्वरूप जातक की कद काठी सामान्य होती है, चेहरे पर लालिमा रहती है और वाणी में काफी तेज रहता है. आंखे गोल तथा शरीर सामान्य होता … Continue reading

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मिथुन लग्न का पहला नवांश | First Navamsa of Gemini Ascendant

जन्म कुण्डली में भाव और भावेश की स्थिति का विचार नवांश से भी किया जाता है. यह नवांश भाव के सूक्ष्म विश्लेषण का आधार होता है. इससे भाव व ग्रहों के बल का अनुमान लगाने में सहायता मिलती है. जीवन … Continue reading

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ज्योतिष में वर्ग कुंडलियो का महत्व | Importance of Varga Kundali in Astrology

जन्म कुण्डली के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी … Continue reading

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विवाह सहम – Vivah Saham – Sensitive Marriage Point in Horoscope

जन्म कुण्डली में सप्तम भाव से विवाह का विश्लेषण किया जाता है. विवाह कब होगा, कैसा होगा आदि सभी बाते सप्तम भाव, सप्तमेश तथा इनसे संबंध बनाने वाले ग्रहों के आधार पर देखी जाती हैं. सबसे पहले तो सप्तम से … Continue reading

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कुण्डली मिलान में दोष परिहार – किन कारणों से आपकी कुण्डली के दोष खत्म होते हैं

वैदिक ज्योतिष में विवाह पूर्व कुंडली मिलान पर बल दिया गया है. कुंडली मिलान के माध्यम से वर-वधु की कुंडलियों का आंकलन किया जाता है ताकि वह जीवनभर एक-दूसरे के पूरक बने रहें. लेकिन वर्तमान समय में केवल यह देखा … Continue reading

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क्या है नवांश कुण्डली का महत्व और प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में नवमांश कुण्डली को कुण्डली का पूरक माना गया है. यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कुण्डली मानी जाती है क्योंकि इसे लग्न कुण्डली के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. जहां लग्न कुण्डली देह को दर्शाती है वहीं नवमांश … Continue reading

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