जब बात होती है केतु की तो यह एक काफी संदेह और चिंता को दर्शाता है. इस ग्रह का प्रभाव काफी विशेष है. ग्रहों की दिशा का प्रभाव कुछ मायनों में काफी विशेष होता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की उपस्थिति अकेले हो या फिर अन्य ग्रहों के साथ यह बेहद विशेष होती है. जन्म कुंडली में केतु पिछले जन्मों के कर्म ऋणों के लिए जिम्मेदार माना जाने वाला ग्रह है, यह ग्रह पिछले जन्मों को इंगित करता है, हमने पिछले जन्मों में क्या किया था, वह सभी कुछ इस जन्म में हम देख सकते हैं. कुंडली में केतु का शुभ और मजबूत होना पूर्व जन्मों के कर्मों की शुभता को दर्शाने वाला होता है.
केतु के साथ सूर्य का संबंध
केतु के साथ सूर्य का योग होने पर यह स्थिति शुभता में कमी का कारण बनती है. केतु और सूर्य का एक साथ होना ग्रहण का असर दिखाने वाला समय होता है. इसके अंशात्मक योग में नजदीकी होने से यह परेशानी दे सकता है. इन दोनों के सकारात्मक असर के रुप में कुछ लौकिक क्षमताएं और दर्शन पर भी व्यक्ति की अच्छी पकड़ हो सकती है. यदि केतु और सूर्य के बीच का संबंध बहुत करीब का है तो नुकसान पहुंचा सकता है, इस कारण से बचपन में नींद में चलने की बीमारी या बुरे सपने परेशान कर सकते हैं.
केतु के साथ चंद्रमा का संबंध
केतु और चंद्रमा का एक साथ होना थोड.अ परेशानी को दिखाता है. यह बहुत अच्छी स्थिति नही होती है. केतु और चंद्रमा के कारण कमजोर और अत्यधिक विचारों का दबाव व्यक्ति पर बना रह सकता है. यह दोनों युति योग में खराब हों तो मनोरोग, पागलपन तक दे सकता है. पैनिक अटैक, सिज़ोफ्रेनिया और नसों से जुड़े रोग भी इसके कारण परेशानी दे सकते हैं. व्यक्ति गुढ़ विषयों को लेकर काफी सजग रहता है. रहस्यात्मक चीजों की ओर रुझान रहता है.
केतु के साथ मंगल का संबंध है
मंगल के साथ केतु का प्रभाव कठोरता की अधिकता को दिखाता है. युद्ध, आक्रामकता और ताकत का प्रदर्शन कर सकता है. ,व्यक्ति के कई शत्रु हो सकते हैं, वह निरंकुश हो सकता है. अपनी इच्छा और अपनी राय को दूसरों पर थोप सकता था, और हिंसा में लिप्त रह सकता है. भाई बंधुओं के साथ संबंध परेशानी से जूझ सकते हैं.
केतु के साथ बुध का संबंध
बुध ज्ञान, मन और वाणी है अब केतु जब बुध के साथ युति में होता है तो व्यक्ति को चतुर और यहाँ तक कि धूर्त भी बना सकता है. बुध के साथ केतु अधिक गूढ़ मन प्रदान करता है. व्यक्ति अपनी भाषा का दुरुपयोग कर सकता था. गलत मार्ग की ओर भी व्यक्ति का झुकाव हो सकता है. अगर बुध और केतु पिड़ा में होंगे तो यह बोलने में व्यवधान देगा. व्यक्ति की बौद्धिकता भ्रमित होगी. मजबूत केतु और बुध का एक साथ होना एक प्रतिभाशाली गुण प्रदान कर सकता है, अपनी सोच से ही वह वैज्ञानिक अनुसंधान कर सकता है
केतु के साथ बृहस्पति का संबंध
केतु के साथ गुरु का योग होना एक बेहतरीन स्थिति का निर्माता होता है. यह योग आध्यात्मिक ज्ञान को ऊंचाईयां प्रदान करने वाला होता है केतु-बृहस्पति की युति होती है, तो यह एक व्यक्ति को बड़ी मात्रा, किसी चीज से जोड़ सकती है. उसमें अज्ञानता की अवस्था के चलते व्यक्ति कुछ चीजों का बहुत अधिक शौकिन हो सकता है. मिठाई का शौकीन हो सकता है, स्वादिष्ट भोजन का आदी हो सकता है. बृहस्पति भाग्य, धन को दर्शाता है केतु के कारव वह इन के प्रति अधिक लालसा को रख सकता है. एक शुभ रुप में उच्चतम, सकारात्मक अभिव्यक्ति में, यह संबंध ज्ञान देता है, और आध्यात्मिक ज्ञान, केतु आध्यात्मिक भाग को मजबूत करेगा और भौतिकवाद को दूर करेगा.
केतु के साथ शुक्र का संबंध
केतु के साथ शुक्र का संबंध कुछ अच्छे और कुछ भौतिकतावादी सुखों को दर्शाने वाला योग होता है. लेकिन इसके अधिक प्रभाव के चलते सौंदर्य, भौतिक वस्तुओं, सुखों और कामुक सुखों से व्यक्ति कुछ अधिक जुड़ सकता है. व्यक्ति को प्रेम जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. कल्पनात्मक रुप से व्यक्ति अधिक रुमानियत में रहता है. यदि यह युति योग खराब रुप में बन रहा है तो इसके कारण व्यक्ति साथी के प्रति गलत व्यवहार भी कर सकता है नशे इत्यादि चीजों के कारण रोग ग्रस्त हो सकता है.
केतु के साथ शनि का संबंध
केतु के साथ शनि का होना एक मुश्किल और नकारात्मक प्रभाव दिखाने वाला योग अधिक होता है. इन दोनों का साथ में होना व्यक्ति को गंभीर अवसाद से ग्रस्त, उदास और आलस्य से प्रभावित कर सकता है. अपनी भावनाओं को खुलकर न व्यक्त कर पाने के कारण व्यक्ति अधिक चिंताग्रस्त दिखाई देता है. इस योग के खराब रुप से बने होने के कारण जीवन में सब कुछ निरर्थक और अर्थहीन सा प्रतीत होता है. व्यक्ति अपनी मनो-भावनात्मक स्थिति के कारण निराशावादी भी दिखाई दे सकता है. आध्यात्मिक रुप से इस योग का प्रभाव काफी अच्छा मिलता है. व्यक्ति गुढ़ताओं के कारण एक बेहतरीन खोजकर्ता भी बन सकता है.