जीवन में रिश्तों को लेकर हर व्यक्ति काफी अधिक भावनात्मक होता है. अपने जीवन में वह रिश्तों की स्थिति को अच्छे से निभाने की हर संभव कोशिश करते हैं लेकिन कई बार असफल होते चले जाते हैं. कई बार जीवन में ऎसे भी क्षण आते हैं जब रिश्तों का बार बार टूटना व्यक्ति को तोड़ देता है. आखिर क्यों रिश्तों में व्यक्ति सफल नही हो पाता है यह बात कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति के अनुसार देखने को मिलती है. जन्म कुंडली में सभी ग्रहों का असर अलग-अलग रुप में हमारी इच्छाओं, चाहतों एवं संबंधों के लिए विशेष जिम्मेदार बनता है.
यदि कुंडली में ज्योतिषीय कारणों की और देखा जाए तो कई तरह के कारण कुंडली में रिश्तों के टूटने या ब्रेकअप का असर दिखाता है, तो यह कुछ व्यक्तित्व लक्षणों या रिश्ते की स्थिति को दिखाता है. इसके अलावा कुंडली से हम इस बात को समझ सकते हैं जिसके द्वारा रिश्ता बार-बार खत्म होने का कारण बन रहा हो. कुंडली में लग्न ओर सप्तम भाव उन प्रतिमानों को दिखाने और भविष्य के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए अधिक आत्म-प्रतिबिंब और विकास की आवश्यकता का सुझाव देता है. इसके अलावा, कुंडली में ग्रह के रुप में कुछ अन्य कारक भी दिखाई देते हैं जो चुनौतीपूर्ण स्थिति को दिखाते हैं सातवें भाव में ग्रहों की दृष्टि और असर रिश्ते की कठिनाइयों को दिखाता है. जानिए कुंडली में किन कारणों से हो सकता है टूटने की स्थिति दिखाई देती है.
कुंडली में ब्रेकअप के लिए जिम्मेदार ग्रह और भाव फल
वैदिक ज्योतिष में, कई ग्रह संभावित ब्रेकअप या रिश्ते की चुनौतियों का संकेत दे सकते हैं. इसी के साथ कुंडली के कुछ विशेष भाव इस स्थिति पर अपना गहरा असर डालते हैं.
शुक्र ग्रह – शुक्र प्रेम, संबंधों और रिश्तों का ग्रह है. कुंडली में शुक्र की स्थिति हर प्रकार के सुख को दिखाने वाली होती है. यदि शुक्र कमजोर है या पीड़ित है, तो यह ब्रेकअप सहित रिश्ते की चुनौतियों का संकेत दे सकता है. शुक्र की पीड़ा रिश्तों के बीच आपसी समझ और स्नेह की कमी का कारण बन सकती है. शुक्र ही जीवन में इच्छाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है. शुक्र जब कुंडली में अच्छा होता है तो रिश्तों में आगे बढ़ने के लिए सहायक बनता है. शुक्र का जन्म कुंडली में स्वराशि में होना, उच्च राशि में होना या फिर मूल त्रिकोण में होना रिश्तों की सफलता को देने में सहायक बनता है.
मंगल ग्रह – मंगल भी रिश्तों के लिए बेहद आवश्यक ग्रह माना जाता है. मंगल कामुकता एवं यौन संबंधों के लिए विशेष होता है. मंगल ऊर्जा, जुनून और आक्रामकता का ग्रह है. जब मंगल पीड़ित होता है, तो यह गलतफहमियों और संघर्षों का कारण बन सकता है जो ब्रेकअप का कारण बनता है. खराब स्थिति में मंगल आवेगी निर्णय और क्रोध पर नियंत्रण की कमी का कारण बन सकता है, जिससे संबंधों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं. मंगल की स्थिति अगर अच्छी हो तब व्यक्ति अपने रिश्ते में रोमांच बना रहता है. मंगल की शक्ति कम होने के कारण व्यक्ति अपने रिश्ते में नीरसता के कारण अधिक परेशानी झेल सकता है.
चंद्रमा ग्रह – कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भावनाओं के लिए विशेष मानी जाती है. यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल न हो तो व्यक्ति अपनी भावनाओं को लेकर काफी भ्रम में रहता है. व्यक्ति को इस के कारण अपनों के लगव की कमी आत्मविश्वास की कमी परेशानी देती है. व्यक्ति छोटी छोटी बातों को लेकर काफी घबराता भी है यह बातें रिश्तों को पूर्णता नहीं देने ती हैं. इसी आधार पर जब कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है तो व्यक्ति रिश्ते में प्रबल रुप से सामने आता है. वहीं वह अपने रिश्ते को अनुकूल बनाने के लिए बहुत कोशिश करती है.
राहु और केतु
रिश्तों के अलगाव या बदलाव में इन दो ग्रहों का असर बेहद महत्वपूर्ण होता है. राहु जुनून, व्यसन और भ्रम से जुड़ा हुआ है. राहु के मजबूत होने पर यह रिश्तों की प्रबल इच्छा का संकेत देता है. यह अपेक्षाएँ और भावनात्मक अस्थिरता भी पैदा कर सकता है, जिससे रिश्ता टूट सकता है. केतु वैराग्य, आध्यात्मिक विकास और अंत के साथ जुड़ा हुआ है. जब केतु मजबूत होता है, तो यह भावनात्मक रूप से अलग होने की प्रवृत्ति का संकेत दे सकता है, जिससे रिश्ते में मुश्किलें आ सकती हैं.
पंचम भाव – कुंडली का यह भाव प्रेम के लिए विशेष रुप से देखा जाता है. पंचम भाव हमारे प्रेम संबंधों की जकारी देता है. इसका असर ही व्यक्ति के जीवन में होने वाले रिश्तों को दर्शाता है. इसके कारण ही जीवन में आने वाले रिश्ते और उनकी भूमिका समझी जाती है. अगर पंचम भाव या पंचम भाव का स्वामी खराब स्थिति में य अकमजोर है तब रिश्तों के टूटने की स्थिति अधिक असर डालने वाली होती है. इस भाव का और इसके स्वामी का अच्छा होना एक लम्बे रिश्ते की भूमिका में सहायक बनता है.
सप्तम भाव – सप्तम भाव को पार्टनरशीप और विवाह के भाव के रूप में जाना जाता है. किसी भी प्रकार की साझेदारी इसी भाव से देखने को मिलती है. हमारे रिश्ते किसी के साथ कैसे बनेंगे यह इसी भाव की स्थिति से देखने को मिलते हैं. सप्तम भाव या इसके भाव का स्वामी अगर खराब स्थिति या पीड़ित अवस्था में होगा तो रिश्ते में कठिनाइयों का संकेत करने वाला होगा. जिससे ब्रेकअप या अलगाव हो सकता है. उदाहरण के लिए, यदि सप्तम भाव में शनि, राहु या केतु जैसे पाप ग्रह हैं, तो यह रिश्तों में चुनौतियों और संघर्ष का संकेत दे सकता है.
आठवां भाव – रिश्ते में अलगाव ओर टूटन की स्थिति के लिए ये भाव काफी गअधिक असर डालने वाला होता है. यह भाव अंतरंगता, साझा संबंधों की स्थिति, परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है. पीड़ित आठवां घर अंतरंग संबंधों में चुनौतियों का संकेत देता है. इसके अलावा, यह ब्रेकअप या अलगाव का कारण बन सकता है. उदाहरण के लिए, आठवें भाव में मंगल या शनि जैसे अशुभ ग्रह रिश्तों में सद्भाव और विश्वास की कमी का संकेत देने वाले होते हैं.