वैदिक ज्योतिष के क्षेत्र में, राहु और केतु बहुत ही विशेष छाया ग्रह हैं। सामान्य ग्रहों के विपरीत ये दोनों ही गणितीय बिंदु हैं जहां सूर्य और चंद्रमा के कटाव बिंदु बनते हैं इन्हें अक्सर उत्तरी नोड (राहु) और दक्षिणी नोड (केतु) कहा जाता है। राहु सांसारिक लालसा, महत्वाकांक्षा और भौतिक सफलता की भूख का प्रतीक है, जो व्यक्तियों को विकास पथ पर ले जाता है। केतु आंतरिक आत्म, आध्यात्मिक जागृति और सांसारिक संबंधों से अलगाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमारे पिछले जीवन का प्रतिबिंब हैं। आपकी जन्म कुंडली में राहु और केतु की स्थिति आपकी जीवन यात्रा को आकार देती है और आपकी महत्वाकांक्षाओं पर प्रकाश डालती है।
राहु केतु में होने वाले बदलाव व्यक्ति के जीवन पर भी पड़ते हैं तो मेष राशि वालों के लिए राहु केतु का गोचर कैसे प्रभावित करता है इसे समझ लेने के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि ये अपना असर किस तरह से डालेंगे। इनके गोचर के दौरान बड़े बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं।
राहु और केतु को वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह कहा गया है, जिनका प्रभाव गहरा लेकिन रहस्यमयी होता है. जब भी ये ग्रह गोचर करते हैं, तो सभी राशियों की ऊर्जा में बड़ा बदलाव आता है. इसका प्रभाव मेष राशि वालों के जीवन के हर क्षेत्र करियर, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, शिक्षा, धन और आध्यात्म पर पड़ेगा. आइए समझते हैं कि मेष राशि के जातकों के लिए यह गोचर कैसे फल देगा, वो भी भाव अनुसार.
प्रथम भाव
राहु-केतु का गोचर इस भाव में होने पर ये समय विचारों में बड़े बदलाव को लेकर आता है, इसलिए प्रथम भाव पर खास असर पड़ता है. यह समय आत्मचिंतन और आत्मविकास का होता है. अपने जीवन के गहरे सवालों से जूझ सकते हैं. आत्मविश्वास में उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन आध्यात्मिक दिशा में उन्नति संभव होती है.
द्वितीय भाव
धन के मामले में थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता है. राहु विदेश संबंधित खर्चे बढ़ा सकता है, जिससे आर्थिक दबाव आ सकता है. वाणी पर संयम रखना ज़रूरी होगा क्योंकि केतु की ऊर्जा कभी-कभी कटुता ला सकती है. पारिवारिक विवादों से बचने के लिए धैर्य जरूरी है.
तृतीय भाव
इस भाव पर राहु-केतु का सीधा प्रभाव पड़ने पर भाई-बहनों के साथ तनाव संभव है. छोटी यात्राओं में सावधानी रखनी होती है. मानसिक रूप से थोड़ा बेचैन रह सकते हैं. पराक्रम की भावना बनी रहेगी, लेकिन उसे सही दिशा में लगाना जरूरी होगा.
चतुर्थ भाव
चौथे भाव में राहु-केतु का प्रभाव सीधे तौर पर प्रभावित करता है. राहु के कारण मानसिक अशांति महसूस हो सकती है. गृह सुख में कमी या मां की सेहत को लेकर चिंता हो सकती है. यदि आप वाहन या प्रॉपर्टी खरीदने या उसका सुख पाने के लिए काफी सोच-समझकर निर्णय लेना जरुरी होता है.
पंचम भाव
पंचम भाव में राहु केतु का असर विद्यार्थियों के लिए यह समय ध्यान भटकाने वाला हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो उच्च शिक्षा में हैं. प्रेम संबंधों में भी भ्रम और संदेह की स्थिति बन सकती है. संतान सुख पर भी इसका असर पड़ता है इसलिए धैर्य और संयम रखना होता है.
षष्ठ भाव
छठे भाव में राहु केतु के गोचर का सीधा असर होने पर अनुकूलता मिलती है. रोगों के प्रति जागरूक बनाता है. पेट और स्किन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. शत्रुओं से सावधान रहना होता है लेकिन साथ ही यह समय आपको अपने भीतर छुपी शक्ति और साहस से परिचित भी करवाता है. अपने शत्रुओं को परास्त कर पाते हैं.
सप्तम भाव
राहु केतु का इस भाव में होना वैवाहिक जीवन में दूरी ला सकता है भावनात्मक या भौतिक दोनों. जीवनसाथी के साथ बातचीत में स्पष्टता बनाए रखें. जो लोग व्यापार में साझेदारी करते हैं, उन्हें धोखा मिलने की संभावना देता है, इसलिए डील्स में सावधानी रखनी चाहिए.
अष्टम भाव
यह भाव रहस्यमय ग्रहों के लिए उपयुक्त माना जाता है. राहु-केतु के इस गोचर से यह भाव सक्रिय हो सकता है. दुर्घटनाओं से बचने, जोखिम न लेने की जरुरत होती है. अगर रिसर्च, गूढ़ विद्या या गुप्त विज्ञान से जुड़े हैं तो यह समय लाभदायक हो सकता है. जीवन में अचानक बदलाव की संभावना बनती है.
नवम भाव
राहु केतु के नवम भाव में गोचर से विदेश यात्रा के योग बन सकते हैं, लेकिन वो यात्राएं खर्चीली हो सकती हैं. भाग्य में अस्थिरता महसूस हो सकती है, लेकिन ये समय गुरु से मार्गदर्शन लेने का भी होता है. धर्म और अध्यात्म के प्रति झुकाव बढ़ता है.
दशम भाव
करियर में उतार-चढ़ाव संभव होता है. आपके विरोधी सक्रिय हो सकते हैं, इसलिए काम में पूरी निष्ठा और सतर्कता ज़रूरी है. कोई नया काम शुरू करने से पहले रिसर्च करने की जरुरत होती है. बॉस या उच्च अधिकारियों के साथ अनबन से बचना चाहिए..
एकादश भाव
एकादश भाव में इनका असर मिलाजुला होता है. राहु के गोचर के कारण आशाएं बढ़ सकती हैं. आप बहुत बड़ी योजना बना सकते हैं, लेकिन उसमें भ्रम या अस्थिरता की संभावना रहेगी. मित्रों के साथ मतभेद हो सकते हैं, इस समय पुराने दोस्तों से दूरी महसूस हो सकती है.
द्वादश भाव
राहु का गोचर यहां होने पर खर्चों में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है खासकर स्वास्थ्य, विदेश यात्रा या कानूनी मामलों पर. ध्यान, मेडिटेशन और सेवा कार्यों से राहत मिलेगी. मोक्ष मार्ग पर चलने वालों के लिए यह समय विशेष फलदायक हो सकता है.
मेष राशि के लिए राहु केतु उपाय
केतु के लिए गणेश जी की उपासना करनी चाहिए.
राहु के लिए राहु स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, शनिवार को राहु शांति हवन करना अनुकूल होता है.
दान के लिए नीले कपड़े, उड़द की दाल, सरसों का तेल शनिवार को दान करना चाहिए.
मंत्र जाप “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करना चाहिए.
राहु-केतु का यह गोचर मेष राशि वालों के लिए खुद के भीतर सुधार और आध्यात्मिक विकास का समय होता है. यह गोचर आपको आपके भीतर के भय, भ्रम और बंधनों से परिचित कराता है, ताकि आप अपने सच्चे स्वरूप को समझ सकें और यह समय एक आध्यात्मिक योद्धा की तरह उभरने का भी है.