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सप्तम भाव में सूर्य विवाह पर कैसे डालता है अपना असर

सातवें भाव में बैठा सुर्य बहुत अधिक महत्वपुर्ण प्रभाव डालने वाला माना गया है. सूर्य का असर कुंडली के सातवें घर में जाना मिलेजुले असर दिखाने वाला होता है. जब सूर्य कुण्डली के सप्तम भाव में होता है.

चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक विकार का कारण

ज्योतिष शास्त्र में मानसिक विकार से संबंधित योगों का वर्णन मिलता है. ज्योतिष अनुसार मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विकार एवं नकारात्मक सोच के पीछे ज्योतिषिय कारण बहुत असर डालते हैं. मानसिक रुप से

अपनी कुंडली से जाने शुभ और अशुभ ग्रहों के बारे में विस्तार

कुंडली विषण एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया है, और कुंडली में सभी सूक्ष्म बातों को देखना होता है. इन विवरणों में शुभ और अशुभ ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक कठिन काम है क्योंकि कोई ग्रह एक ही

केतु महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा प्रभाव

केतु महादशा का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दशा के समय व्यक्ति को अस्थिरता अधिक परेशान कर सकती है. जातक अपने लिए उचित एवं अनुचित के मध्य की स्थिति को समझ पाने में कुछ कमजोर रह सकता है. केतु की

सूर्य - केतु का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव

सूर्य और केतु का योग ज्योतिष अनुसार काफी महत्वपूर्ण होता है. यह योग कुंडली में जहां बनता है उस स्थान पर असर डालता है. इस योग को वैसे तो अनुकूलता की कमी को दिखाने वाला अधिक माना गया है. इस योग में

अंगारक योग का असर कैसे डालता है भाग्य पर असर

अंगारक योग कुंडली में मंगल और राहु के एक साथ होने पर बनता है. इस योग में केतु और सूर्य का प्रभाव भी अंगारक योग का निर्माण करता है. यह एक ज्योतिष योग है जिसे खराब योगों की श्रेणी में रखा जाता है.

शनि की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव

शनि महादशा में आने वाले अन्य ग्रहों की दशाओं का प्रभाव जीवन में कई तरह के बदलाव देने वाला होता है. शनि ग्रह को ज्योतिषीय क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है, इसका प्रभाव जीवन को

कुंडली के प्रत्येक 12 भावों में भौम मंगल का प्रभाव

मंगल ग्रह को आक्रामक, क्रियाशीलता एवं शक्ति से संबंधित होता है. मंगल ग्रह साहस, नेतृत्व और प्रभुत्व से जुड़ा है जो मुख्य रूप से हिंसा, आग से होने वाली सभी तबाही का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल क्रोध,

बृहस्पति महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति महादशा का समय एक शुभ दशा के रुप में देखा जाता है. बृहस्पति महादशा की अवधि सोलह वर्ष की अवधि तक रहती है.बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है, इस दशा के समय पर जातक के जीवन में

शुक्र महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव

शुक्र की महादशा 20 वर्ष तक रहती है. यह संपूर्ण दशा चक्र में अन्य ग्रहों के बीच सबसे लंबी अवधि की दशा का प्रभाव देने वाला ग्रह है. ( Xanax ) यह अत्यधिक शुभ ग्रह है, जो सुख-सुविधाओं और भौतिकवादी लाभ को

मंगल महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव

मंगल महादशा सात वर्ष की दशा का प्रभाव रखती है. इस दशा समय पर व्यक्ति मंगल के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होता है. मंगल ग्रह को एक अत्यधिक शक्तिशाली और आक्रामक ग्रह माना गया है. इसकी शक्ति एवं साहस

बुध महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव

बुध, को बुद्धि का ग्रह माना गया है, यह बोलने और वाणी के प्रभाव को दिखाता है. बुध एक शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है इसे सामान्य रूप से सकारात्मक ग्रह माना जाता है. इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई

सूर्य से होने वाले रोग और उनका प्रभाव

सूर्य को ज्योतिष में अग्नि युक्त प्राण तत्व के रुप में माना गया है. ज्योतिष के आकाश में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है. यह जीवन को उसकी समग्र ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर देने में सक्षम होता है.

सूर्य और चंद्रमा की युति का त्रिक भाव पर प्रभाव

ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा का असर आत्मा और मन के अधिकार स्वरुप दिखाई देता है. किसी भी कुंडली में यदि ये दोनों ग्रह शुभस्त हों तो व्यक्ति की आत्मा और मन दोनों ही शुद्ध होते हैं. इसके अलग यदि ये

सूर्य महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का फल

सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है जो शक्ति और आत्मा के लिए कारक रुप में विराजमान है. इस महादशा में जीवन को गति मिलती है. व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को करता है. सूर्य महादशा 6 साल

शनि और केतु की युति क्यों होती है खराब ?

ज्योतिष में शनि ओर केतु दोनों को ही पाप ग्रह की उपाधी प्राप्त है, ऎसे में जब दो पप ग्रह एक साथ होंगे तो इनका युति योग जातक के जीवन में कई तरह अपना असर डालेगा. शनि ग्रह को आदेश, कानून, अनुशासन, न्याय

लग्न अनुसार जाने कैसी रहेगी चंद्रमा की दशा परिणाम और प्रभाव

विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. वैदिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र महादशा का समय दस वर्ष का होता है. चंद्रमा की महादशा का पुर्ण

बारहवें भाव में शुक्र को क्यों माना जाता है शुभ ?

बारहवें भाव में शुक्र क्यों माना जाता है विशेष जन्म कुंडली में बारहवें भाव में शुक्र की स्थिति की कई मायनों में अनुकूल रुप से देखा जाता है. यह अत्यधिक कल्पनाशील शक्ति लाता है. व्यक्ति को चुलबुला,

सूर्य शुक्र का युति योग क्यों प्रभावित करता है प्रेम संबंधों को ?

ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का एक बेहतर स्थान है. सूर्य ग्रह क्रूर होकर भी शुभता को दर्शाते हैं वहीं शुक को भी शुभ ग्रह माना जाता है. पर जब बात आती है इन दोनों के एक साथ होने की तब इस शुभता

शनि क्या रोक सकता है दूसरे ग्रहों का शुभ प्रभाव ?

नव ग्रहों का ज्योतिष शास्त्र एवं जीवन पर असर देखा जा सकता है. शनि का प्रभाव इन सभी ग्रहों के प्रभाव को कम करने अथवा प्रभावित करने में सक्षम होता है. शनि ग्रह के रूप में, लोगों की नियति में सबसे