प्रेम और वैवाहिक संबंधों पर शुक्र राहु का योग
कुंडली में शुक्र और राहु ग्रहों की युति बहुत ही अलग प्रकार के फल देती है. इन दोनों को रिश्तों पर असर डालने वाला योग माना गया है. इन दोनों के कारण व्यक्ति के प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन के सुख पर भी असर देखने को मिलता है. दोनों का प्रभाव सबसे अधिक जीवन की भौतिकता एवं आनंद पर होता है. शुक्र और राहु दोनों भौतिकता के कारक हैं. शुक्र यानि दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य और राहु उनके शिष्य हैं. दोनों ग्रह विलासिता से जुड़े हैं, दोनों का योग व्यक्तिगत सुख और विलासिता पर अधिक केन्द्रित भी दिखाई देता है. जीवन में प्रेम की अनुभूति शुक्र ग्रह से ही प्राप्त होती है जबकि राहु ग्रह इनका प्रयोग असंतुष्ट इच्छाओं के रुप में करता है. कुंडली में राहु शुक्र ग्रह के साथ मिलकर प्रसन्न होता है क्योंकि दोनों का स्वभाव कई मायनों में मेल खाता है. सुख भोग दोनों की प्रधानता है, जीवन में भोग विलास सुख समृद्धि सभी शुक्र ग्रह के अधीन है. इन दोनों ग्रहों का प्राथमिक रुप सुख भोगना है.
प्रेम और विवाह सुख पर राहु और शुक्र डालता है अपना प्रभाव
जन्म कुंडली के जिस भी भाव में ये मौजूद होते हैं उस भाव के सुख पर अपना असर डालते हैं. इसके अलावा व्यक्ति के प्रेम जीवन के लिए भी ये युति योग बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. कुंडली में मौजूद ये दोनों ग्रह केन्द्र और त्रिकोण भाव में जब बैठते हैं तो उसके प्रभाव कुछ सकारात्मक रुप से देखने को मिल सकता है लेकिन जब यह त्रिक भावों में विराजमान होते हैं तो उसके कारण सुख की अनुभूति का स्वरुप खराब एवं अतृप्त इच्छाओं के द्वारा ही अधिक झलकता है.
अगर जन्म कुंडली के पहले घर में राहु और शुक्र की का योग बन रहा है तो युति बहुत लाभकारी होती है. यह योग व्यक्ति को रिश्तों में आगे रहने का उत्साह देता है. मिलनसार ओर प्रेम पूर्वक काम करने की कोशिश भी होती है. व्यक्ति अपने ज्ञान और विद्वता के बल पर दूसरों को अपने साथ कर लेने में योग्य होता है. राहु-शुक्र की युति में व्यक्ति कई बार कम उम्र में ही प्रेम के प्रति आस्कत दिखाई देने लगता है. अगर कोई अन्य खराब असर पड़ रहा हो तो ब्रेकअप भी जल्द होने की संभावना रह सकती है अथवा प्रेम विवाह के योग बनते हैं लेकिन तालमेल नहीं बन पाता है.
दूसरे भाव में शुक्र और राहु की युति योग क असर प्रेम के क्षेत्र में कई तरह के उतार-चढ़ाव देने वाला होता है. आय और धन का प्रतिनिधित्व करते हुए इस भाव में प्रेम से भी लाभ की इच्छा अधिक होती है. दूसरों की ओर से अच्छा सहयोग कम मिल पाता है. व्यक्ति रिश्तों में कई बार जोखिम अधिक उठाता है. अपने प्रेम के प्रति उसका भाव काफी अधिक जुनूनी हो सकता है. वह अपने रिश्तों पर अधिकार जताने वाला हो सकता है.
तीसरे भाव में शुक्र और राहु की युति का योग प्रेम के संदर्भ में व्यक्ति को ठहराव कम दे पाता है. व्यक्ति में नकारात्मक आत्मविश्वास के चलते अपने रिश्तों पर अधिक भरोसा करके परेशानी को झेल सकता है.
चतुर्थ भाव में शुक्र और राहु का योग होने के कारण व्यक्ति को प्रेम विवाह का सुख प्राप्त होता है. कुछ मामलों में वह इस योग के द्वारा अपनी परंपरा से हट कर विवाह बंधन को अपनाता है. परिवार में उसके रिश्ते अधिक मजबूत नहीं होते हैं लेकिन अपने प्रेम के प्रति समर्पण बहुत अधिक होता है.
छठे भाव में राहु और शुक्र का योग होने से प्रेम संबंधों में तो जाते हैं लेकिन इसमें सफलता के लिए संघर्ष अधिक रहता है. व्यक्ति अपने रिश्ते में मानसिक रुप से असंतुष्ट ज्यादा रहता है. अपने वैवाहिक जीवन में उसे काफी उतार-चढ़ाव जेलने पड़ते हैं.
पंचम भाव में शुक्र और राहु का योग व्यक्ति को एक से अधिक संबंध देने वाला होता है. इसका असर प्रेम विवाह की संभावना जो बढ़ता है. व्यक्ति बौद्धिक रुप से यौन संबंधों के प्रति भी आकर्षित होता है.
सप्तम भाव में राहु और शुक्र का होना प्रेम विवाह की संभावना बनाता है. इस के प्रभाव द्वारा व्यक्ति अपने जीवन सतही के साथ प्रेम पूर्वक जीवन का आनंद लेता है. विवाहेत्तर संबंधों का प्रभाव भी इस युति योग में देखने को मिलता है.
अष्टम भाव में राहु और शुक्र की युति का होना प्रेम जीवन में गुप्त संबंधों को दर्शाता है. जीवन साथी के साथ रिश्ते में अस्थिरता अधिक बनी रह सकती है. विवाह संबंधों में यह विच्छेद की स्थिति का कारण बन सकता है. व्यक्ति बाहरी सुंदरता से अधिक आकर्षित हो सकता है.
नवम भाव में राहु और शुक्र का योग प्रेम संबंधों के मामले में लव मैरिज क अयोग देता है. वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव अधिक रह सकते हैं. अपने धर्म से हटकर भी वह विवाह बंधन में शामिल हो सकता है.
दशम भाव में राहु और शुक्र की युति का असर व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्ति का साथ देता है. अपने प्रेम संबंधों में वह एक साथी के रुप में सहयोग एवं प्रेम पूर्ण साथी को पाने में सफल रहता है.
एकादश भाव में राहु और शुक्र की युति से आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है. इस दौरान अच्छी सुख-सुविधा रहती है. यह संयोजन बड़ी वित्तीय सफलता लाता है. थोड़ी सी मेहनत से धन कमाया जा सकता है.
बारहवें भाव में राहु और शुक्र का योग प्रेम जीवन के लिए अनुकूलता की कमी का कारण बन सकता है. इसका असर प्रेम संबंधों में धोखा मिलने की स्थिति को दिखाता है. रिश्ते में दूरी और अनैतिक संबंधों को दर्शाने वाला होता है.