कर्क लग्न का छठा नवांश धनु राशि का होता है. यह नवांश गुरू के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही यह नवांश जातक के स्वरूप को भी एक ओजपूर्ण व्यक्तित्व देने वाला होता है. जातक का रंग गौरवर्ण का होता है उसकी आंखे सुंदर व बडी़ होती हैं.
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मकरस्थ सूर्य का फल | Sun Aspecting Capricorn मकर में स्थित सूर्य का फल कुछ कम ही होता है. मकर जोकि शनि की राशि है अत: इस राशि में स्थित होने पर सूर्य कुछ अधिक अच्छे फल नहीं दे पाता है. मकर राशि में प्रवेश ही उत्तरायण के प्रारंभ का समय होता
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वैदिक ज्योतिष में किसी भी ग्रह की शुभता या अशुभता जन्म कुंडली के लग्न पर निर्भर करती है क्योकि हर लग्न के लिए सभी ग्रहों का फल भिन्न होता है. यदि एक ग्रह किसी के लिए शुभ है तब यह जरुरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी शुभ ही हो. इसलिए शुभता व
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ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों की दो-दो राशियां हैं. इस प्रकार जब हम किसी एक ग्रह की दोनों राशियों का आंकलन करते हैं तो उसमें विभिन्नता स्वभाविक रूप से विद्यमान रहती है. इन राशियों की अपनी विशेषताएं होती हैं और इनके
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कर्कस्थ चंद्रफल | Moon Aspecting Cancer चंद्रमा का कर्क में स्थित होना चंद्रमा की स्थिति को प्रबल बनाने में सहायक होता है. यह स्थिति व्यक्ति की मानसिकता और व्यक्तिगत भावनाओं में संतुलन लाने का प्रयास करती है. यह स्थिति काफी अनुकूल मानी
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आप में से अधिकतर लोगो ने जन्म कुंडली के बारे में अवश्य ही सुन रखा होगा. जन्म कुंडली या जन्मपत्री व्यक्ति के जीवन की घटनाओ की संभावना बताती है. जीवन में कौन सा समय अच्छा तो कौन सा समय व्यक्ति के लिए बुरा हो सकता है आदि बातों की का
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वक्री ग्रहों के बारे में यह विचार करना की वह किस प्रकार के फलों को देने वाले होते हैं, इस तथ्य की पुष्टी में कई विचारों का समावेश मिलता है. इसके विषय में प्राचीन ज्योतिषी ग्रंथों में कुछ बातें कहीं गई हैं कुछ के अनुसार वक्री ग्रह अपने फलों
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जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है. इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है. पराक्रम भाव होने पर व्यक्ति के बाहु बल का विचार किया
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कर्क लग्न का नौवां नवांश मीन राशि का होता है. मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. बृहस्पति के प्रभाव में होने से और इस नवांश का काफी अनुकूल प्रभाव जातक को प्रभावशाली फल देने वाला होता है. इसके प्रभाव से जातक का व्यक्तिव आकर्षण से युक्त
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सिंह लग्न का चौथा नवांश मेष राशि का होता है. यह नवांश मे जन्मे बच्चे पर मंगल ग्रह का प्रभाव भी रहता है क्योंकि मेष नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. नवांश लग्न के प्रभाव के कारण जातक का रंग मध्यम, कमर पतली और आंखें भूरापन लिए होती हैं. देह से
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व्यवसाय क्षेत्र में व्यक्ति का रुझान किस ओर रह सकता है या कौन सा ग्रह जातक के व्यवसाय के लिए अनुकूल रह सकता है इन बातों को जानने से पूर्व ग्रहों की व्यवसाय क्षेत्र में महत्ता को समझने की आवश्यकता होती है. कौन सा ग्रह किस व्यवसाय के लिए
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मेषगत चंद्रमा योग फल | Moon Aspecting Aries Sign मेषगत चंद्रमा के होने पर चंद्रमा इसके तत्वों में स्वयं को समाहित पाता है. चंद्रमा के साथ इसका समायोजन होने से व्यक्ति में सौंदर्य का आगमन होता है. वह आकर्षक रंग रूप का और गौरवर्ण का होता है.
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कर्क लग्न का चौथा नवांश तुला राशि का होता है. यह नवांश जातक के सुख स्थान संबंधी परिस्थितियों का स्थान बी होता है जिससे जुडी़ सभी बातें जातक के लिए आवश्यक होती हैं और जीवन भर वह इन सभी के विषय में अधिक सोच-विचार भी करता है. कर्क लग्न के
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होटल व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता का निर्धारण कुण्डली के दूसरे भाव, चौथे भाव और एकादश भाव से करना चाहिए. यह स्थान जातक के लिए विशेष प्रभावशाली माने जाते हैं. इसके साथ-साथ इस क्षेत्र में सफलता के लिए शुक्र का होना महत्वपूर्ण माना जाता है.
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कर्क लग्न का आठवां नवांश कुम्भ राशि का होता है, इस राशि के स्वामी शनि हैं यह नवांश राशि शनि की मूलत्रिकोण राशि भी है जिस कारण इस नवांश का प्रभाव शनि की शुभता को अधिक विस्तार से दर्शाने में सहायक होता है. कर्क लग्न में यदि जातक का आठवां
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आज हम आपको शनि का फल विभिन्न भावों में बताने का प्रयास करेगें. शनि का फल हम मेष से कन्या राशि में बताने का प्रयास करेगें कि किस तरह के फल शनि प्रदान करते हैं. शनि का फल मेष राशि में | Saturn’s effects in Aries sign आइए मेष राशि के शनि से
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ज्योतिष में चिकित्सा विज्ञान पर कई शोध किए गए हैं जिनके द्वारा जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कौन सा रोग अधिक प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ नक्षत्रों का भी रोग विचार करने में महत्वपूर्ण स्थान होता
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कर्क लग्न का तीसरा नवांश कन्या राशि का होता है. इस नवांश के स्वामी बुध हैं. इस नवांश के होने से जातक का रंग साफ और गोरा होता है. आंखें सुंदर तथा पैनी दृष्टि होती है व शरीर कोमल होता है. जातक में अधिक परिश्रम करने कि चाह नहीम होती अधिकतर
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सूर्य के तुलागत होने के कारण इसे संगती दोष लगता है, इस स्थिति में सूर्य अपनी शक्ति से क्षीण होता है, इस स्थिति सूर्य की निर्बल स्थिति मानी जाती है. जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को अनुकूल फल नहीं मिल पाते हैं. उसे सूर्य के मिलने वाले शुभ फलों में
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कर्कगत सूर्य का फल | Results For Sun Aspecting Cancer कर्क गत सूर्य के होने से सूर्य का चंद्रमा की राशि में होना और अपने मित्र राशि में होना माना जाता है. यह एक अच्छी स्थिति ही मानी जाती है जिसमें व्यक्ति को कार्यों को करने में चपलता