वैदिक ज्योतिष में यदि हम सूक्ष्मता से देखें तो हर व्यक्ति के चारित्रिक गुण तथा दोषो का पता लगाने में कामयाब हो सकते हैं. व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके व्यक्तित्व के बारे में सभी कुछ बताने में सक्षम होती है. कुछ व्यक्ति चारित्रिक गुणों की खान
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कुण्डली में ग्रहों की स्थिति और उनकी युति कई प्रकार के प्रभावों को सामने लाती है. जातक पर उनका अनेक प्रकार से प्रभाव देखा जा सकता है जीवन में आने वाले उतार-चढावों में ग्रहों की स्थिति व संबंध बहुत प्रभाव डालने वाले होते हैं. कुण्डली में
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मिथुन लग्न का नौवां नवांश मिथुन का ही होता है इस कारण से यह वर्गोत्तम स्थिति को पाता है. यह स्थिति काफी अच्छी मानी गई है इस नवांश के फलस्वरूप जातक को बुध से संबंधित फलों की प्राप्ति होती है. यह नवांग लग्न जातक को उत्तम स्थिति देने में सफल
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वैदिक ज्योतिष हो, जैमिनी हो या फिर पाश्चात्य ज्योतिष की ही बात क्यूँ ना करे, सभी में राशियों का महत्व माना गया है. जैमिनी ज्योतिष में तो सारी दशाएँ ही राशियों की होती है. राशियों की इस श्रृंखला में आज हम मिथुन लग्न की विशेषताओ पर चर्चा
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वैदिक ज्योतिष के अन्तर्गत ही चिकित्सा ज्योतिष का भी वर्णन मिलता है. इसके माध्यम से व्यक्ति के साथ होने वाले अरिष्ट का पता पहले से ही लगाया जा सकता है. हर कुंडली में स्वास्थ्य के कुछ मापदंड पहले से ही निर्धारित होते हैं. उनके अनुसार व्यक्ति
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जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है. इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है. पराक्रम भाव होने पर व्यक्ति के बाहु बल का विचार किया
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भचक्र में स्थित सभी बारह राशियों का अपना स्वतंत्र महत्व होता है. सभी के अपने कारकत्व, विशेषताएँ और महत्व होता है. जब कोई एक राशि लग्न में उदय होती है तब उसका प्रभाव व्यक्ति विशेष की कुंडली पर पड़ता है. राशियों की इस श्रृंखला में आज हम कर्क
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मिथुन लग्न का आठवां नवांश वृष राशि का होता है. इस राशि के नवांश स्वरूप जातक देखने में हष्ट-पुष्ट व बलशाली होता है.गठा हुआ शरीर होता है. इस नवांश के स्वामी ग्रह शुक्र हैं इसमें जन्मे जातक की त्वचा कोमल और सुंदर होती है. कद काठी अच्छी होती
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अभी तक हम आपके समक्ष वैदिक ज्योतिष की बहुत सी बातों की चर्चा हम करते आ रहे हैं. वैदिक ज्योतिष के मूलभूत आधार बिंदुओ की हम चर्चा करते आ रहे है. इन्हीं कड़ियों को आगे बढ़ाते हुए आज हम सिंह राशि की चर्चा करेगें. सिंह राशि का परिचय, इसके
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हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह अपने सपनो का घर अवश्य बनाएँ. जिसे वह अपने मन से सजाए-संवारे. आप में से बहुत से लोगों का यह सपना पूरा हो जाता है लेकिन बहुत से लोग अपने इस सपने को पूरा ही नही कर पाते हैं. कोई ना कोई अड़चन राह में आ जाती है.
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मिथुन लग्न का छठा नवांश मीन राशि का होता है जिसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. मिथुन लग्न का यह नवांश काफी अनुकूल फल देने वाला होता है. इसके प्रभाव से जातक का व्यक्तिव आकर्षण से युक्त होता है और जातक दूसरों को प्रभावित करने में काफी सक्षम
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आज हम आपको कन्या लग्न के बारे में सामान्य जानकारी देने का प्रयास किया जाएगा. आने वाले समय में इसकी आपको विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. कन्या लग्न के व्यक्ति की विशेषताएँ, उसके लिए शुभ्-अशुभ ग्रह आदि का वर्णन किया जाएगा. इस लग्न के
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वज्रमुष्टि योग के विषय में कई ज्योतिषी ग्रंथों में लिखा गया है, इस योग के बारे में कई प्रकार के फलों को भी बताया गया है जिसमें से प्रमुख तो यह है कि स्वास्थ्य में कमी का सामना करना पड़ता है और जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट होता है. इस योग को
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मिथुन लग्न का पांचवां नवांश कुम्भ राशि का होता है. इस नवांश के स्वामी ग्रह शनि हैं जिनके अनुरूप इस नवांश पर शनि का प्रभाव भी परिलक्षित होता है. पांचवें नवांश में जन्म होने के कारण जातक का चेहरा बडा़ और आभा से युक्त होगा गोल चेहरा हो सकता
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वैदिक ज्योतिष में व्यक्ति विशेष के लग्न पर काफी जोर दिया गया है. जन्म कुंडली में लग्न के आधार पर ही फलकथन किया जाता है. लग्न यदि बली है तब व्यक्ति बहुत सी परेशानियों को झेलने में कामयाब रहता है और यदि लग्न कमजोर है तब व्यक्ति में बहुत सी
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मिथुन लग्न के सातवें नवांश में मेष राशि आती है. इस नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. मिथुन राशि के सातवें नवांश में जन्मा जातक मंगल के प्रभाव से पूर्ण होता है. जिसके फलस्वरूप जातक का कद लम्बा और रंग साफ होता है. चेहरा लालिमा लिए होता है. छाती
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आज हम आपको वृश्चिक लग्न के बारे में बताने का प्रयास करेगें. वृश्चिक लग्न की क्या विशेषताएं होती है और कौन से ग्रह इस लग्न के लिए शुभ होते हैं और कौन से अशुभ होते हैं. साथ ही यह भी बताया जाएगा कि इस लग्न के लिए कौन से रत्न शुभ रहेगें.
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वैदिक ज्योतिष में बारह राशियों का वर्णन किया गया है. इन्हीं बारह राशियो में से ही कोई एक राशि व्यक्ति विशेष के लग्न में उदय होती है. जो राशि लग्न में उदय होती है उसी के अनुसार व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित होता है. उसी लग्न के आधार पर
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मिथुन लग्न का चौथा नवांश मकर राशि का होता है. मकर राशि का स्वामी शनि है इस लिए इस नवांश लग्न पर शनि का स्वामित्व रहता है. इस नवांश लग्न के प्रभावस्वरूप जातक का मस्तक चौडा़ तथा आंखे सुंदर होती हैं. घने व सुंदर बाल होंगे. शारीरिक रूप से
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मिथुन लग्न का तीसरा नवांश धनु राशि का होता है और इसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. इस नवांश के होने से जातक में साहस की कमी नहीं होती है. जातक अपने परिश्रम और मेहनत के बल पर आगे बढ़ता रहता है. जीवन में कुछ न कुछ परिवर्तनों की मांग इसमें बनी