जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है. इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है. पराक्रम भाव होने पर व्यक्ति के बाहु बल का विचार किया जाता है. साहस, वीरता आदि के लिये भी तीसरे भाव देखा जाता है. कुण्डली में यदि तीसरा भाव कमजोर हो तो व्यक्ति के साहस में कमी देखी जा सकती है.
जातक की मानसिक स्थिति की मजबूती भी यही भाव उसे देता है. इससे जातक कि रुचि व शौक देखे जाते है. यह घर लेखन की भी जानकारी देता है. इस भाव से जातक में संगीत के प्रति लगाव को भी देखा जाता है. इस घर में जो भी राशि होती है उसके गुणों के अनुसार व्यक्ति का शौक होता है.
कुण्डली में तीसरे भाव का महत्व | Importance of Third House in Your Kundali
तीसरे घर से लेखन तथा कम दूरी की यात्राओं का विचार किया जाता है. बुद्धि तथा पराक्रम होने से सभी काम सरलता से पूरा जाता हैं. इसलिए इस भाव से कार्य कुशलता के विषय में भी जाना जा सकात है. कम्युनिकेशन के लिए, सभी प्रकार के समाचार पत्र, मीडिया व संप्रेषण संबन्धी कार्य इसी घर से देखे जाते है, प्रकाशन संस्थाएं भी इस भाव के अन्तर्गत आती है.
भाई-बन्धुओं में कमी के लिये इस घर से विचार किया जाता है यह उनके स्वास्थ्य का बोध भी कराता है. पड़ोसियों से सम्बन्ध का भी विचार इससे घर से किया जा सकता है. कार्य क्षेत्र में बदलाव का कारण भी बन सकता है. खेल-कूद में सफलता के लिए भी इसी घर से विचार किया जाता है.
इस भाव को अपोक्लिम भाव, उपचय भाव, त्रिषढाय के नाम से भी जाना जाता है. यह भाव गरदन, भुजाएं, छाती का ऊपरी भाग, कान, स्नायुतंत्र इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है. यह भाव दायें कान, दायें बाजू, जननांग का दायें भाव की व्याख्या करता है.
तृतीय भाव से कुण्डली के बारे में जानने हेतु जातक के इस भाव में किस ग्रह की युति है और किस भाव से इसका संबंध आ रहा है इन सभी बातों को समझना आवश्यक होता है, किसी जातक के जीवन काल में उसकेभाईयों तथा दोस्तों से होने वाले लाभ तथा हानि के बारे में जानकारी प्राप्त करने केलिए कुंडली के इस भाव का ध्यानपूर्वक अध्ययन में यह देखा होता है कि कुंडली में तीसरा भाव कितना मजबूत है.
कुण्डली के तृतीय भाव का फल कथन | Predictions through Third House in Your Kundali
यदि तीसरा भाव मजबूत हो और किसी अच्छे ग्रह के प्रभाव में हो तो ऎसी स्थिति में जातक परिश्रम करने से अपने जीवन काल में अपने भाईयों, दोस्तों की सहायता भी खूब पाता है. अपनी मेहन और साहस से जातक खूब सफलताएं पाता है. लोगों का पूर्ण सहयोग भी जातक को ऊंचाईयां छूने में मददगार होता है.
समर्थकों के सहयोग से सफलतायें प्राप्त करते हैं, जबकि दूसरी ओर यदि जातक की कुंडली में तीसरे भाव पर अशुभ बुरे ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में अपने भाईयों तथा दोस्तों के कारण बार-बार हानि उठाते हैं तथा इनके दोस्त या भाई इनके साथ बहुत जरुरत के समय पर विश्वासघात भी कर सकते हैं.
शरीर के कुछ हिस्सों तथा श्वास लेने की प्रणाली को भी दर्शाता है तथा इस भाव पर किसी बुरे ग्रह का प्रभाव कुंडली धारक को मस्तिष्क संबंधित रोगों अथवा श्व्सन संबंधित रोगों से पीड़ित कर सकता है।
कुण्डली का तृतीय भाव यदि राहु केतु से प्रभावित हो तो जातक संतान रूप में अपने घर में ज्येष्ठ या अनुज होता है. साथ ही उसमें भाव में राहु और केतु का प्रभाव पड़ने से परेशानी भी आती है. यह संबंधों में तनाव को भी ला सकता है. तीसरा भाव उच्चता लिए हो तो स्वाभिमान में बल आता है जातक को लोगों का सामना करने की हिम्मत मिलती है.