कर्कस्थ बुध योगफल | Mercury Aspecting Cancer कर्कस्थ राशिगत में बुध के होने पर जातक में वाक चातुर्य के साथ एक हास्यात्मक पुट भी आता है जो उसकी शैली को अलग ही अंदाज देता है. इस प्रभाव में जातक में हास्य और व्यंग की चाटुकारिता आती है. जिससे
Read More..
जन्म कुण्डली के लग्न भाव के बाद दूसरा भाव आता है. दूसरे भाव को द्वितीय भाव, धनभाव, कुटुम्ब स्थान, वाणी स्थान, पनफर और मारक स्थान भी कहा जाता है. दूसरे भाव की कई बाते हैं जिनके द्वारा कुण्डली को समझने में सहायता प्राप्त होती है और उसके
Read More..
वैदिक ज्योतिष में किसी बात के निर्धारण के लिए सबसे पहले कुंडली के योगो को देखा जाता है. फिर उस बात से संबंधित दशा/अन्तर्दशा का विश्लेषण किया जाता है. अंत में गोचर के ग्रहों को देखा जाता है कि वह कब हरी झंडी दिखाएंगे. आज हम एक महिला की
Read More..
कर्क लग्न का सातवां नवांश मकर राशि का होता है यह शनि की राशि का नवांश है. जातक की कुण्डली में यह जन्म कुण्डली के नवांश में सप्तम भाव का उदय है इस स्थिति में जातक के जीवन का यह भाग उसे अधिक प्रभावित करने वाला रह सकता है. जातक का यह लग्न
Read More..
वर्षफल में दशा विचार के लिए कुछ सिद्धांतों को समझते हुए वर्षफल कुण्डली को जानने में सहायता मिलती है. यदि दशा में भाव और ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो तो फल भी अच्छे प्राप्त होते हैं और जातक को जीवन में सुख एवं संतोष की प्राप्ति होती है. लग्न
Read More..
वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह अच्छे और बुरे दोनो ही प्रकार के फल प्रदान करने में सक्षम होता है. यह फल ग्रह की कुंडली में स्थित पर निर्भर करते हैं कि वह कि किसी कुंडली विशेष के लिए शुभ है या अशुभ है अथवा शुभ होकर कमजोर तो नहीं है. आज हम सूर्य
Read More..
तुलागत चंद्रफल | Moon Aspecting Libra Sign चंद्रमा के तुला राशि में होने से जातक का मन ख्यालों और कल्पनाओं की उडा़न में लगा रहता है. तुलागत चंद्रमा होने से व्यक्ति अकेले रहना पसंद नहीं करता है उसे सभी के साथ तथा साझेदारी में पनपने की चाह
Read More..
कर्क लग्न का पांचवां नवांश वृश्चिक राशि का होता है. जातक गम्भीर, प्रखर बुद्धि का आदर्शवादी, उत्साही व चंचल प्रकृति का होता है. इस नवांश वाले जातक सौम्य प्रकृति के होते हैं. इस नवांश का स्वामी मंगल है और यह एक जलतत्व की राशि में होने से
Read More..
वैदिक ज्योतिष में हर राशि में हरेक ग्रह का अपना भिन्न प्रभाव होता है. राशि के कारकत्व तथा ग्रह के कारकत्व मिलकर ही व्यक्ति को फलों की प्राप्ति कराते हैं. कई बार शुभ तो कई बार अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. कुछ राशि में ग्रह अनुकूल फल
Read More..
जन्म कुण्डली द्वारा जातक के कैरियर के बारे में जानकारी प्राप्त करने में योगों का बहुत योगदान रहता है आज के समय में देश-विदेशों के साथ संपर्क साधना बहुत आसान हो गया है ग्लोबलाईजेशन के इस युग में हवाई जहाजों द्वारा देश विदेश मे आवागमन बढते
Read More..
कर्क लग्न का छठा नवांश धनु राशि का होता है. यह नवांश गुरू के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही यह नवांश जातक के स्वरूप को भी एक ओजपूर्ण व्यक्तित्व देने वाला होता है. जातक का रंग गौरवर्ण का होता है उसकी आंखे सुंदर व बडी़ होती हैं.
Read More..
मकरस्थ सूर्य का फल | Sun Aspecting Capricorn मकर में स्थित सूर्य का फल कुछ कम ही होता है. मकर जोकि शनि की राशि है अत: इस राशि में स्थित होने पर सूर्य कुछ अधिक अच्छे फल नहीं दे पाता है. मकर राशि में प्रवेश ही उत्तरायण के प्रारंभ का समय होता
Read More..
वैदिक ज्योतिष में किसी भी ग्रह की शुभता या अशुभता जन्म कुंडली के लग्न पर निर्भर करती है क्योकि हर लग्न के लिए सभी ग्रहों का फल भिन्न होता है. यदि एक ग्रह किसी के लिए शुभ है तब यह जरुरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी शुभ ही हो. इसलिए शुभता व
Read More..
ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों की दो-दो राशियां हैं. इस प्रकार जब हम किसी एक ग्रह की दोनों राशियों का आंकलन करते हैं तो उसमें विभिन्नता स्वभाविक रूप से विद्यमान रहती है. इन राशियों की अपनी विशेषताएं होती हैं और इनके
Read More..
कर्कस्थ चंद्रफल | Moon Aspecting Cancer चंद्रमा का कर्क में स्थित होना चंद्रमा की स्थिति को प्रबल बनाने में सहायक होता है. यह स्थिति व्यक्ति की मानसिकता और व्यक्तिगत भावनाओं में संतुलन लाने का प्रयास करती है. यह स्थिति काफी अनुकूल मानी
Read More..
आप में से अधिकतर लोगो ने जन्म कुंडली के बारे में अवश्य ही सुन रखा होगा. जन्म कुंडली या जन्मपत्री व्यक्ति के जीवन की घटनाओ की संभावना बताती है. जीवन में कौन सा समय अच्छा तो कौन सा समय व्यक्ति के लिए बुरा हो सकता है आदि बातों की का
Read More..
वक्री ग्रहों के बारे में यह विचार करना की वह किस प्रकार के फलों को देने वाले होते हैं, इस तथ्य की पुष्टी में कई विचारों का समावेश मिलता है. इसके विषय में प्राचीन ज्योतिषी ग्रंथों में कुछ बातें कहीं गई हैं कुछ के अनुसार वक्री ग्रह अपने फलों
Read More..
जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है. इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है. पराक्रम भाव होने पर व्यक्ति के बाहु बल का विचार किया
Read More..
कर्क लग्न का नौवां नवांश मीन राशि का होता है. मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. बृहस्पति के प्रभाव में होने से और इस नवांश का काफी अनुकूल प्रभाव जातक को प्रभावशाली फल देने वाला होता है. इसके प्रभाव से जातक का व्यक्तिव आकर्षण से युक्त
Read More..
सिंह लग्न का चौथा नवांश मेष राशि का होता है. यह नवांश मे जन्मे बच्चे पर मंगल ग्रह का प्रभाव भी रहता है क्योंकि मेष नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. नवांश लग्न के प्रभाव के कारण जातक का रंग मध्यम, कमर पतली और आंखें भूरापन लिए होती हैं. देह से