Articles in Category Basic Astrology
अश्विनी नक्षत्र वालों में होती हैं ये खूबियां जो जीत सकती हैं आपका दिल
भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है. अश्चिनी नक्षत्र दो "अश्विन" से उत्पन्न हुआ नक्षत्र है. यह दो सितारो का समूह है. लेकिन कुछ अन्य मतानुसार अश्विनी
तत्वों के अनुसार व्यवसाय का चयन | Classification of Career on the Basis of Ruling Element
ज्योतिष शास्त्र व्यवसाय एवं नौकरी का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नौ ग्रह और बारह राशियां मिलकर जातक के कैरियर या व्यवसाय का निर्धारण करती हैं तथा उनसे संबंधित कामों को दर्शाती हैं.
अपने लग्न से जाने शुभ और अशुभ ग्रह के बारे में
ज्योतिष में नौ ग्रहों का जिक्र किया गया है. इन ग्रहों में से कोई भी ग्रह शुभ अथवा अशुभ हो सकता है क्योकि हर लग्न के लिए शुभ अथवा अशुभ ग्रह भिन्न होते हैं. इस लेख में पाठको को सभी बारह लग्नों के लिए
खुद जाने, की क्या आपकी कुंडली में भी बनता है काल सर्प दोष ?
ज्योतिष में बहुत से अच्छे अथवा बुरे योगों का उल्लेख किया गया है. इन्हीं योगो में से एक योग कालसर्प योग भी है. इस योग के बारे में बहुत सी भ्रांतिया लोगो के मध्य फैली हुई है. किन्तु सही क्या है यह कहना
विवाह सहम - Vivah Saham - Sensitive Marriage Point in Horoscope
जन्म कुण्डली में सप्तम भाव से विवाह का विश्लेषण किया जाता है. विवाह कब होगा, कैसा होगा आदि सभी बाते सप्तम भाव, सप्तमेश तथा इनसे संबंध बनाने वाले ग्रहों के आधार पर देखी जाती हैं. सबसे पहले तो सप्तम से
ज्योतिष से व्यक्तित्व विचार | Analyzing Personality Through Astrology
ज्योतिष की मान्यता है कि प्राणपद लग्न कर्क राशि में स्थित होने पर व्यक्ति में दिखावे की प्रवृति होती है. चन्द्रमा अथवा राहु पांचवे घर में स्थित हो अथवा उनमें दृष्टि सम्बन्ध बन रहे हों तो व्यक्ति
भ्रामरी योगिनी दशा | Bhramari Yogini Dasha
भ्रामरी दशा योगिनि दशा में चौथे स्थान पर आती है. यह मंगल की दशा होती है. मंगल से प्रभावित इस दशा में व्यक्ति के भीतर पराक्रम एवं परिश्रम द्वारा समाज में अपना स्थान अर्जित करने की कोशिश में प्रयासरत
धान्या योगिनी दशा | Dhanya Yogini Dasha
धान्या दशा योगिनी दशाओं में तीसरे स्थान पर आती है. इसका संबंध गुरू से है और इसके स्वामी भी वही हैं. इसकी समय अवधि 3 वर्ष की मानी गई है. धान्या संबंध गुरू से होने के कारण यह दशा शुभता देने वाली कही गई
सभी लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह | Auspicious and Inauspicious Planets for All Ascendants
नैसर्गिक रूप से कुछ ग्रहों को शुभ और कुछ को अशुभ कहा गया है. लेकिन इनका शुभ या अशुभ फल जन्म समय पर निर्धारित होता है. इसी के आधार पर फल का निर्धारण होता है परंतु साथ ही साथ भिन्न भिन्न लग्नों के लिए
कुण्डली में सप्तमस्थ सूर्य का महत्व | Importance of Sun in the Seventh house of a Kundali
कुण्डली के सातवें भाव में स्थित सूर्य को अलगाववादी और विच्छेदकारी कहा गया है. इसी के साथ साथ वैवाहिक जीवन के लिए भी इसे अच्छा नहीं माना गया है परंतु इन तथ्यों की सत्यता के विषय में जानने के लिए
वर्ष फल कुण्डली में द्वादश भाव में ग्रहों का महत्व | Significance of Planets in the Twelfth House of Varshphal Kundali
वर्ष फल कुण्डली में द्वादश भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है जिसके अनुसार वह अपने फल देने में सक्ष्म होते हैं. इसमें से कुछ इस प्रकार
वर्ष फल कुण्डली के दूसरे भाव से जाने कैसी होगी इस साल आपकी इनकम
वर्ष फल कुण्डली में दूसरे भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है जिसके अनुसार वह अपने फल देने में सक्ष्म होते हैं. इसमें से कुछ इस प्रकार
वर्षफल कुण्डली से जाने कैसा रहेगा दशम भाव में ग्रहों का फल
वर्ष फल कुण्डली में दशम भाव में स्थित ग्रहों के प्रभाव, जातक के जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं. वर्ष फल कुण्डली ज्योतिष शास्त्र की तीन शाखाओं में से एक है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष घटनाओं
वर्ष कुण्डली के छठे भाव में बैठे ग्रह ऎसे दिखाते हैं अपना असर
वर्ष फल कुण्डली में छठे भाव में बैठे ग्रहों का प्रभाव जानने हेतु कई प्रकार के तथ्यों को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक होता है. ग्रहों का शुभता होने से जातक आनंद व सुख की अनुभूति कर पाता है, परंतु
जैमिनी ज्योतिष और स्वास्थ्य | Jaimini Astrology and Health
ज्योतिष में कई प्रकार की विवेचना से आप यह जान सकते हैं कि सेहत में होने वाले बदलाव किस प्रकार आपको प्रभावित कर सकते हैं ओर आपके साथी को कौन सी स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी आपके तनाव क अकारण बन
लक्ष्मी स्वरुप श्री यंत्र | Shri Yantra For Goddess Lakshmi
श्रीयंत्र में लक्ष्मी जी वास माना गया है. सभी यंत्रों में श्रेष्ठ स्थान पाने के कारण इसे यंत्रराज भी कहते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी से बैकुंठ धाम चली जाती हैं, इससे पृथ्वी
कुण्डली के बलवान ग्रह बदल सकते हैं आपके जीवन की दिशा
बलिष्ठ लग्न दशा | Balishtha Lagna Dasha शुभ स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा, सम्मान, सरकार द्वारा अनुग्रहीत कराती है. मध्यम बल दशा सामान्य प्रभाव देने वाली होती है. लाभ मिश्रीत परिणामों से युक्त होंगे. बाधाओं
ज्योतिष से जाने कैसी होगी आपकी आर्थिक स्थिति और आय के योग
आज के भगदौड़ वाले समय में व्यवसाय या नौकरी में प्रमोशन की चाह सभी के मन में देखी जा सकती है. अक्सर देखने में आता है कि कुछ व्यक्तियों को अत्यधिक परिश्रम के बावजूद भी आशानुरूप सफलता नहीं मिल पाती है
कुण्डली में दशानाथ फल विचार | Results of Dashanath in a Kundali
कुण्डली में दशा व अन्तर्दशानाथ परस्पर केन्द्र व त्रिकोण भाव में होने पर शुभ व सुखदायी हो जाते हैं. इस बात को अनेक प्रकार से समझा जा सकता है. जातक परिजात इत्यादि पुस्तकों में दशानाथ के केन्द्र व
कुंडली के कौन से भाव से आती है जीवन में समस्या आईये जानें इसका रहस्य
ज्योतिष में नौ ग्रहों का प्रभाव पूर्ण रुप से प्रदर्शित होता है. सभी ग्रह अपने कारक स्वरुप को पूर्ण रुप से व्यक्त करते हैं. जातक के जीवन पर होने वाले प्रभाव कुण्डली में स्थित ग्रहों के प्रभाव द्वारा