Articles in Category Basic Astrology

प्रश्न कुंडली से कैसे जाने अपने जीवन के छुपे हुए रहस्य, जानते हैं विस्तार से

प्रश्न कुण्डली में लग्न, चन्द्र तथा नवाँश की भूमिका अहम मानी जाती है. प्रश्न कुण्डली में लग्न को पुष्प माना गया है. प्रश्न कुण्डली में चन्द्र को बीज की संज्ञा दी गई है. नवाँश कुण्डली में प्रश्न का

क्या होता है मुहूर्त और कैसे बदल सकता है ये आपका भाग्य

मुहूर्त को भारतीय ज्योतिष में किसी कार्य विशेष को प्रारंभ एवं संपादित करने हेतु एक निर्दिष्ट शुभ समय कहा गया है. ज्योतिष के अनुसार शुभ मुहूर्त में कार्य प्रारंभ करने से कार्य बिना किसी रुकावट के और

ग्रहों के कारक तत्व | Karak Elements of Planets | Karak Elements

सभी ग्रह के कारक उस ग्रह के प्रभावों को प्रदर्शित करने में सहायक होते हैं. नौ ग्रहों में से जब कोई भी ग्रह अपने प्रभाव देता है तो उसे समझने के लिए उसके कारकों पर दृष्टि डालनी आवश्यक होती है. सूर्य

बीसा यंत्र | Beesa Yantra | Importance of Beesa Yantra

यंत्र शास्त्र में बीसा यंत्र को प्रमुख स्थान प्राप्त है, विभिन्न यंत्रों की श्रेणी में बीसा यंत्र भी कई प्रकार के हो सकते हैं. यंत्र की अलौकिक शक्तियां साधक की कामना की पूर्ति करने में समर्थ होती

विवाह में नवांश की भूमिका | Role of Navansh in A Marriage

विवाह में जन्म कुण्डली की भांती नवांश वर्ग कुण्डली की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. नवांश जिसे D-9 भी कहा जाता है. इसका उपयोग विवाह समय, वैवाहिक जीवन, जीवन साथी के व्यवहार , उसके चरित्र, मानसिक तथा

इत्थशाल योग | Ithasala Yoga | Ithasala Yoga Importance

इत्थशाल योग का उपयोग ताजिक शास्त्र में देखा जा सकता है. ताजिक ज्योतिष वर्ष फल बताने की एक पद्धति है. इत्थशाला योग का ताजिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है. इत्थशाला शब्द का अर्थ है अवश्य संभावी

नामकरण संस्कार करने की सही शास्त्रोक्त विधि

नाम के इस व्यवहारिक महत्व को हमारे धर्म गुरुओं ने वर्षों पहले ही समझ लिया था. उसी मह्त्ता के आधार पर नामकरण संस्कार को आधार मिला तथा नामकरण की धार्मिक प्रक्रिया शुरु हुई. भारतीय ज्योतिष में नामकरण को

जैमिनी ज्योतिष में राशियों पर ग्रहों की दृष्टि का परिणाम

जैमिनी ज्योतिष में राशियों पर ग्रहों की दृष्टि को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. इस ज्योतिष विधि में कहा गया है कि किसी व्यक्ति के भविष्य कथन में ग्रहों की दृष्टि को महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखना

वक्री शनि होने पर यूं प्रभावित होगा आपका जीवन और व्यवसाय

वक्री ग्रहों को वैदिक ज्योतिष में शक्त अवस्था में माना गया है अर्थात वक्री ग्रह सबसे अधिक शक्तिशाली होते हैं. वक्री ग्रह बार-बार प्रयास कराते हैं. एक ही कार्य को करने के लिए व्यक्ति को कई बार प्रयास

व्यापार वृद्धि यंत्र - पूजन और स्थापित करने कि विधि स्वयं करें

यंत्र सर्वोपरि एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते हैं व्यापार वृद्धि यंत्र की संरचना बड़ी ही विचित्र है, इस यंत्र को धनदाता और सर्वसिद्धिदाता कहा गया है. व्यापार वृद्धि यंत्र की रचना तांबे, चांदी या सोने

कन्या लग्न होने पर धन योग कैसे बनता है

भौतिक समृद्धि के लिए लक्ष्मी की कृपा दृष्टि सदैव आवश्यक होती है. कन्या लग्न में जन्में जातक की कुण्डली में यदि बुध बलवान होकर स्थित हो तो जातक बुद्धिमान, बलवान, कुशल वक्ता तथा सुंदर गुणों से युक्त

मुन्था और विभिन्न ग्रहों का प्रभाव

मुन्था वर्षफल में उपयोग की जाती है. मुन्था में प्रत्येक ग्रह का अपना प्रभाव फलिभूत होता है. सभी ग्रह अपने अनुसार फल प्रदान करते हैं. मुन्था सूर्य से युक्त | Muntha including Sun यदि मुन्था सूर्य से

गणेश यंत्र को स्थापित करने की सही विधि (स्वयं करें)

अभिष्ट फलों की प्राप्ती हेतु यंत्र साधना का प्रतिकात्मक या चित्रात्मक रुप में उपयोग बहुत लाभदायक होता है. गणेश यंत्र सबसे महत्वपूर्ण, शुभ और शक्तिशाली यंत्र होता है जो न केवल लाभ देता है तथा व्यक्ति

नवग्रह स्त्रोत के प्रयोग से स्वयं ही ग्रह शांति कैसे करें

नवग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर पूर्ण रुप से प्रभाव देखा जा सकता है. इन नवग्रहों की शांति द्वारा जीवन की अनेक समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकते हैं. नवग्रहों के विषय में अनेक तथ्यों को बताया गया

शुक्र ग्रह और ज्योतिष

ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष एवं पीड़ा दायक होती है. शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष उत्पन्न

बगलामुखी यंत्र | Baglamukhi Yantra | Importance of Baglamukhi Yantra

माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं. यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी यंत्र धार्मिक कार्यो में शुभ माना जाता है. धर्मशास्त्रो

विवाह और संतान-सुख में उपपद का महत्व

ज्योतिष में सामान्यत: विवाह सुख और संतान सुख का विचार सप्तम एवं पंचम भाव से किया जाता है, परंतु इसके साथ ही साथ विवाह एवं संतान के विचार के लिए उपपद को एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है. उपपद से दूसरे

तिथि क्या है और ज्योतिष में इसका महत्व क्यों है, जानिये.

ज्योतिष में तिथियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. हिन्दु धर्म में तिथियों के आधार पर मुहूर्त्त निकाले जाते हैं और उनके अनुसार विभिन्न कार्य किए जाते हैं. सभी कार्यों का मुहुर्त तिथियों के अनुसार बाँटा

ज्योतिष में चाप योग क्या होता है

लग्नेश के उच्च राशिस्थ होने के साथ-साथ दशमेश और चतुर्थेश के मध्य विनिमय परिवर्तन योग होने पर निर्मित होता है. चाप योग की परिभाषाओं में कुछ भिन्नता देखने को मिलती है. यदि कुण्डली में चतुर्थ और दशम

मंत्र जाप से बदल सकता है आपका जीवन, ऐसे

प्राचीन धर्म ग्रन्थों में मंत्र जाप के महत्व को बहुत विस्तार पूर्वक बताया गया है. भारतीय संस्कृति में मंत्र जाप की परंपरा पुरातन काल से ही चली आ रही है. प्राचीन वेद ग्रंथों में सहस्त्रों मंत्र