यह उपरत्न अर्द्ध पारभासी उपरत्न है. प्राचीन समय में इस उपरत्न का उपयोग मिस्त्रवासियों द्वारा किया जाता था. इस उपरत्न को साहस तथा पराक्रम का उपरत्न माना जाता है. इस उपरत्न का नाम अमेजन नदी के नाम पर रखा गया है क्योंकि इसकी खोज अमेजन नदी के

हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार एक तिथि का निर्माण सूर्य के अपने अंश से 12 अंश आगे जाने पर होता है. इस तिथि के देव नाग देवता है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नाग देवता का पूजन करना चाहिए. नागों की रक्षा करना और नागों की पूजा करना भी उतम

वराहमिहिर ज्योतिष लोक के सबसे प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्रियों में से रहे है. वराहमिहिर के प्रयासों ने ही ज्योतिष को एक विज्ञान का रुप दिया. ज्योतिष के क्षेत्र में इनके योगदान की सराहना जितनी की जाएं, वह कम है. ज्योतिष की प्राचीन प्रसिद्ध नगरी

आपने पिछले अध्याय में जाना कि ज्योतिष में बारह राशियों का कुल मान 360 डिग्री होता है. प्रत्येक राशि 30 डिग्री की होती है. अब आप यह समझे कि कौन सी राशि कहाँ पर आती है. राशि राशि का मान मेष 0-30 अंश(Degree) वृष 30-60 अंश मिथुन 60-90 अंश कर्क

यह उपरत्न पीले रंग से लेकर सुनहरे रंग तक की आभा वाले रंगों में पाया जाता है. यह एक पारभासी उपरत्न है. इस उपरत्न को देखने पर यह पुखराज का भ्रम पैदा करता है. इस उपरत्न को पहनने की शुरुआत प्राचीन समय में ग्रीक देश से हुई थी. उसके बाद से यह

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार भ्रचक्र में एक बडा परिवर्तन हुआ है. इंगलैंड की प्रसिद्ध ज्योतिषिय संस्था के अनुसार राशियों की संख्या 12 से 13 हो गई है. अर्थात सूर्य को एक वर्ष में 12 राशियों के स्थान पर 13 राशियों में भ्रमण करना पडेगा. भचक्र

जिस दिन चोरी हुई है या जिस दिन वस्तु गुम हुई है उस दिन के नक्षत्र के आधार पर खोई वस्तु के विषय में जानकारी हासिल की जा सकती है कि वह कहाँ छिपाई गई है. नक्षत्र आधार पर वस्तु की जानकारी प्राप्त होती है. * यदि प्रश्न के समय चन्द्रमा अश्विनी

जैमिनी ज्योतिष में दशाक्रम बिलकुल भिन्न होता है. इस पद्धति में कुल बारह दशाएँ होती हैं जो बारह राशियों पर आधारित होती हैं. आइए सबसे पहले आप बारह राशियों के बारे में जान लें. बारह राशियाँ हैं :- (1) मेष राशि (2) वृष अथवा वृषभ राशि (3) मिथुन