मिथुन राशि वालों के लिए मंगल ग्यारहवें भाव में मेष राशि में गोचर कर रहा है. ये योजनाएं सफल भी होंगी. यदि आप बेरोजगार हैं तो रोजगार प्राप्त होगा. और यदि आप नौकरी में है तो प्रमोशन की प्रबल संभावना.मिथुन राशि वालों के लिए यह मंगल लाभ का

इस उपरत्न की खोज सर्वप्रथम 1855 में जी.ए.केनगोट(Kenngott) द्वारा की गई थी. इस उपरत्न का यह नाम ग्रीक शब्द "एनस्टेट" से लिया गया है जिसका अर्थ घटक अथवा अवयव है. यह उपरत्न प्रोक्सीन समूह का खनिज है. इस उपरत्न के प्रिज्मीय दरार की दो दिशाओं

धर्माकर्माधिपति योग में नवमेश और दशमेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा होता है. दोनों का एक -दूसरे से दृ्ष्टि , युति संबन्ध बन रहा होता है, कुण्डली में यह योग होने पर व्यक्ति धर्म कर्म के कार्यो में आगे बढकर भाग लेता है. तथा वह धार्मिक

महादशा | Maha Dasha जैमिनी स्थिर दशा की गणना सीधी तथा सरल है. कुण्डली में जिस भाव में ब्रह्मा स्थित होते हैं उस भाव से स्थिर दशा का दशा क्रम आरम्भ होता है. इस गणना में चर,स्थिर तथा द्वि-स्वभाव राशियों की गणितीय गणना करने की आवश्यकत नहीं

प्रश्न कुण्डली के लिए कई तरीकों का उपयोग विभिन्न स्थानों पर किया जाता है. इस बारे में आपको आरम्भ के अध्याय में बताया गया है. कई बार प्रश्नकर्त्ता मजाक में प्रश्न में भी प्रश्न कर लेता है और कई बार कई मूर्ख तथा अज्ञानी व्यक्ति ज्योतिषी के

कुम्भ राशि के व्यक्ति मानवतावादी प्रकृ्ति के होते है. उन्हे स्वतन्त्र रुप से कार्य करना पसन्द होता है. इसके अतिरिक्त इस राशि के व्यक्तियों में उत्तम मित्र बनने का गुण विद्यमान होता है. ये वास्तविकता के निकट रहकर जीवन व्यतीत करना पसन्द करते

एक समय स्वर्गलोक में सबसे बड़ा कौन के प्रश्न को लेकर सभी देवताओं में वाद-विवाद प्रारम्भ हुआ और फिर परस्पर भयंकर युद्ध की स्थिति बन गई. सभी देवता देवराज इंद्र के पास पहुंचे और बोले, देवराज! आपको निर्णय करना होगा कि नौ ग्रहों में सबसे बड़ा

चन्द्र मास की पहली तिथि प्रतिपदा कहलाती है. एक चन्द्र मास कुल 30 तिथियों से मिलकर बना होता है. जिसमें दो पक्ष होते है. इसका एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष होता है. शुक्ल पक्ष में 14 तिथियां तथा कृष्ण पक्ष में भी 14 तिथियां होती है.

वृषभ राशि वालों के लिए मंगल बारहवें भाव में मेष राशि में गोचर कर रहा है.धन कोष में वृद्धि होगी. दुर्घटनाओं, विवादों से पीछा छूटेगा. राजनीतिक मसले सुलझेंगे. दांपत्य जीवन में अनुकूलता आएगी. वृ्षभ राशि वालों के लिए यह मंगल मनोकामनाओं की

राहू व्यक्ति को शोध करने की प्रवृ्ति देता है, राहू की कारक वस्तुओ में निष्ठुर वाणी युक्त, विदेश में जीवन, यात्रा, अकाल, इच्छाएं, त्वचा पर दाग, चर्म रोग, सरीसृ्प, सांप और सांप का जहर, विष, महामारी, अनैतिक महिला से संबन्ध, दादा,नानी, व्यर्थ

शतभिषा नक्षत्र का स्वामी राहू है. 27 नक्षत्रों में से इस नक्षत्र का 24वां स्थान है. यह नक्षत्र कुम्भ राशि में आता है. इस नक्षत्र को पांच अशुभ नक्षत्रों में गिना जाता है. शतभिषा नक्षत्र काल में कोई भी शुभ कार्य शुरु करना अनुकुल नहीं समझा

अमला योग को कई नामों से जाना जाता है, कुछ लोग इसे अमल योग भी कहते है. यह योग व्यक्ति को स्थिर बुद्धि का बनाने में सहयोग करता है. इस योग से युक्त व्यक्ति के स्वभाव में स्थिरता का भाव देखने में पाया जाता है. अमल योग कैसे बनता है | How is

यह उपरत्न गहरे पीले रंग में पाया जाता है. हिन्दी में इस उपरत्न को “चिति” कहते हैं. इसमें सुनहरे भूरे रंग की धारियाँ पाई जाती हैं. इस उपरत्न को चमकाने के लिए पॉलिश की जाती है तब इसमें बहुत बढ़िया चमक आती है. यह उपरत्न देखने में

वैदिक ज्योतिष में राशि, भाव, नक्षत्र तथा ग्रहों के आधार पर सम्पूर्ण फलित टिका हुआ है. बारह राशियाँ, बारह भाव तथा नौ ग्रह का वर्णन सभी स्थानों पर मिलता है. ग्रहों की स्थिति के आधार पर हजारों योग बने हुए हैं. कुण्डली के बारह भावों को

आयोलाइट, नीलम रत्न का उपरत्न है. इसे हिन्दी में "काका नीली" के नाम से जाना जाता है(Iolite is called kaka-Nili in Hindi). यह नीले रंग और बैंगनी रंग तक के रंगों में पाया जाता है. जैसे नीला रंग, गहरा नीला रंग, बैंगनी रंग, जामुनी रंग और नीले

यह उपरत्न "दहाना फरहग" भी कहलाता है. यह उपरत्न मुख्यत: हरे रंग में पाया जाता है. इस उपरत्न को काटने के बाद इसमें शैल के समान गोल आकृति दिखाई देती है. यह उपरत्न बहुत ही छोटे क्रिस्टल में पाया जाता है. बडे़ आकार में इसके क्रिस्टल कम ही पाए

द्वितीया तिथि को कई नामों से जाना जाता है. यह तिथि दौज व दूज के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है. इस तिथि के देव ब्रहा जी है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को ब्रह्मा जी पूजन करना चाहिए. इस तिथि का एक अन्य नाम सुमंगला है. अगर किसी माह

जैमिनी चर दशा में पदों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है. पद की गणना के विषय में कई मतभेद हैं. आपके सामने पद निर्धारण में केवल वही नियम लगाएँ अथवा बताए जाएँगें जो अधिक प्रचलित हैं. कई विद्वान पद लग्न अथवा आरुढ़ लग्न और उप-पद की ही गणना करते हैं.

सूर्य की गति पूरे वर्ष एक-सी नहीं रहती है. यह गति घटती-बढ़ती रहती है. इस कारण संसार के विभिन्न स्थानों पर समय - समय भिन्न होता है. हर देश का मानक समय अलग-अलग होता है. हर देश के विभिन्न क्षेत्रों का स्थानीय समय भी एक-सा नहीं होता है. पूरे

यह उपरत्न नीले रंग में पाया जाता है. पीले रंग में हरे तथा नीले रंग की आभा लिए यह उपरत्न मिलता है. किसी उपरत्न में हरे नीले रंग से लेकर गहरे नीले रंग तक की आभा होती है. गहरे नीले रंग के अक्वामरीन बहुत दुर्लभ पाए जाते हैं. यह एक नरम रत्न है.