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वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है तो ये स्थिति मिलेजुले असर दिखा सकती है. कुछ
सिंह लग्न के लिए बाधक ग्रह और उसका प्रभाव सूर्य सिंह लग्न को शक्ति प्रदान करता है, जो स्वयं में केन्द्रित होने से ही मिलती है. सिंह लग्न के लिए नवम भाव बाधक बनता है और नवम भाव का स्वामी बाधकेश बनता है. सिंह लग्न में
कुंडली में ग्रह राशि भाव दृष्टि सूत्र ज्योतिशष में ग्रहों की दृष्टि विशेष प्रभाव रखती है. राशि दृष्टि को समझ कर कुंडली के मुख्य पहलूओं पर विचार कर पाना संभव होता है. ग्रह दृष्टि का प्रभाव विशेष प्रभाव देता है. ग्रह
ज्योतिष में अनेकों योगों का उल्लेख मिलता है जिनके आधार पर कुंडली की शुभता या निर्बलता को समझ पाना संभव होता है. इन्हीं में से एक योग है केन्द्राधिपति दोष. यह यह ऎसा दोष है जब शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, बुध और शुभ चन्द्रमा
कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम करता है. शुक्र की स्थिति कई
वृषभ लग्न की कुंडली में बाधकेश शनि का प्रभाव वृषभ लग्न के लिए नवम भाव बाधक का काम करता है. नवम भाव का स्वामी बाधकेश कहलाता है. बाधकेश के रुप में भाग्य भाव की स्थिति कुछ अलग तो लगती है लेकिन इसका प्रभाव बाधक बन ही जाता
कुंभ संक्रांति का समय सूर्य देव के शनि की राशि कुंभ में प्रवेश का खास समय होता है. कुंभ संक्रांति के दौरान सुर्य देव की स्थिति उत्तरायण की ओर होती है जो विशेष प्रभाव देने वाली होती है. कुंभ संक्रांति का समय 13 फरवरी
शनि वृश्चिक राशि वालों के लिए तीसरे और चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह है. मीन राशि में शनि का प्रवेश होने पर यह यह वृश्चिक राशि वालों के पंचम भाव में गोचर करता है. शनि का वृश्चिक राशि वालों के लिए केन्द्र भाव के स्वामी होते
मेष लग्न के लिए बाधक ग्रह मेष लग्न के लिए ग्यारहवां भाव बाधक भाव होता है और इस भाव का स्वामी शनि होता है. शनि यहां बाधक ग्रह की भूमिका निभाता है. शनि की दशा या अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति को करियर, आर्थिक स्थिति और
मीन लग्न के लिए बाधक ग्रह सातवें भाव का स्वामी होता है. सातवें भाव में आने वाली कन्या राशि का स्वामी बुध मीन लग्न के लिए बाधक का काम करता है. मीन लग्न के लिए बुध की स्थिति बाधक के रुप में अपना असर दिखाती है. बाधक की
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है और इसे सभी ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. इसके अलावा सूर्य को पिता का कारक भी माना जाता है. ज्योतिष के आधार
शुक्र केतु युति योग का विवाह पर प्रभाव शुक्र और केतु की युति के प्रभाव से विशेष गुण फलों की प्राप्ति होती है. शुक्र और केतु का योग सभी भावों में राशि और भाव अनुसार फल देने वाला होता है. शुक्र और केतु का प्रभाव व्यक्ति
मीन राशि में अब शनि का गोचर लाएगा शनि साढ़ेसाती और शनि ढ़ैया प्रभाव. शनि लोगों के सामने आने वाले कल की रुपरेखा रखेगा. नई जिम्मेदारियों को संभालने और योजनाओं को क्रियान्वित करने का आत्मविश्वास देगा. मीन में जब शनि कुंभ
दूसरे भाव में चंद्रमा : धनवान योग कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र चंद्रमा की शुभता हर भाव को विशेष बनाती है. चंद्रमा का प्रभाव कुंडली में वो स्थान रखता है जिसके द्वारा कुंडली को बल मिलता है. कुंडली में दूसरे भाव का
मीन राशि स्वामी बृहस्पति का गोचर वार्षिक राशिफल के लिए होता है बेहद विशेष. बृहस्पति की स्थिति के अलावा अन्य ग्रहों का गोचर करियर से लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर डालेगा अपना असर. इस समय नौकरी में बदलाव के साथ साथ घर
मकर राशि अपने व्यक्तित्व और दृढ़ता के लिए जानी जाती है. इस राशि के जातकों दक्षता और कुशलता बेहतरीन होती है. मकर राशि शनि के प्रभाव की राशि और इसी कारण 2025 इन राशियों के लिए होने वाला है बेहद विशेष. इस बार एक बार फिर से
धनु राशिफल बृहस्पति की राशि है. यह एक बेहद ही आकर्षक, एकाग्र, परिश्रमी और साहस से ओत-प्रोत राशि है. गुरु का गोचर जब भी बदलाव में आता है धनु राशियों के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. इस साल भी गुरु एक राशि से निकल
ज्योतिष में कई भाव मंगल ग्रह के लिए खास माने गए हैं. मंगल की स्थिति जिन भावों में होती है उस अनुरुप फल मिलते हैं, लेकिन जब मंगल कुछ खास भाव स्थान में होता है तब उसका फल बिलकुल ही अलग तरह से मिलता है. दूसरे भाव में मंगल
तुला राशि बेहद आकर्षक एवं प्रतिभाशाली राशि है. इस राशि के स्वामी शुक्र हैं और इस तुला राशि के लिए शनि देव योगकारक होते हैं. शुक्र के स्वामित्व वाली तुला राशि के लिए इस साल का समय अच्छा रहेगा. इस साल तुला राशि वाले अपने
कन्या राशि राशि चक्र में छठे स्थान पर आती है, कन्या राशि के स्वामी बुध हैं और बुध का प्रभाव ही कन्या राशि के लिए विशेष होता है. वार्षिक राशिफल के अनुसार बुध ग्रह की स्थिति, बुध के वक्री अस्त मार्गी, उदय, होने वाले
कुंडली में चंद्रमा का असर उसकी स्थिति पर निर्भर करता है. चंद्रमा कुंडली में जैसा होगा वैसा ही फल देगा. अब जब हम बात करते हैं पहले भाव में चंद्रमा के होने की तब चंद्रमा के हर अच्छे बुरे पक्ष को देख कर उसके परिणामों को
सिंह राशि सूर्य के स्वामित्व की राशि है ओर बेहद प्रभावशालि राशियों कि श्रेणी में स्थान पाती है. सिंह राशि वालोम के लिए वार्षिक राशिफल की स्थिति राशि स्वामी सूर्य की स्थिति के साथ साथ अन्य ग्रहोम के गोचर पर निर्भर करती
वृषभ वार्षिक राशिफल 2025 वृषभ राशि के लोगों के लिए 2025 राशिफल के अनुसार इस वर्ष अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. आपका व्यावहारिक क्षेत्र में सफल होंगे. इस समय मानसिक रुप से कुछ बातें चिंता देंगे लेकिन आपका स्वभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह का बहुत महत्व है. शनि जन्म कुंड्ली के जिस भाव में होगा उस भाव को काफी गहरे असर डालता है. कुंडली के पहले घर में शनि उन कुछ प्रभावों को देता है जिसके कारण उसका सारा जीवन प्रभावित होता है.