सूर्य से बनने वाले विशेष ज्योतिषीय योग
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है और इसे सभी ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. इसके अलावा सूर्य को पिता का कारक भी माना जाता है. ज्योतिष के आधार पर बात करें तो व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की शुभ या अशुभ स्थिति उसके पिता के साथ उसके संबंधों को निर्धारित करती है. इसके अलावा कुंडली में सूर्य को सफलता और सम्मान का कारक भी माना गया है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में होता है, वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं. आइए जानते हैं सूर्य ग्रह और महत्वपूर्ण सूर्य से बनने वाले ज्योतिषीय
ज्योतिष अनुसार शुभ अशुभ सूर्य
सूर्य की ऊर्जा के बल पर ही हम ऊर्जावान बने रहते हैं. इसके अलावा, कुंडली में सूर्य ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण है. ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न में सूर्य ग्रह मौजूद है, तो ऐसे में प्रभावशाली व्यक्तित्व प्राप्त होता है. यदि कुंडली में मजबूत सूर्य मौजूद है, तो ऐसे व्यक्ति साहसी होते हैं, अपने जीवन में सभी लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं. ऐसे लोगों का जीवन खुशियों से भरा रहता है और वे स्वभाव से दयालु होते हैं. इसके विपरीत, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य पीड़ित होता है, वे स्वभाव से अहंकारी होते हैं और ऐसे लोगों का गुस्सा उनका सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. वे अपने किसी भी लक्ष्य या प्रोजेक्ट को पूरा करने में असमर्थ होते हैं और ऐसे व्यक्ति जीवन में हर छोटी-छोटी बात को लेकर उदास हो जाते हैं. पीड़ित सूर्य के कारण व्यक्ति
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है. सूर्य का संबंध पिता, राज्य, राजकीय सेवा, मान-सम्मान, वैभव से होता है. इसके साथ ही मनुष्य के शरीर में पाचन तंत्र, आंखें और हड्डियां सूर्य से संबंधित होती हैं. सूर्य की शुभ स्थिति जहां जीवन में यश और समृद्धि लाती है, वहीं कमजोर सूर्य दरिद्रता, मान-सम्मान में कमी और खराब स्वास्थ्य का कारण बनता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य से संबंधित मुख्य रूप से तीन प्रकार के शुभ योग बताए गए हैं. ये योग व्यक्ति को अपार मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्रदान करते हैं. तो आइए जानते हैं वे योग कौन से हैं.
कमजोर सूर्य से होने वाले रोग ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी नौ ग्रह या नवग्रह व्यक्ति के जीवन पर शुभ या अशुभ दोनों तरह के प्रभाव डालते हैं. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह मजबूत स्थिति में है तो उस ग्रह से संबंधित व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं, जबकि इसके विपरीत यदि कोई ग्रह कमजोर है तो व्यक्ति को बुरे या नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ता है. इनमें से एक परिणाम बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं या बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन व्यक्ति को जो भी छोटी या गंभीर बीमारियां होती हैं, वे कुछ हद तक नौ ग्रहों और उनके प्रभाव से संबंधित होती हैं.जब कुंडली में कमजोर सूर्य होता है तो व्यक्ति कुछ बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है. आंखों से जुड़ी समस्याएं, सिर से जुड़ी समस्याएं या हड्डियों से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. इतना ही नहीं, कई मामलों में कमजोर सूर्य के कारण हृदय रोग और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियां भी व्यक्ति को जीवन भर परेशान कर सकती हैं.
सूर्य से बनने वाले योग
सूर्य के द्वारा बनने वाले कुछ विशेष योगों की अगर बात की जाए तो यह कुंडली में सूर्य की स्थिति के द्वारा दिखाई देते हैं. इनमें से कुछ योग इस प्रकार हैं.
वेशी योग
वेशी योग तब बनता है जब राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह सूर्य से दूसरे स्थान पर स्थित हो, तो उसे वेशी योग कहते हैं. यह योग सत्यनिष्ठ, निष्ठावान और पवित्र व्यक्तित्व देता है. इस योग से आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ने का मार्ग मिलता है.संवाद और वाद-विवाद में भी अच्छे होते हैं. वाणी हमेशा तर्क पर आधारित होती है. यह योग आय के एक से अधिक स्रोत भी देता है.
वाशी योग
वाशी योग तब बनता है जब राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह सूर्य से बारहवें स्थान पर स्थित हो, तो वाशी योग बनता है. इस स्थिति में, व्यक्ति प्रशासन में आधिकारिक पद का आनंद लेता है. राजसी जीवन जीते हैं. बहुत ही कुशल और बौद्धिक होते हैं.याददाश्त तेज होती है और इच्छाशक्ति मजबूत होती है. व्यक्ति बहुत मेहनती होते हैं, बहुत उदार होते हैं और दान-पुण्य में भी बहुत अधिक लिप्त रहते हैं.
उभयचारी योग
उभयचारी योग तब बनता है जब सूर्य के पीछे एक भाव में राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह हो, तो उसे उभयचारी योग कहते हैं, अर्थात, जब राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई भी ग्रह सूर्य से दूसरे और बारहवें भाव में हो. ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व परिष्कृत होता है. व्यक्ति व्यवहार कुशल, साहसी होता है और उसका सामाजिक जीवन भी अच्छा होता है. यह योग व्यक्ति को प्रचुर धन और नौकरों का सुख प्रदान करता है. व्यक्ति एक संतोषजनक जीवन का आनंद लेता है और समाज से उसे भरपूर सहयोग मिलता है.
बुध आदित्य योग
यह योग तब बनता है जब सूर्य बुध के साथ किसी भाव में बिना किसी पीड़ा के युति में होता है, तो जो योग बनता है, उसे बुध आदित्य योग कहते हैं. इस युति के परिणाम तब अधिक सकारात्मक होते हैं जब यह कन्या, सिंह, मेष और मिथुन राशि में होता है. सूर्य और बुध जितने करीब होंगे, योग उतना ही प्रभावशाली होगा. यह योग लग्न या दसवें भाव में होने पर और भी शक्तिशाली हो जाता है. बुध आदित्य योग व्यक्ति को सुख-सुविधाएं, धन, वैभव और खुशियां प्रदान करता है. यह योग व्यवसाय में बेहतर कमाई की सुविधा भी देता है. व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, प्रसिद्ध, तेज दिमाग वाला और मानसिक रूप से मजबूत होता है. व्यक्ति व्यवसाय, वाद-विवाद और सरकारी क्षेत्र में उत्कृष्ट होते हैं. कुंडली में इस योग वाले लोग अच्छी शिक्षा पाते हैं.
ग्रहों के साथ सूर्य का योग
ज्योतिष में गुरु और सूर्य को माना जाता है. ऐसे में अगर किसी की कुंडली में इन दोनों का योग बन रहा है तो यह अपने साथ बड़े बदलाव और जीवन में बदलाव लेकर आता है. सूर्य के साथ चंद्रमा का योग होने पर ऐसे व्यक्ति अधिक विचारशील होते हैं वाले लेकिन कुशल व्यवसायी हो सकते हैं. सूर्य के साथ मंगल का योग होने पर व्यक्ति हमेशा सच्चाई का साथ देते हैं और अपने भाइयों के साथ उनके संबंध मजबूत होते हैं. सूर्य के साथ बुध का योग ऐसे व्यक्ति बौद्धिक और अच्छे विद्वान होते हैं और उच्च सम्मान प्राप्त करते हैं. सूर्य के साथ शुक्र होने पर सम्मानित होते हैं, मित्र, शिक्षक हमेशा अच्छे होते हैं. व्यक्ति ज्ञानी, शास्त्रों के ज्ञाता और नृत्य कला में निपुण होते हैं. सूर्य के साथ शनि का योग ज्ञानी और विद्वान बनाता है. सूर्य के साथ राहु का योग मानसिक समस्याओं से ग्रस्त होते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति स्वभाव से थोड़े जिद्दी भी हो सकते हैं. सूर्य केतु का योग नेत्र रोग, स्वभाव से जिद्दी लेकिन बुद्धिमान होते हैं.