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सूर्य का छठे भाव में होना शत्रुओं एवं विरोधियों को करता है समाप्त

छठे भाव में सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर विजय दिलाएगा. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ विलय करेंगे और सौहार्दपूर्ण तरीके से एक साथ काम करेंगे. छठे भाव में स्थित सूर्य आपको संघर्षों को

सूर्य का पंचम भाव में होना बौद्धिकता एवं ज्ञान की अभिव्यक्ति

ज्योतिष में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है, यह हमारे स्वयं को, हमारी समग्र ऊर्जा और हमारे व्यापक अस्तित्व को व्यक्त करने के तरीके को प्रभावित करता है. जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है, तो यह

सूर्य चतुर्थ भाव में परिवार, करियर और सुख को करता है प्रभावित

सूर्य का चतुर्थ भाव में होना, मिले-जुले फल मिलते हैं जिसमें आप को भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति तो होती है . साथ में जिम्मेदारियों को भी आप अवश्य पाते हैं. चतुर्थ भाव में सूर्य व्यक्ति को अपने

शुक्र और शनि की युति प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार शुक्र और शनि की युति सभी लाभ देती है और यह युति अनुकूल मानी जाती है. शुक्र और शनि की युति के मध्य में कुछ द्वंद भी देखने को मिल सकता है. यहां विचारों एवं इनकी ऊर्जाओं में यह स्थिति

सूर्य का तीसरे भाव में फल

तीसरे भाव में सूर्य का होना प्रबलता का सूचक होता है यह सुखद स्थिति कहीं जा सकती है. एक नियम के रूप में, तीसरे भाव में सूर्य वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं, लेकिन इनका अंतर्मन इतना प्रबल होता है की इनके

सूर्य दूसरे भाव में जीवन को कैसे करता है प्रभावित

सूर्य की स्थिति का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में बेहद उपयोगी माना गया है. जन्म कुंडली में दूसरे भाव का प्रभाव और यहां सूर्य की स्थिति का होना बहुत अच्छे प्रभाव देने वाला होता है. जन्म कुंडली के दूसरे

सूर्य ग्रह का लग्न में होना कैसे देता है परिणाम

सूर्य जब पहले भाव में होता है तो यह एक अत्यंत विशिष्ट स्थान और असर के लिए जाना जाता है. लग्न में सूर्य का होना व्यक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थिति होती है. लग्न एक ऎसा स्थान है जो जीवन के प्रत्येक

शुक्र और सूर्य की युति का विभिन्न भावों में प्रभाव

सूर्य ग्रह आत्मा का प्रतीक है और शुक्र सौंदर्य एवं भोग का. इन दोनों ग्रहों का संबंध जीवन के कई पड़ावों पर अपना असर दिखाता है. एक अग्नि तत्व ग्रह है और दूसरा जल तत्व से भरपूर अब इन का प्रभाव एक साथ

अंगारक योग: जानिए इसके 12 भाव में शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष में अंगारक योग को एक अशुभ पयोग के रुप में जाना जाता है. अंगारक योग एक बहुत ही कष्टदायक योग है, यदि कुंडली में राहु या केतु का मंगल से संबंध किसी भी एक भाव में स्थापित हो जाते हैं तो इस योग का

केतु की अन्य ग्रहों के साथ संबंधों पर एक नजर

जब बात होती है केतु की तो यह एक काफी संदेह और चिंता को दर्शाता है. इस ग्रह का प्रभाव काफी विशेष है. ग्रहों की दिशा का प्रभाव कुछ मायनों में काफी विशेष होता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की

राहु का मीन लग्न के 12 भावों पर प्रभाव जानें अपनी कुंडली से

राहु का असर मीन लग्न में होना एक बेहद गंभीर एवं तेजी से होने वाले बदलावों का प्रतिनिधित्व करता है. राहु की स्थिति व्यक्ति को उन चीजों से जोड़ती है जो सीमाओं से परे की बात करती है और बृहस्पति के

श्रापित योग का कुंडली के हर भाव पर क्या पड़ता है असर

ज्योतिष के कुछ खराब योगों में श्रापित दोष का विशेष महत्व होता है. श्रापित योग का असर किसी व्यक्ति के पिछले जन्मों का प्रभाव दिखाता है, इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह एक भाव में शनि और राहु

केतु महादशा का सभी लग्नों पर प्रभाव

केतु को छाया ग्रह के रुप में जाना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु दक्षिण नोड है जिसे चंद्रमा के कटान बिंदू के रुप में भी जानते हैं. राहु अपने रहस्यमय और आक्रामक गुणों के लिए जाना जाता है.

मंगल का आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश क्यों होता है विशेष

मंगल जब मिथुन राशि में होता है तब आर्द्रा में जाता है. 26 अगस्त 2024 को मंगल मिथुन में प्रवेश करेगा और तब आर्द्रा नक्षत्र में स्थान पाएगा. मंगल का आर्द्रा नक्षत्र में जाना दो शक्तिशाली तत्वों का एक

प्रेम और वैवाहिक संबंधों पर शुक्र राहु का योग

कुंडली में शुक्र और राहु ग्रहों की युति बहुत ही अलग प्रकार के फल देती है. इन दोनों को रिश्तों पर असर डालने वाला योग माना गया है. इन दोनों के कारण व्यक्ति के प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन के सुख पर भी

जानिए आपके लग्न पर बुध की महादशा का प्रभाव

सभी 12 लग्नों के लिए बुध की दशा अच्छे और बुरे हर प्रकार के असर दिखाती है, लेकिन इस अच्छे और खराब की स्थिति का प्रभाव किस तरह से मिलागा उसका संबंध बुध की लग्न के साथ शुभता और अशुभता पर निर्भर करता है.

ज्योतिष से जाने आंखों से संबंधित रोग का कारण

नेत्र संबंधित रोग के लिए कौन से ग्रह और योग बनते हैं कारक चिकित्सा ज्योतिष में नेत्र रोग से संबंधित कई तरह के योग मिलते हैं जो आंखों की बीमारियों के होने का संकेत देते दिखाई देते हैं. ग्रह इस तथ्य को

लग्न से जाने मंगल महादशा के प्रभाव

मंगल महादशा का प्रभाव सभी राशियों के लिए बेहद विशेष होता है, हर लग्न के लिए मंगल किसी न किसी विशेष पक्ष को दर्शाता है. मंगल की स्थिति यदि लग्न के लिए शुभ है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाला होगा, इसके

छठे भाव या बारहवें भाव में बना धन योग

ज्योतिष के अनुसार शुभ या अशुभ ग्रहों के विशेष योग से एक प्रकार की युति बनती है जिसे योग कहते हैं. यह योग कई तरह से देखने को मिलते हैं इसमें योग कई प्रकार के होते हैं. कुछ योग शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ

सूर्य महादशा में राहु अंतरदशा प्रभाव और परिणाम

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को शक्ति और प्रभाव का कारक माना जाता है. इसकी शक्ति जहां भी मौजूद होती है वहां जीवन और प्रगति को दर्शाती है. यह आशावाद और चमक का प्रतीक है और क्रोध का भी इसकी शक्ति के समय