जन्म कुंडली में भाव स्वामी के अस्त होने का प्रभाव
कुंडली में अस्त ग्रह की स्थिति कई मायनों में असर दिखाती है. अस्त अगर शुभ ग्रह हुआ है तो उसके फल पाप ग्रह के अस्त होने से विपरित होंगे. अस्त ग्रह सामान्य रह सकता है तो कहीं वह विद्रोह की स्थिति को भी दिखाता है. अपने गुणों के अनुरुप जब वह फल नहीं देता है तो व्यक्ति को उस ग्रह से संबंधित चीजों के लिए काफी प्रयास भी करने होते हैं. जब कोई ग्रह कुंडली में या गोचर में अस्त होता है तो इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. कुंडली में अस्त भाव के स्वामी के परिणाम आपके जीवन पर कई तरह से प्रभाव डाल सकते हैं. आईये जानने की कोशिश करते हैं इसका हर भाव से कैसा संबंध होगा.
प्रथम भाव का स्वामी अस्त
यदि किसी कुंडली के पहले घर में लग्न का स्वामी अस्त हो तो व्यक्ति को बंधन जैसा जीवन व्यतीत करना पड़ सकता है. किसी न किसी कारण से उसे स्वयं की स्वतंत्रता के लि संघर्ष अधिक करना पड़ सकता है. अक्सर डर, बीमारी और तनाव का सामना करना पड़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप जीवनशैली में कमी, धन संकट और सफलता के रास्ते में बाधाएं आ सकती हैं.
द्वितीय भाव का स्वामी अस्त
यदि द्वितीय भाव का स्वामी अस्त हो तो व्यक्ति अनुचित व्यवहार कर सकता है. जीवन में आत्मविश्वास की कमी भी रह सकती है. कुछ अकल्पनीय कृत्य भी कर सकता है जिसको लेकर अन्य भरोसा नहीं कर पाते हैं आंखों में दर्द, हकलाना और व्यर्थ का तनाव जैसे कारण परेशानी पैदा कर सकते हैं. जीवन समस्याग्रस्त अधिक दिखाई पड़ सकता है.
तृतीय भाव का स्वामी अस्त
यदि कुंडली के तीसरे घर का स्वामी अस्त है तो यह व्यक्ति के संघर्ष को कम कर सकता है. आलसी बना सकता है. बंधुओं के लिए दूरी का कारण बन सकता है. उसे किसी बुरे सलाहकार और शत्रु की ओर से ही अधिक सलाह मिलती है. मानसिक तनाव महसूस कर सकता और उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है. जीवन में व्यर्थ की भागदौड़ उसे हरा सकती है.
चतुर्थ भाव का स्वामी अस्त
चतुर्थ भाव के स्वामी के अस्त होने का मतलब है कि सुख कमजोर हो जाना, सुख मिलने में कमी होना. व्यक्ति अपनी माता को कष्ट में देख सकता है उनसे दूरी हो सकती है. व्यक्ति की भूमि संपत्ति या पालतू जानवर का उसे अधिक लाभ नहीं मिल पाता है. धोखा और दूसरों के साथ शत्रुता अधिक देखने को मिल सकती है. जल और वाहन से खतरा हो सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति का व्यक्तिगत सुख बाधित होता है.
पंचम भाव का स्वामी अस्त
इस भाव में अस्त स्वामी संतान संबंधी कष्ट, योजनाओं की विफलता, पैरों में समस्या और अनावश्यक धन हानि का कारण बन सकता है. जीवन में कुछ मामलों में प्रेम की कमी भी रह सकती है. अपनों की ओर से उसे रुखा व्यवहार मिल सकता है. काम काज में अरुचित एवं रचनात्मकता की कमी रह सकती है.
छठे भाव का स्वामी अस्त
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में छठे घर में अस्त स्वामी है तो ऎसे में विजय को पाना मुश्किल हो सकता है. निराशा, साजिश का सामना करना पड़ सकता है. शत्रुओं की ओर से तनाव एवं भय अधिक रहता है. प्रतिकूल परिस्थितियों में दूसरों के अधीन काम करना पड़ सकता है. आहत हो सकता है, चोरी से पीड़ित हो सकता है और बुद्धिमानी से निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो सकता है.
सातवें भाव का स्वामी अस्त
इस घर में अस्त स्वामी जीवन साथी से प्रेम की कमी को पाता है. अलगाव का संकेत मिल सकता है. विपरीत लिंग से परेशानी हो सकती है. अवैध संबंध बन सकते हैं जिनके कारण गुप्त रोगों से पीड़ित हो सकता है. सामाजिक रुप से अपनी प्रतिष्ठा के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है.
आठवें घर का स्वामी अस्त
कुंडली के आठवें घर में अस्त स्वामी कुछ बेहतर होता है लेकिन वह स्वास्थ्य में कमजोरी, असफलता, निराशा, भूख, बीमारी और कष्ट क अकारण बन सकता है. अपने आपसी संबंधों में उसे दूरों का हस्तक्षेप अधिक परेशानी देता है. अचानक होने वाली घटनाएं उसे अधिक प्रभावित कर सकती हैं गुप्त संबंधों के कारण मानहानि उठानी पड़ सकती है.
नवम भाव का स्वामी अस्त
नवम भाव में अस्त स्वामी के कारण भगय में कमी का रुख दिखाई देता है. संघर्ष अधिक रहता है. अपनों से दूरी होती है. दुर्भाग्य, दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है. मूर्खतापूर्ण व्यवहार अधिक देखने को मिल सकता है. जिन व्यक्तिों की कुंडली में यह योग होता है उन्हें बड़े लोगों और शिक्षकों से सहयोग कम मिल पाता है.
दसवें भाव का स्वामी अस्त
कुंडली के दसवें घर का स्वामी अस्त है तो व्यक्ति काम काज में अधिक संघर्ष करता है. आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है. असफलता अधिक मिलती है. नौकरी में प्रगति के लिए लम्बा इंतजार रह सकता है. कठिन जीवनशैली हो सकती है. अक्सर अप्रिय घटनाएं घटित हो सकती हैं. अधिकारियों का सहयोग कम रहता है.
एकादश भाव का स्वामी अस्त
लाभ का स्वामी अस्थ होने पर धन की कमी रहती है. अस्त स्वामी का अर्थ है व्यक्ति के बड़े भाई के सहयोग की कमी का शिकार हो सकता है. धन की हानि, कान से संबंधित रोग और दोस्तों से अलगाव जैसी स्थितियां अधिक प्रभवैत कर सकती हैं.
व्यय भाव का स्वामी अस्त
कुंडली में यह स्थिति है कुछ अच्छे तो कुछ कमजोर परिणाम दे सकती है. खर्च कुछ कम हो सकते हैम या फिर व्यक्ति कंजूस हो सकता है. बीमारियों से जल्द पीड़ित हो सकता है, और ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जिसमें उन्हें बंधन का अनुभव हो सकता है. विदेश में लम्बे निवास का अवसर कम मिलता है.