Articles in Category vedic astrology

नवांश कुंडली में सूर्य : नवांश के बारह भावों में सूर्य की स्थिति और प्रभाव

ज्योतिष में सूर्य पिता का प्रतीक है, जिसे अक्सर ग्रहों के राजा के रूप में दर्शाया जाता है. वैदिक ज्योतिष में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है. यह व्यक्ति की पहचान और चेतना का मूल है. सूर्य को अक्सर

विजया एकादशी का राशि अनुसार उपाय और महत्व

विजया एकादशी हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व रखने वाला व्रत है, जो हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से विजय, सफलता और समृद्धि के लिए जानी जाती है।

पार्टनर की कुंडली में शुक्र खोलेगा लव के अनसुलझे रहस्य

ज्योतिष में लव इमोशन के लिए शुक्र मुख्य ग्रह मान अगया है. शुक्र के बिना किसी के जीवन में प्रेम का अंकुर जन्म नहीं ले सकता है. शुक्र अगर अच्छा है तो फिर प्यार की कमी नहीं होगी लेकिन अगर शुक्र कमजोर है

शोभन योग: ज्योतिष अनुसार इसका प्रभाव और महत्व

ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न प्रकार के योगों का विशेष स्थान है, जो किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर असर डालते हैं. इन योगों में से एक महत्वपूर्ण योग है "शोभन योग", जो व्यक्ति की कुंडली में

दर्श फाल्गुन अमावस्या: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में एक दर्श अमावस्या होती है. दर्श अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह चंद्रमा के अदृश्य होने का दिन होता है, जब सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे

तीसरे भाव में शुक्र: प्रभाव और विशेषताएं

तीसरे भाव में बैठा शुक्र प्रभावशाली बातों से जोड़ सकता है. व्यक्ति की बोलचल उसकी बात करने की क्षमता दूसरों पर जबरदस्त तरीके से असर डालने वाली होती है. शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और शांति का ग्रह, हमारे

आयुष्मान योग और इसका ज्योतिष में प्रभाव

आयुष्मान योग भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग माना जाता है. यह योग किसी व्यक्ति के जीवन में दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है. यह विशेष रूप से तब बनता है जब कुंडली में किसी

विष्कुम्भ योग : ज्योतिष में विष्कुम्भ योग का प्रभाव

ज्योतिष में बनने वाले सत्ताईस योगों में से एक योग है विष्कुंभ योग, विष्कुम्भ योग एक ऐसा दुर्लभ और शक्तिशाली योग है, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग तब उत्पन्न होता है जब किसी

आनंदादि योग जानें इसके शुभ-अशुभ प्रभाव

आनन्दादि योग का उल्लेख भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से किया जाता है. ज्योतिष में, योग का मतलब होता है विभिन्न नक्षत्र, योग तिथि वार इत्यादि की स्थितियों और उनके आपसी संबंधों के माध्यम से

चंद्रमा मंगल युति : ज्योतिष का एक खास योग जो बदल सकता है आपका भविष्य

चंद्रमा-मंगल युति एक सामान्य ज्योतिष के उन खास युति योगों में से एक है जो आर्थिक स्थिति को बेहतर बनने वाले और व्यक्ति को काफी आत्मविश्वास से भर देता है. मंगल ग्रह क्रोध, साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व

कर्क राशि में वक्री मंगल : मंगल कर्क राशि में वक्री सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है तो ये स्थिति मिलेजुले

क्या होता है केन्द्राधिपति दोष ?

ज्योतिष में अनेकों योगों का उल्लेख मिलता है जिनके आधार पर कुंडली की शुभता या निर्बलता को समझ पाना संभव होता है. इन्हीं में से एक योग है केन्द्राधिपति दोष. यह यह ऎसा दोष है जब शुभ ग्रह गुरु, शुक्र,

कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव

कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम करता है.

मिथुन लग्न के लिए बाधक ग्रह और बाधकेश प्रभाव

मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए सातवां भाव बाधक बनता है. मिथुन लग्न के लिए सातवें भाव का स्वामी बाधकेश हो जाता है. गुरु का प्रभाव अनुकूल होने पर भी बाधक के कारण वह अपना संपूर्ण प्रभाव

वृष लग्न के लिए बाधक ग्रह और बाधकेश प्रभाव

वृषभ लग्न की कुंडली में बाधकेश शनि का प्रभाव वृषभ लग्न के लिए नवम भाव बाधक का काम करता है. नवम भाव का स्वामी बाधकेश कहलाता है. बाधकेश के रुप में भाग्य भाव की स्थिति कुछ अलग तो लगती है लेकिन इसका

सूर्य से बनने वाले विशेष ज्योतिषीय योग

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है और इसे सभी ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. इसके अलावा सूर्य को पिता का कारक भी माना जाता

शनि का मीन राशि प्रवेश : सभी राशियों के लिए प्रभाव

मीन राशि में अब शनि का गोचर लाएगा शनि साढ़ेसाती और शनि ढ़ैया प्रभाव. शनि लोगों के सामने आने वाले कल की रुपरेखा रखेगा. नई जिम्मेदारियों को संभालने और योजनाओं को क्रियान्वित करने का आत्मविश्वास देगा.

दूसरे भाव में शुक्र: धन के स्त्रोत होते हैं विकसित

शुक्र का दूसरे भाव में होना अनुकूल माना जाता है.शुक्र का धन भाव में होना भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति का संकेत भी होता है. आपके दूसरे भाव में शुक्र के होने से आप जीवन में अपनी इनकम को अधिक बनाने के

दूसरे भाव में बुध : दूसरे भाव का कारक बुध

ज्योतिष में बुध ग्रह को राजकुमार के रुप में स्थान प्राप्त होता है. जन्म कुंडली में बुध की स्थिति जिस प्रकार की होती है उसी प्रकार के फल भी प्राप्त होते हैं. जब बात आती है बुध ग्रह के दूसरे भाव में

मीन राशिफल 2025 : राहु केतु बदलने वाले आपके जीवन कि दिशा

मीन राशि स्वामी बृहस्पति का गोचर वार्षिक राशिफल के लिए होता है बेहद विशेष. बृहस्पति की स्थिति के अलावा अन्य ग्रहों का गोचर करियर से लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर डालेगा अपना असर. इस समय नौकरी में