Articles in Category vedic astrology

सूर्य का छठे भाव में होना शत्रुओं एवं विरोधियों को करता है समाप्त

छठे भाव में सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर विजय दिलाएगा. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ विलय करेंगे और सौहार्दपूर्ण तरीके से एक साथ काम करेंगे. छठे भाव में स्थित सूर्य आपको संघर्षों को

सूर्य का पंचम भाव में होना बौद्धिकता एवं ज्ञान की अभिव्यक्ति

ज्योतिष में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है, यह हमारे स्वयं को, हमारी समग्र ऊर्जा और हमारे व्यापक अस्तित्व को व्यक्त करने के तरीके को प्रभावित करता है. जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है, तो यह

शुक्र और शनि की युति प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार शुक्र और शनि की युति सभी लाभ देती है और यह युति अनुकूल मानी जाती है. शुक्र और शनि की युति के मध्य में कुछ द्वंद भी देखने को मिल सकता है. यहां विचारों एवं इनकी ऊर्जाओं में यह स्थिति

सूर्य दूसरे भाव में जीवन को कैसे करता है प्रभावित

सूर्य की स्थिति का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में बेहद उपयोगी माना गया है. जन्म कुंडली में दूसरे भाव का प्रभाव और यहां सूर्य की स्थिति का होना बहुत अच्छे प्रभाव देने वाला होता है. जन्म कुंडली के दूसरे

सूर्य ग्रह का लग्न में होना कैसे देता है परिणाम

सूर्य जब पहले भाव में होता है तो यह एक अत्यंत विशिष्ट स्थान और असर के लिए जाना जाता है. लग्न में सूर्य का होना व्यक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थिति होती है. लग्न एक ऎसा स्थान है जो जीवन के प्रत्येक

अंगारक योग: जानिए इसके 12 भाव में शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष में अंगारक योग को एक अशुभ पयोग के रुप में जाना जाता है. अंगारक योग एक बहुत ही कष्टदायक योग है, यदि कुंडली में राहु या केतु का मंगल से संबंध किसी भी एक भाव में स्थापित हो जाते हैं तो इस योग का

केतु की अन्य ग्रहों के साथ संबंधों पर एक नजर

जब बात होती है केतु की तो यह एक काफी संदेह और चिंता को दर्शाता है. इस ग्रह का प्रभाव काफी विशेष है. ग्रहों की दिशा का प्रभाव कुछ मायनों में काफी विशेष होता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की

राहु का मीन लग्न के 12 भावों पर प्रभाव जानें अपनी कुंडली से

राहु का असर मीन लग्न में होना एक बेहद गंभीर एवं तेजी से होने वाले बदलावों का प्रतिनिधित्व करता है. राहु की स्थिति व्यक्ति को उन चीजों से जोड़ती है जो सीमाओं से परे की बात करती है और बृहस्पति के

श्रापित योग का कुंडली के हर भाव पर क्या पड़ता है असर

ज्योतिष के कुछ खराब योगों में श्रापित दोष का विशेष महत्व होता है. श्रापित योग का असर किसी व्यक्ति के पिछले जन्मों का प्रभाव दिखाता है, इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह एक भाव में शनि और राहु

जानिए आपके लग्न पर बुध की महादशा का प्रभाव

सभी 12 लग्नों के लिए बुध की दशा अच्छे और बुरे हर प्रकार के असर दिखाती है, लेकिन इस अच्छे और खराब की स्थिति का प्रभाव किस तरह से मिलागा उसका संबंध बुध की लग्न के साथ शुभता और अशुभता पर निर्भर करता है.

लग्न से जाने मंगल महादशा के प्रभाव

मंगल महादशा का प्रभाव सभी राशियों के लिए बेहद विशेष होता है, हर लग्न के लिए मंगल किसी न किसी विशेष पक्ष को दर्शाता है. मंगल की स्थिति यदि लग्न के लिए शुभ है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाला होगा, इसके

छठे भाव या बारहवें भाव में बना धन योग

ज्योतिष के अनुसार शुभ या अशुभ ग्रहों के विशेष योग से एक प्रकार की युति बनती है जिसे योग कहते हैं. यह योग कई तरह से देखने को मिलते हैं इसमें योग कई प्रकार के होते हैं. कुछ योग शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ

सूर्य महादशा में राहु अंतरदशा प्रभाव और परिणाम

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को शक्ति और प्रभाव का कारक माना जाता है. इसकी शक्ति जहां भी मौजूद होती है वहां जीवन और प्रगति को दर्शाती है. यह आशावाद और चमक का प्रतीक है और क्रोध का भी इसकी शक्ति के समय

कुंभ राशि में बुधादित्य योग का फल

बुध और सूर्य से निर्मित बुधादित्य योग एक अत्यंत शुभ योगों की श्रेणी में स्थान पाता है. बुध ग्रह एवं आदित्य अर्थात सूर्य जब दोनों ग्रह एक साथ होते हैं तो इनका योग बुधादित्य योग का कारण बनता है. कुंडली

बृहस्पति का कुंडली की 12 राशियों में फल

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति एक पवित्र समुद्र है, जिसके कारण यह विस्तार का स्वरुप भी है. यह आध्यात्मिकता नैतिकता का आधार होता है. ज्योतिष में बृहस्पति को एक मजबूत शुभ ग्रह माना जाता है. इसे देवगुरु भी

शनि के साथ मंगल का होना कुंडली के सभी भावों को करता है प्रभावित

शनि और मंगल को शत्रु ग्रह के रूप में जाना जाता है, इसलिए इन दोनों की कोई भी युति अच्छी नहीं मानी जाती है. यह एक कठिन स्थिति को दर्शाती है. मंगल को अग्नि तत्व युक्त ग्रह कहा जाता है. मंगल स्वभाव से

जन्म कुंडली में केतु सभी भावों को कैसे करता है प्रभावित

केतु का असर ज्योतिष के दृष्टिकोण से काफी शुष्क माना गया है, जिसका अर्थ हुआ की ये ग्रह अपने प्रभाव द्वारा जीवन में कठोरता एवं वास्तविकता से रुबरु कराने वाला होता है. केतु की राशि और उसके ग्रहों के साथ

बृहस्पति का वक्री गोचर और वक्री ग्रह के क्या परिणाम होते हैं?

बृहस्पति एक बहुत ही शुभ ग्रह है इसकी महत्ता के बारे में जन्म कुंडली में यदि हम देखें तो यदि ये शुभ हैं तो व्यक्ति के लिए सभी काम सकारात्मक रुप से होते चले जाते हैं. किंतु यदि ये सकारात्मक नहीम है तो

कुंडली के किन भावों में राहु देता है अच्छे परिणाम और प्रभाव

राहु और केतु ऎसे छाया ग्रह हैं जिन्हें बेहद चुनौतिपूर्ण फलों को देने वाला माना गया है. राहु के साथ केतु भौतिक स्वरुप वाले ग्रहों से अलग छाया ग्रह हैं. लेकिन इनकी ऊर्जा बेहद प्रभावी होती है और जिसके

चंद्रमा का कुंडली प्रभाव और उसके दूरगामी परिणाम

कुंडली में एक ग्रह के रूप में चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऎसा इस कारण होता है क्योंकि इसके गोचर की अवधी ओर इसका मानसिकता के साथ संबंध होना. जीवन के रोजमर्रा में होने वाले बदलावों को