जानिए फिरोजा रत्न कैसे बदल सकता है आपकी किस्मत
रत्नों के उपयोग का चलन बहुत पहले से ही सामाज में प्रचलित रहा है. इन रत्नों को कभी संदरता बढ़ाने के लिए तो कभी भाग्य में वृद्धि के लिए किसी न किसी रुप में उपयोग किया ही जाता रहा है. ज्योतिष में रत्नों का उपयोग ग्रह शांति एवं उसकी शुभता में वृद्धि के लिए किया जाता रहा है. रत्नों को किसी न किसी रुप में धारण करके इनसे लाभ प्राप्त किया गया है. यहां रत्नों में माणिक्य हो, मोती हो, पन्ना हो या अन्य कोई भी रत्न सभी में कुछ न कुछ विशेषता मौजुद रही ही है. इसी श्रेणी में एक नाम आता है फिरोजा रत्न का.
फिरोजा को संस्कृत में पेरोज अथवा हरिताश्म कहते हैं. इस उपरत्न को बरकत देने वाला माना गया है. यह एक अपारदर्शी उपरत्न है परन्तु वर्तमान समय में इसकी बहुत अधिक माँग है. फिरोजा का मूल रंग आसमानी है. कई बार यह आसमानी रंग से थोड़ा सा गहरा तो कई बार यह नीले और हरे रंग के मिश्रित रुप में पाया जाता है. शुद्ध नीले रंग के फिरोजे की माँग सबसे अधिक है. इस तरह का फीरोजा ईरान में पाया जाता है. इसकी गणना जवाहरातों में की जाती है. हजारों वर्ष पहले मिस्र के निवासियों द्वारा फीरोजा को गहनों के रुप में पहना जाता था.
फिरोजा के फायदे
इस उपरत्न को धारण करने से दाम्पत्य जीवन में समरसता बनी रहती है. संबंधों में सामजंस्यता तथा विश्वास प्रगाढ़ होता है. ऎसी धारणा है कि इस उपरत्न को धारण करने से जीवन में ख़ुशियाँ रहती हैं और भाग्य बली होता है. धारण करने वाले के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं होता, उसका बीमारियों से बचाव होता है. इसे दोस्ती का प्रतीक भी माना जाता है. लम्बी यात्राओं पर जाने से पहले इस उपरत्न को ताबीज के रुप में भी इस्तेमाल किया जाता है. फिल्म, टेलीविजन, फैशन उद्योग, कपडा उद्योग, आर्टीफिशियल गहनों से जुडा़ उद्योग आदि से जुडे़ व्यक्तियों को इस उपरत्न के धारण करने से लाभ मिलता है.
फिरोजा रत्न से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
इस उपरत्न का जिक्र एक पवित्र पत्थर के रुप में किया जाता है. इसका जिक्र पवित्र पुस्तक बाईबल में भी मिलता है. फीरोजा धारण करने से व्यक्ति दुर्घटना तथा हिंसा से बचा रहता है. इसका उपयोग चिकित्सा के रुप में व्यक्ति का तनाव दूर करने के लिए भी किया जाता है. जो व्यक्ति तनाव की स्थिति से गुजर रहें हैं वह इस उपरत्न को लॉकेट के रुप में धारण कर सकते हैं. जिन लोगों को ऊँचाई वाले स्थानों पर काम करना पड़ता है उन्हें फीरोजा धारण करने की सलाह दी जाती है. इस उपरत्न को धारण करने से एसीडिटी में आराम मिलता है. पेट की समस्याओं से राहत मिलती है.
फिरोजा रत्न देता है पैसा और शोहरत
फिरोजा रत्न धन के मामले में और नाम कमाने में सहायक बनता है. इस रत्न का उपयोग फिल्मी दुनिया के लोगों द्वारा भी बहुत किया जाता है. शोहरत कमाने और अपने नाम को फेमस बनाने के लिए भी इस रत्न को उपयोग में लाया जाता है. इस रत्न को प्रेम संबंधों में मजबूती लाने वाला भी कहा जाता है. इस रत्न की चमक और इसकी सौम्यता क अप्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.
ये रत्न जीवन में सकारात्मकत अको बढ़ाता है, अपनी खुबसूरती के अनुरुप ही ये जातक के जीवन में भी सुंदरता और खुशहाली लाने वाला होता है.
फिरोजा की पहचान
फिरोजा रत्न अपने आकर्षक रंग और बनावट के जरिये आसानी से पहचाना जा सकता है. यह रत्न, फिरोजी रंग का होता है इसी कारण इसे फिरोजा भी कहते हैं. इसका रंग गहरा नीला, आसमानी और कई बार हरा रंग लिए हुए भी होता है. ईरानियन फिरोजा बहुत अच्छी श्रेणी का माना गया है. इसके अलावा भी अमेरिकन, तिब्बत और भारत में प्राप्त होने वाले फिरोजा भी अच्छा होता है. अपने रंग और चमक के कारण इस रत्न की किमत में अधिकता और कमी देखने को मिलती है.
कौन धारण करे
फिरोजा रत्न को ज्योतिष में ग्रह शांति एवं भाग्य में शुभता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है. इस रत्न का उपयोग गले में लाकेट के रुप में, ब्रेस्लेट के रुप में या फिर अंगुठी के रुप में जैसे चाहें उपयोग में ला सकते हैं. इस रत्न का प्रयोग बहुत ही प्रभावशाली तरह से जातक पर होता है. ये एक सकारात्मक स्थिति को देता है. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी होकर कमजोर अवस्था में है वह फीरोजा धारण कर सकते हैं.
पाश्चात्य ज्योतिष में इसे बृहस्पति ग्रह के लिए धनु राशि के जातकों के लिए उपयोगी माना जाता है. भारतीय ज्योतिष में इसे गुरू का उपरत्न और यह धनु- मीन राशि वालों के लिए उपयोगी कहा गया है. यह मान-सम्मान, आर्थिक लाभ में वृद्धि, बेहतर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.
फिरोज़ा कैसे और कब धारण करें
किसी भी रत्न को धारण करने से पहले यह समझना बहुत आवश्यक है की उसे किस समय ओर कब धारण किया जाए जिससे की हमे शुभ लाभ की प्राप्ति हो सके. फिरोजा रत्न की एक खासियत है की ये रत्न नकारात्मक प्रभाव नही देता है. यह अगर कोई लाभ न दे पाए तो ये अशुभ भी नहीं होता है.
इस रत्न को शुक्र वार के दिन धारण किया जा सकता है. इसे बृहस्पतिवार और शनिवार को भी धारण कर सकते हैं. फिरोज़ा रत्न को शुभ दिन शुक्ल पक्ष के समय पर गंगा जल से शुद्ध कराके कच्च दूध में स्नान कराके, पूजा-अर्चना के बाद इसे अंगूठी या जैसे चाहें उपयोग में ला सकते हैं. इसे सोने, तांबे, चांदी अथवा पंच धातु में धारण किया जा सकता है.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            