चैत्र संक्रांति में सूर्य, 14 मार्च 2024 , के दिन, मीन राशि में प्रवेश करेंगे. चैत्र संक्रांति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल सांय काल बाद से आरंभ हो जाएगा. इस पुण्य काल में दान- स्नान आदि कार्य करने अति शुभ माने जाते हैं.

ऋषि मुनियों की परंपरा में दुर्वासा ऋषि का अग्रीण स्थान रहा है इतिहास के आदिकालीन महान ऋषियों में यह प्रमुख स्थान रखते हैं, ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रैता एवं द्वापर युगों के एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी महर्षि माने गए हैं हिंदुओं के एक महान ऋषि हैं

ज्येष्ठ संक्रांति में सूर्य वृष राशि में प्रवेश करेंगे यह संक्रांति 15 मई, 2024 को आरंभ होगी. इस पुण्य काल के समय दान, स्नान एवं जप करने से अमोघ फलों की प्राप्ति होती है. इस मास में संक्रान्ति, गंगा दशहरा व निर्जला एकादशी आदि पर्व मुख्य

आषाढ़ संक्रांति में सूर्य मिथुन राशि में प्रेवश करेंगे. आषाढ़ संक्रान्ति 15 जून 2024 को मनाई जाएगी. संक्रांति पुण्य काल समय में दान-धर्म,कर्म के कार्य किये जाते हैं. जिनसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आषाढ संक्रांति के दिन किया गया दान

याज्ञवल्क्य जयंती भारतीय ऋषियों की परंपरा के अग्रीण ऋषि हुए हैं वह ब्रह्मज्ञानी थे, महान अध्यात्म वक्ता योगी, मंत्र दृष्टा हुए, इन्हीं के जन्म दिवस को याज्ञवल्क्य जयंती जयंती के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है. इस वर्ष 14 मार्च 2024 को

ऋषि आरूणि एक योग्य और कर्तव्य निष्ठ महर्षि थे, जिनकी गुरू भक्ति के समक्ष सभी सभी नतमस्तक हुए. ऋषि आरूणि का उल्लेख आरूणकोपनिषद एवं कठउपनिषद में भी देखा गया है. उपनिषद में इनके चरित्र का बहुत विज्ञ रूप प्राप्त होता है. इसलिए अरुणि जी को एक

मंगलनाथ मंदिर भारत की प्रमुख धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित है जहाँ के पावन सानिध्य को पाकर सभी धन्य हो जाते हैं जहाँ जाकर सभी के पाप स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं. उज्जैन के प्रमुख मंदिरों में से एक यह मंदिर भक्तों की सभी विपदाओं को हर लेता

आदि शंकराचार्य एक महान हिन्दू दार्शनिक एवं धर्मगुरु थे. आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इसी उपलक्ष में वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन आदि गुरु शंकराचार्य जयंती मनाई जाती

गंगा जयंती हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. वैशाख शुक्ल सप्तमी के पावन दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई इस कारण इस पवित्र तिथि को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2024 में यह जयन्ती 14 मई को मनाई जाएगी. गंगा जयंती के शुभ अवसर पर गंगा

वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2024 में यह जयन्ती 16 मई, को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की

भारत की मध्ययुगीन संत परंपरा में रविदास या कहें रैदास जी का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है. संत रैदास जी कबीर के समसामयिक थे. संत कवि रविदास का जन्म वाराणसी के पास एक गाँव में सन 1398 में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था रविवार के दिन जन्म होने के

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं, पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के

वर्धमान महावीर का जन्मदिन महावीर जयन्ती के रुप मे मनाया जाता है. महावीर जयंती 21 अप्रैल 2024, के दिन मनाई जाएगी. वर्धमान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान श्री आदिनाथ की परंपरा में चौबीस वें तीर्थंकर हुए थे. इनका जीवन काल पांच सौ ग्यारह से

गुरू नानक देव जी के जन्म दिवस को गुरू नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे. इनका जन्म तलवंडी रायभोय (ननकाना साहब) नामक स्थान पर हुआ था.  इनके जन्म दिवस को प्रकाश उत्सव (प्रकाशोत्सव ) भी कहते हैं,

वाराह अवतार भगवान विष्णु का ही एक अवतार है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया में वराह जयंती मनाई जाती है. भगवान के इस अवतार में श्री हरि पापियों का अंत करके धर्म की रक्षा करते हैं. वाराह अवतार जयंती भगवान के इसी अवतरण को प्रकट करती है

ऋषि वेदव्यास वैदिक काल के महान ऋषियों में से एक थे वेद व्यास जी महाभारत ग्रंथ के रचयिता तथा उन घटनाओं के साक्षी भी रहे जिन्होंने युग परिवर्तन किया. मुनि वेदव्यास जी धार्मिक ग्रंथों एवं वेदों के ज्ञाता थे वह एक महान विद्वान और मंत्र दृटा

देवी मातंगी जयंती के उपलक्ष पर माता की पूजा अर्चना की जाती है. इस पावन अवसर पर जो भी कोई माता की पूजा करता है वह सर्व-सिद्धियों का लाभ प्राप्त करता है. मातंगी की पूजा व्यक्ति को सुखी जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती है. इस वर्ष श्री मातंगी

त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं. इनकी उपासना भव-बन्ध-मोचन कही जाती है. इस वर्ष त्रिपुर भैरवी 15 दिसंबर 2024 के दिन मनाई जानी है. इनकी उपासना से व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसंपदा की प्राप्ति होती है. शक्ति-साधना तथा

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रुप में मनाया जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी शुभ तिथि को श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में श्री विष्णु के अन्य रुप भगवान वामन का अवतार हुआ था. इस वर्ष वामन जयंती,

माँ ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं. ललिता जयंती का व्रत भक्तजनों के लिए बहुत ही फलदायक होता है. श्री ललिता जयंती इस वर्ष 24 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी. भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई इस दिन मां ललिता देवी की पूजा भक्ति-भाव सहित करता है