नन्दानवमी व्रत | Nandanvami Fast | Nandanvami Fast 2024

नंदा देवी की अराधना प्राचीन काल से ही होती चली आ रही है. नंदा को नवदुर्गाओं में से एक बताया गया है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तथा शुक्ल पक्ष की नवमी को नन्दा कहा जाता है. साल में तीन अवधियों में दुर्गा पूजा की जाती है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की नवमी महानंदानवमी के रुप में जानी जाती है. अष्टमी को उपवास रखा जाता है तथा नवमी के दिन भगवान शिव और देवी नंदा की पूजा की जाती है. जागरण किया जाता है तथा भोग लगाया जाता है, नवमी के दिन चण्डिका पूजन से नंदानवमी व्रत संपूर्ण होता है.

नन्दानवमी पौराणिक महत्व | Nandanvami Puranic Importance

धर्म ग्रंथों एवं लोक कथाओं मे नन्दा देवी की के बखान का वर्णन किया गया है. नन्दा देवी की महिमा का वर्णन का प्रमाण धार्मिक ग्रंथों व पुराणों में मिलता है. मां भगवती की छ: अंगभूता देवियों में नंदा देवी को स्थान प्राप्त है. विष्णु पुराण अनुसार नौ दुर्गाओं का उल्लेख मिलता है जिनमें देवी महालक्ष्मी, हरसिद्धी, क्षेमकरी, शिवदूती, महाटूँडा, भ्रामरी, चंद्रमंडला, रेवती एवं नन्दा देवी प्रमुख हैं. इसी के साथ शिवपुराण में शक्ति रुप में नंदा देवी हिमालय में स्थपित व पूजित हैं. नंदादेवी देवी को शक्ति रूप व सौंदर्य से युक्त देवी मना जाता है.

नंदानवमी उत्सव | Nandanvami Festival

नवमी के दिन देवी मां नन्दा देवी की उपासना मुख्य रुप से कि जाती है. नंदा नवमी के उपलक्ष्य पर अनेक स्थानों पर नंदा देवी के सम्मान में मेलों का आयोजन किया जाता है. नंदाष्टमी को कोट की माई का मेला और नैतीताल में नंदादेवी मेला प्रमुख हैं जुडे हुए हैं. अल्मोड़ा नगर में स्थित ऐतिहासिकता नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मेला लगता है जो बहुत ही भव्य एवं रौनक से भरा होता है यहां धार्मिक मान्यताओं की सुंदर झलक दिखती है.

नंदानवमी पूजन | Nandanvami Worship

नंदानवमी पूजन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन किया जाता है. नन्दा देवी को पार्वती का रूप माना जाता है. नंदा देवी की कथा अनेक मान्यताओं से जुडी़ है. नंदानवमी के दिन माता का पूजन एवं स्त्रोत पाठ होता है. नंदानवमी पूजा दुर्गा पूजा का समय होता है जब मां दुर्गा का पुजन करके शक्ति और समृद्धि का आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है. नंदानवमी के उपलक्ष्य पर माता का जागरण और कथा श्रवण किया जाता है. नंदानवमी के उपलक्ष पर शुक्ल सप्तमी के दिन व्रत का आरंभ करते हुए अष्टमी के दिन व्रती रहते हुए देवी का पुष्पादि से पूजन करना चाहिए. अष्टमी की रात्रि में जागरण करे फिर नवमी के दिन कुमारी पूजन करें कन्याओं को भोजन कराना चाहिए तत्पश्चा माता का प्रसाद ग्रहण करके व्रत का समापन करना चाहिए.

नंदानवमी पर्व महत्व | Nandanvasi Festival Importance

नन्दा को पार्वती का रूप माना जाता है. कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार नन्दादेवी दक्ष प्रजापति की सात कन्याओं में से एक थीं व देवी का विवाह शिव के साथ होना माना जाता है. नन्दादेवी के विषय में विभिन्न लोक कथाएँ प्रचलित हैं एक कथा अनुसार नन्दा को नन्द महाराज की बेटी बताया जाता है, नन्द महाराज की यह बेटी कृष्ण जन्म से पूर्व कंस के हाथों से छूटकर आकाश में जा कर नागाधिराज हिमालय की पत्नी मैना की गोद में पहुँच गई. एक अन्य संदर्भ अनुसार नन्दादेवी का जन्म ॠषि हिमवंत व उनकी पत्नी मैना के घर हुआ था अत: विभिन्न धारणायें होते हुए भी नन्दादेवी एक दृढ़ आस्था का प्रतीक है.