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अंक ज्योतिष एक बहुत गहरी और गणनात्मक पद्धति पर आधारित ज्योतिष है. यह अंकों के द्वारा जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने का काम करता है. अंकों के असर का जीवन एवं मानवीय व्यवहर इत्यादि पर अधिक गहरा संबंध बैठता है. अंक
अंक ज्योतिष अनुसार कुछ रत्न अंकों से संबंध बना कर अच्छे परिणाम देने में सक्षम होते हैं. रत्नों का असर जब संक ज्योतिष के साथ जुड़ता है तो उसका असर काफी बेहतरीन माना गया है. अंकों की शक्ति का गठजोड़ रत्नों के साथ भी बनता
न्यूमरॉलॉजी  जिसे सामान्य भाषा में अंक ज्योतिष के रुप में भी जाना जाता है, यह अंकों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन की अनेक चीजों पर अपना असर डालने में सक्षम होती है. अंकों से किसी के व्यक्तित्व को समझने में काफी मदद
अंक शास्त्र को न्यूमोरोलोजी के नाम से भी जाना जाता है. इसमें आप अंकों के जरिये अपने भूत भविष्य और वर्तमान की स्थिति को जान सकते हैं. अंकों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बहुत पड़ता है. हर अंक की अपनी विशेषता है और प्रभाव
अंक 10 का महत्व और प्रभाव अंक 10 भाग्य चक्र को दर्शाता है, जीवन में होने वाली उन्नति एवं पतन से संबंध रखता है. इसके अलावा यह अंक आदर और विश्वास को प्रकट करता है. इस अंक से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में सफलता का प्रभाव तो
आज हम अंको के सिंक्रनाईजेशन के बारे में बात करेगें. अंक किस तरह से एक - दूसरे के साथ तालमेल बिठा सकते हैं और किस तरह से नहीं, सभी नौ अंको को तीन मुख्य समूहो में बांटा गया है. पहले समूह में 1,2,4,7 अंक आते हैं. दूसरे
आज हम अंक 22 के बारे में बात करेगें. आपके नाम की स्पेलिंग अथवा आपके जन्म तारीख का कुल जोड़ अगर 22 आता है तब आपको इसे दुबारा नहीं जोड़ना है. इसे 22 के रुप में ही लेना है. 2+2=4 नहीं करना है. इस अंक का संबंध आध्यात्मिक
आज हम कार्मिक नंबर 11 की बात करेगें. आपके नाम की स्पेलिंग कि हिज्जो का जोड़ यदि 11 आए या आपकी जन्म दिन 11 को पड़े अथवा आपके जन्म तारीख की सभी संख्याओ का जोड़ 11 आता है तब आप इस अंक को ऎसे ही लेगें. इसे 1+1 = 2 नहीं
हम अंको के वर्गीकरण के बारे में चर्चा करेगें. वैसे तो अंकशास्त्र में कई प्रकार से अंको का विभाजन किया गया है लेकिन यहाँ आज हम केवल दो ही प्रकार के वर्गीकरण के बारे में बात करेगें. विषम राशि और सम राशि. विषम राशियों और
1 से 8 तक के अंकों की चर्चा अब तक हम पिछली वेबकास्ट में कर चुके हैं आज हम अंक नौ की बात करेगें. अंक नौ में सभी अंको का समावेश माना जाता है. यह सभी अंको में सबसे बड़ा और शक्तिशाली माना जाता है. इसमें तीन का गुणांक तीन
आपका जन्मदिन अगर 11 तारीख को आता है तब आपके भीतर अंक 11 की विशेषताएँ तो आएंगी ही साथ ही आपके अंदर अंक एक और अंक दो की विशेषताएँ भी देखने को मिलेगी क्योंकि अंक 11 में एक भी आता है और 11 को 1+1 करने पर अंक दो मिलता है. इस
जिस दिन व्यक्ति का जन्म होता है तब उस दिन के अंक की विशेषता उसके व्यक्तित्व में दिखाई देती है. अंक शास्त्र में 1 से 9 अंको तक की ही गणना की जाती है लेकिन आज हम 9 से आगे बढ़कर 10 तारीख के दिन पैदा हुए जातको की विशेषताओं
अंक शास्त्र में बहुत सी बातों का आंकलन किया जाता है. यदि हम सूक्ष्मता से इस विद्या का उपयोग करें तब हमें बहुत सी बातों का सही फलकथन कर सकते हैं. इस विद्या में बहुत सी बातों को स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है. जिस तरह से
आज हम अंक आठ की बात करेगें. इस अंक का स्वामी ग्रह शनि है. शनि के बारे में बहुत सी भ्रांतियां लोगो के बीच फैली हुई हैं लेकिन ये सच नहीं हैं. शनि को न्याय का ग्रह कहा जाता है इसलिए इस ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अन्याय के
अंकशास्त्र में बहुत सी बातों का अधय्यन किया जाता है. इस विद्या का एक सीधा सा नियम है, जिसके अनुसार आपके नाम के अंको का कुल जोड़ या आपकी जन्म तारीख के अंको का कुल जोड़ आपकी किसी भी महत्वपूर्ण बात या घटना से अच्छा तालमेल
अब तक हम आपके सामने अंक एक, दो, तीन, चार, पांच और छ: के बारे में चर्चा कर चुके हैं. इन अंको से संबंधित व्यक्तियो के अच्छे व बुरे दोनो ही पहलुओ के बारे में हमने बताने का प्रयास किया है. आज इसी श्रृंखला में हम अंक सात के
अंकशास्त्र में हर अंक एक विशेष ऊर्जा का प्रवाह करता है. हर अंक के अपने कुछ सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं. जन्म के समय हर बच्चे के साथ कुछ खास ऊर्जा आती हैं. जिनके आधार पर वह जीवन में सफलता अथवा विफलता पाता है.
अंक पांच का स्वामी ग्रह बुध को माना गया है और बुध को ग्रहो का राजकुमार माना जाता है. हर समय यह बली रहता है. बहुत से गुणो तथा अवगुणो से भरा होता है लेकिन फिर भी अंक पांच के जातको की कुछ अपनी विशेषताएँ होती है जो इसे बाकी
अंक शास्त्र का अगर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तब व्यक्ति विशेष के बारे में बहुत सी बाते उजागर होती हैं. हर अंक का अपना महत्व माना गया है. आज हम दिल के नंबर के बारे में बात करेगें. हर व्यक्ति का अपना हर्ट नंबर होता है.
हम अंक 4 के जीवन से संबंधित सभी पहलुओ पर बात करने का प्रयास करेगें. अंक चार के व्यक्ति की क्या विशेषताएँ होती है, उसकी कमियाँ क्या है और किन क्षेत्रो में वह सफलता हासिल कर सकता है आदि बातो का वर्णन आज हम आप सभी के सामने
अंक शास्त्र में को गूढ़ विद्याओ में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. हर अंक के पीछे एक रहस्य छिपा है जिसका सीधा संबंध अलौकिकता से है. हरेक अंक की अपनी स्वतंत्र और विशेष ऊर्जा होती है. सभी नौ अंको की ऊर्जा एक - दूसरे से
सदियो पहले से मनुष्य अंको के महत्व को समझता आ रहा है. जब बच्चे का नामकरण किया जाता है तब उसके नाम का प्रभाव उसके व्यक्तित्व तथा चरित्र पर और जीवन में होने वाली घटनाओ पर स्पष्ट झलकता है. अंक 3 की विशेषताएँ |
जब माता-पिता अपने बच्चे का नामकरण करते हैं तब उम्र भर के लिए वही नाम उसकी सबसे बड़ी विशेषता बन जाता है. नाम होगा या बदनाम होगा, दोनो ही सूरतो में नाम का महत्व होगा. व्यक्ति का नाम उसके जीवन के भूत, वर्तमान तथा भविष्य की
अंक शास्त्र में सभी अंकों का अपना - अपना महत्व माना गया है. आपके नाम की स्पैलिंग के सभी हिज्जो के जोड़ से अंत में जो अंक मिलता है वह आपका नामांक कहा जाता है. अंक दो के सकारात्मक पहलू | Positive Traits of Life Number 2
सभी अंको का अपना विशिष्ट महत्व माना गया है. हर एक अंक का संबंध शरीर के एक विशेष भाग और बीमारी से बनता है. आइए जाने कि किस अंक का संबंध किस विकार से है और उससे कैसे बचा जा सकता है. अंक छ : और आपका स्वास्थ्य | Life number
एक बहुत ही पुरानी कहावत है कि "शरीर स्वस्थ है तो सब स्वस्थ है". अगर शरीर स्वस्थ नहीं रहता तो कुछ भी ठीक नहीं लगता है. कई बार व्यक्ति शारीरिक रुप से तो स्वस्थ रहता है पर मानसिक परेशानियाँ बहुत रहती है जिसका प्रभाव शरीर
हर्ट नंबर का अंक शास्त्र में अपना महत्व माना गया है. यह नंबर व्यक्ति के अंग्रेजी नाम में आने वाले वोवेल्स के आधार पर निकाला जाता है. इस हर्ट नंबर से व्यक्ति के चरित्र चित्रण का तो पता चलता ही है लेकिन साथ ही उसके रोमांस
अंक शास्त्र का अगर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तब व्यक्ति विशेष के बारे में बहुत सी बाते उजागर होती हैं. हर अंक का अपना महत्व माना गया है. आज हम दिल के नंबर के बारे में बात करेगें. हर व्यक्ति का अपना हर्ट नंबर होता है.
सदियों से मनुष्य प्रकृति के आगे सिर झुकाता आया है. जैसे-जैसे मनुष्य सभ्य होता गया बहुत सी गूढ़ विद्याओं की जानकारी भी प्राप्त करने लगा. सूर्य तथा चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों के विषय में भी जानना आरंभ कर दिया. इस प्रकार
मास्टर नंबर को अंक ज्योतिष में महत्वपूर्ण नंबर माने गए हैं. आधुनिक अंक शास्त्री इन मास्टर नंबर के महत्व को बखूबी परिलक्षित कर पाए हैं. इन मास्टर नंबर को अंक शात्र में सर्वोत्तम अंक कहा गया है. अंकशास्त्र की पुरानी
सूर्य को सभी बारह राशियों से गुजरने में एक वर्ष अर्थात लगभग 365 दिन का समय लगता है. अंक विद्या में सूर्य की स्थिति के आधार पर हर माह को एक अंक प्रदान किया गया है. इन महीनों की अवधि, सामान्य अवधि से भिन्न होती है. सूर्य
अंक शास्त्र में सूर्य तथा चन्द्रमा दो ऎसे ग्रह हैं जिन्हें दो अंक प्राप्त हैं. सूर्य तथा यूरेनस का आपस में परस्पर संबंध माना गया है, इसलिए सूर्य को 1 तथा 4 दो अंक प्राप्त है. वास्तविकता में अंक 1 सूर्य का है और अंक 4
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, आज भी अंकशास्त्री नामांक की गणना इन्हीं
नामांक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, जिसके माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है. नामांक ज्योतिष में अंकों के माध्यम द्वारा गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के विभिन्न
जीवन में नाम का बहुत महत्व होता है नाम से ही हमारी पहचान होती है. नाम का महत्व खुद ब खुद दृष्टिगत होता है, तथा नाम रखने की विधि को संस्कार कर्म में रखा जाता है और इसमें जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम रखने का प्रयास
नामांक जीवन में बदलाव ला सकता हैं और हमारे जीवन को आशावादी दिशा प्रदान कर सकता है. नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. आज भी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ अंक को स्थान दिया तो
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया
नामांक को सौभाग्य अंक भी कहते हैं. आज लगभग सभी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक को नामांक कहा जाता है. नामांक गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा
अंकशास्त्र में मूलांक (जन्मांक) और भाग्यांक ज्ञात करना बेहद आसान होता है और अधिकतर सभी को मालूम भी होता है कि किस प्रकार इसे प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन नामांक को निकाल पाना सभी को नही आता और यह थोड़ा लंबा तरीका होता है.
भाग्यांक, संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है और जो योग प्राप्त होता है वही भाग्यांक कहलाता है जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 6 जून
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है
भाग्यांक जानने के लिये, भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है, तथा जो योग प्राप्त होता है वही भाग्यांक कहलाता है, जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 6 अप्रैल 1959 है तो उस व्यक्ति का भाग्यांक
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग (जोड़) करना होता है
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है
भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है
भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है और जो योग प्राप्त होता है वही भाग्यांक कहलाता है जैसे किसी व्यक्ति
अंक शास्त्र में भाग्यांक 1 अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भाग्यांक द्वारा कोई भी व्यक्ति अपना व्यवसाय व कैरियर तथा अन्य उपयोगी बातों को जान सकता है. अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. मूलांक से
अंक शास्त्र व्यक्ति के बारे में जानने का एक सरल और सुगम माध्यम रहा है. अंक शास्त्र में मौजूद विधियों द्वारा मनुष्य के व्यवहार, जीवन चरित्र इत्यादि के विषय में जाना जा सकता है. इसी क्रम में एक विधि है भाग्यांक, यह एक
मूलांक 9 एक विशेष अंक है, इस मूलांक का स्वामी मंगल ग्रह है. मंगल क्रोधी ग्रह है अत: इसे युद्ध का देवता भी कहा जाता है इस कारण मूलांक 9 में मंगल के प्रभाव स्वरूप इस मूलांक में उग्रता को देखा जा सकता है. किसी भी माह की 9,
मूलांक 8 का स्वामी ग्रह शनि को माना जाता है इस कारण मूलांक आठ के जातकों पर शनि का प्रभाव देखा जा सकता है. पाश्चात्य मूलांक ज्योतिषियों के मतानुसार भी मूलांक आठ के व्यक्ति शनि के प्रभाव से युक्त होते हैं. 8, 17, 26
मूलांक सात का स्वामी ग्रह केतु है. और इस कारण मूलांक 7 के जातक केतु ग्रह से प्रभावित रहते हैं. किसी भी माह की 7, 16, 25 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 7 होता है. पाश्चात्य विद्वान मूलांक 7 का स्वामी नेपच्यून ग्रह
मूलांक छ वाले अपने काम के प्रति समर्पित एवं कार्यों को करने मे दृढ़ रहते हैं. मूलांक 6 शुक्र से प्रभावित होने के कारण प्रेम का प्रतीक होता है, इनका प्रेम मातृत्व भाव से युक्त होता है. शुक्र के प्रभाव स्वरूप यह सौन्दर्य
जिन व्यक्ति का जन्म किसी भी महीने की 5,14,व 23 तारीख को हुआ हो उनका मूलांक 5 होता है. मूलांक 5 का मुख्य ग्रह बुध है, जो बुद्धि का प्रतीक है. इस मूलांक के व्यक्ति बहुत सचेत एवं विनोद प्रिय, झगडों से दूर रहने वाले तथा
मूलांक चार मूलांक ज्योतिष के प्रमुख अंकों में से एक है. मूलांक 4 को सूर्य के धनात्मक रूप अथवा राहु का परिचायक माना जाता है. भारतीय अंकशास्त्र में 4 मूलांक का अधिष्ठाता ग्रह राहु है और पाश्चात्य मतानुसार मूलांक 4 के
मूलांक तीन अंक शास्त्र का एक प्रभावशाली मूलांक है. मूलांक तीन के अधिष्ठाता ग्रह बृहस्पति हैं अत: मूलांक तीन के व्यक्तियों पर गुरू ग्रह का बहुत प्रभाव होता है. पाश्चात्य ज्योतिष अनुसार भी इस मूलांक के जातक गुरु
अंक शास्त्र में दो मूलांक अपना विशेष स्थान रखता है. मूलांक दो का स्वामी ग्रह चंद्रमा को माना गया है. चंद्रमा शितलता का कारक है यही अंतर्मन की भावनाओं का संचालन भी करता है. हमारे भीतर की शितलता उसी का आधार है. अशुभ
ज्योतिष कि विद्याओं में अंक विद्या भी एक महत्वपूर्ण विद्या है. अंक विद्या में ‘1’ मूलांक को सूर्य का मूलांक कहा गया है. एक मूलांक को सौभाग्य मूलांक (Destiny Number/ Lucky Number) कहा जाता है. यह नम्बर परिवर्तनशील है.
मूलांक क्या है और यह किस प्रकार जाना जा सकता है इसके बारे में कुछ तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं. इन महत्वपूर्ण तथ्यों द्वारा मूलांक ज्ञात किया जा सकता है. अपने बारे में जानने का और भविष्य में घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगाने
अंक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, जिसके द्वारा अंकों के माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है. अंक ज्योतिष में अंकों के माध्यम द्वारा गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य