कर्कोटक कालसर्प दोष – Karkotak Kaalsarp Dosh
राहु केतु की आकृति सर्प के रूप में मानी गयी है. कालसर्प दोष के निर्माण में इन दोनों ग्रहों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. कर्कोटक कालसर्प दोष (Karkotak Kaalsarp Dosh) यह कालसर्प दोष का आठवां प्रकार है. कर्कोटक नाग का नाम भी धार्मिक पुस्तकों एवं कथाओं में कई स्थानों पर आया है. नल-दम्यंती की कथा एवं जनमेजय के नाग यज्ञ के संदर्भ में भी इस सर्प का जिक्र मिलता है. कर्कोटक कालसर्प भी तक्षक कालसर्प के समान काफी कष्टकारी माना जाता है.
कुण्डली में कर्कोटक कालसर्प दोष How Karkotak Kaalsarp Dosh forms?
जन्मपत्री में आठवां भाव जिसे मृत्यु, अपयश, दुर्घटना, साजिश का घर कहा जाता है उसमें राहु बैठा हो तथा द्वितीय भाव जिसे धन एवं कुटुम्ब स्थान कहा जाता है उसमें केतु विराजमान हो और सू्र्य से शनि तक शेष सातों ग्रह एक ही दिशा में एक गोलर्द्ध में राहु केतु के बीच बैठे हों तब जन्म कुण्डली में कर्कोटक कालसर्प दोष (Karkotak Kaalsarp Dosha) माना जाता है.कर्कोटक कालसर्प दोष का प्रभाव Effects of Karkotak Kaalsarp Dosh
कर्कोटक कालसर्प दोष (Karkotak Kaalsarp Dosha) होने पर पारिवारिक सम्बन्धों में काफी असर पड़ता है. इस दोष से प्रभावित व्यक्ति का अपने कुटुम्बों एवं सगे-सम्बन्धियों से मतभेद रहता है. इनमें आपसी सामंजस्य की कमी रहती है. इन कारणों से जरूरत के वक्त परिवार के सदस्य सहयोग के लिए आगे नहीं आते हैं. इस तरह की परेशानी से बचने के लिए व्यक्ति को संयम और धैर्य से काम लेने की जरूरत होती है. क्रोध पर काबू रखना भी आवश्यक होता है.व्यय के रास्ते अचानक ही बनते रहते हैं जिससे बचत में कमी आती है. पैतृक सम्पत्ति के सुख से व्यक्ति वंचित रह सकता है अथवा पैतृक सम्पत्ति मिलने पर भी उसे सुख की अनुभूति नही होती है. व्यक्ति की आजीविका में समय-समय पर मुश्किलें आती हैं जिनके कारण नुकसान सहना पड़ता है. आठवें घर में बैठा राहु व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताएं देता है. दुर्घटना की संभावना भी बनी रहती है. अगर व्यक्ति सजग एवं सावधान नहीं रहे तो अपने आस-पास में हो रहे साजिश के कारण उसे कठिन हालातों से भी गुजरना पड़ता है.
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कर्कोटक कालसर्प दोष उपाय Remedies for Karkotak Kaalsarp Dosh
कर्कोटक नाग के विषय में उल्लेख मिलता है कि यह भगवान शिव के बड़े भक्त हैं. शिव जी तपस्या करते हुए इन्हेंनों शिव की अनुकम्पा प्राप्त की है. उज्जैन में एक शिव मंदिर है जो कर्कोटेश्वर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इसी मंदिर में कर्कोटक को शिव की कृपा मिली थी. इस मंदिर में शिव जी पूजा अर्चना करने से कर्कोटेश्वर कालसर्प का दोष दूर होता है. पंचमी, चतुर्दशी एवं रविवार के दिन यहां दर्शन पूजा करना अति उत्तम माना जाता है. इस दिन यहां पूजा करने से सभी प्रकार की सर्प पीड़ा से मुक्ति मिलती है.जो लोग यहां दर्शन के लिए नहीं जा सकते हैं वह पंचाक्षरी मंत्र से शिव की पूजा करें और दूध व जल से उनका अभिषेक करें तो कर्कोटक कालसर्प दोष (Karkotak Kaalsarp Dosh) के अशुभ फल से बचाव होता है. इस दोष की शांति के लिए नागपंचमी एवं शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा अधिक फलदायी होती है. पंचमी तिथि में सवा किलो जौ बहते जल में प्रवाहित करने से भी कर्कोटक कालसर्प दोष शांत होता है.