कलाकार बनने के योग कुण्डली में (Astrology Yogas For Artist Profession)

कला जगत में नाम, शोहरत एवं पैसा है, इस कारण से लोगों कला जगत में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश करते हैं. परंतु, सच यह है कि किसे किस क्षेत्र में सफलता मिलेगी वह ईश्वर पहले से तय करके धरती पर भेजता है. कला जगत में भी कई काम हैं जैसे अभिनय, गायन, नृत्य, लेखन आदि. कौन व्यक्ति अभिनेता बन सकता है कौन गीतकार तथा कौन गायक यह उस व्यक्ति की कुण्डली से ज्ञात किया जा सकता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में जो योग मजबूत होगा कला के उस क्षेत्र में व्यक्ति के सफल होने की उतनी ही अधिक संभावना रहेगी.

आपके लिए कौन व्यवसाय उपयुक्त होगा?

ज्योतिष में जातक अपने कार्य क्षेत्र से जुड़े सभी प्रश्नों के हल समझ पाने में सक्षम होता है. ज्योतिष शास्त्र में बहुत से ऎसे योगों का विवरण प्राप्त होता है, जो जातक के व्यवसाय में सहायक बन सकते हैं. कई ऐसे योगों का निर्माण होता है जो बताते हैं कि जातक किस क्षेत्र में बेहतर कर सकता है. कुछ लोग सैना में तो कुछ लोग लेखन में तो कुछ लोग कला जगत इत्यादि स्थानों पर प्रसिद्धि पाते हैं. इन सभी बातों के बारे में बेहतर रुप से जानने में ज्योतिष मदद करता है. अगर हम इस बात को समझ पाएं तो ये स्थिति हमारे लिए बहुत सहायक बन सकती है. ज्योतिष के द्वारा संभावनाओं की तलाश में हम सफल भी होते हैं.

कला जगत में सफलता दिलाने वाले ग्रह (Planets that bring success in the arts)

ज्योतिषशास्त्र में शुक्र को कला एवं सौंदर्य का कारक माना जाता है. शुक्र से ही संगीत, नृत्य, अभिनय की योग्यता आती है. शुक्र के द्वारा रुप सौदर्य से और अपनी भाव भंगिमाओं से ही एक कलाकार अच्छे अभिनय को जन्म दे सकता है.

बुध बुद्धि और वाणी का प्रभाव देता है. एक प्रभावशाली रुप से बोले गए संवाद से दूसरों के मन में जातक अपनी पहचान को स्थापित कर पाएगा. कला जगत में कामयाबी के लिए इन तीनों ग्रहों का शुभ एवं मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है.

चंद्रमा को कला के क्षेत्र में काम करने की अभिरुचि देने वाला कहा गया है. क्योंकि सिनेमा जगत में कलाकार के साथ सफलता और असफलता बनी ही रहती है ऐसे में इस स्थिति का सामना वही कर सकता है जिसका मन मजबूत हो. अगर जातक का मन कमजोर हुआ तो वह जल्द ही हार मान जाएगा और उस स्थान से लौट आएगा.

इस लिए शुक्र, बुध, चंद्रमा का सहयोग कला के क्षेत्र में आपके लिए बहुत सहायक बनता है.

कला जगत में सफलता के लिए भाव एवं भावेश की स्थिति (The position of Bhava and Bhavesh for success in arts)

अभिनय तथा गायन में वाणी प्रमुख होता है. वाणी का भाव दूसरा भाव होता है. पांचवां भाव मनोरंजन स्थान होता है. इन दोनों भावों के साथ ही साथ दशम भाव जो आजीविका का भाव माना जाता है इन सभी से यह आंकलन किया जाता है कि कोई व्यक्ति कलाकार बनेगा या नहीं अथवा कला के किस क्षेत्र में उसे अधिक सफलता मिलेगी. लग्न तथा लग्नेश भी इस विषय में काफी प्रमुख माने जाते हैं (Lagna and lagna lord are also important to judge whether person will be artistic).

एक्टिंग के लिए लग्न और उसका प्रभाव

जातक का लग्न व लग्नेश अत्यधिक बली होना चाहिए. लग्न के मजबूत होने के कारण ही जातक अपने काम में कितना मजबूती से आगे बढ़ सकता है, क्या उसके व्यक्तित्व में वो छाप है जो उसे दूसरों से अलग दिखा सके, उसके द्वारा की गई एक्टिंग को लोग हमेशा याद रख पाएं. इन बातों को समझने के लिए लग्न और लग्नेश की स्थिति देखनी अत्यंत आवश्यक होती है.

जातक के लग्न और लग्नेश के मजबूत होने पर व्यक्ति के भीतर कार्य करने की उत्सुकता आती है और उसका लगाव अपने क्षेत्र से कितना होगा, इसे समझने के लिए भी हमे लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना ज़रुरी होता है.

अभिनय और तीसरा भाव

कुण्डली के तीसरे भाव से जातक के साहस और उसकी क्षमताओं को समझने में मदद मिलती है. इस भाव से व्यक्ति में संघर्ष करने की क्षमता, उसके रुझान उसकी रुचि जैसे की उसे किस चीज में काम को करना ज्यादा पसंद है इत्यादि बातें इसी भाव से देखी जाती हैं. इसके साथ ही कलात्मक अभिरुचि से जुड़ा कोई भी क्षेत्र रहा हो उसे हम इस तीसरे भाव से देख सकते हैं.

तीसरे भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक होने पर जातक कला से जुड़े क्षेत्रों में ज़रुर जाता है. तीसरे भाव के प्रभाव स्वरूप जातक में रचनात्मक गुण आते हैं और वह चीजों को कलात्मक रुप से कर सकता है. सृजनात्मकता करने में भी वह योग्य होता है.

पंचम भाव या पंचमेश का संबंध तीसरे भाव और शुक्र से बनने पर जातक में अभिनय करने की योग्यता देखने को मिलती है. जातक अभिनय के क्षेत्र में अपना नाम भी कमा सकेगा. जन्म कुण्डली में लग्न या लग्नेश से तीसरे भाव का संबध बनता है तो ये योग भी कला की वृद्धि करने में सहायक होता है. कुण्डला का तीसरा भाव मीडिया, लेखन और संचार साधनों को दर्शाता है. यदि इस भाव में शुभ प्रभाव हुआ तो व्यक्ति को अपने काम में सकारात्मकता और प्रसिद्धि भी मिल सकेगी.

एक्टिंग में पांचवें भाव का महत्व

कला के क्षेत्र में जन्म कुण्डली के पांचवें भाव का आंकलन भी किया जाता है. एक कलाकार की जन्म कुण्डली में पांचवा भाव उसकी बुद्धि कौशल एवं अपने डॉयलाग को याद रख पाने, उसे पेश कर पाने की अभिव्यक्ति इसी से देखी जा सकती है. जातक की कुण्डली में पंचम भाव का संबंध जब दशम भाव से या दशमेश से बनता है तो व्यक्ति कला क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर पाता है.

जन्म कुण्डली का पांचवां भाव को एन्टरटेन्मेंट का भाव भी होता है. इसलिए पांचवां भाव मनोरंजन और दसवां भाव कमाई का भाव कहलाता है और जब इन दोनों का संबंध बनता है तो जातक को कला क्षेत्र से काम और लाभ दोनों मिल सकते हैं.

कालाकार बनने में दसवां भाव और उसका महत्व

जन्म कुण्डली का हर भाव महत्वपूर्ण होता है और कुण्डली में भाव के विचार द्वारा आधार द्वारा जातक के विषय में विस्तार से समझने में मदद मिल सकती है. जन्म कुण्डली का दसवां भाव कर्म भाव कहलाता है और इस भाव से जातक के काम उसके व्यवसाय को समझने में मदद मिलती है. दसवें भाव का राशि स्वामी और इस भाव में स्थित ग्रहों के द्वारा जातक के व्यवसाय और उसके रुझान को समझने में सहायता मिलती है. इसके साथ ही दशम भाव पर दृष्ट ग्रहों का प्रभाव भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

विशेष :बली लग्न-लग्नेश, बली पंचम-पंचमेश, बली तृतीय भाव व तृतीयेश तथा बली दशम भाव व दशमेश का आपस में जितना शुभ संबंध बनेगा उतना ही अच्छा कलाकार व्यक्ति बनेगा. इन सभी भावों का जितना कमजोर संबंध होगा व्यक्ति की अभिनय क्षमता भी उसी प्रकार से होगी.

अभिनय, गायन एवं संगीत में सफलता दिलाने वाले योग (Yogas that bring success in Acting, Singing and Music)

वृष लग्न अथवा तुला लग्न की कुण्डली शुक्र एवं बुध की युति दशम अथवा पंचम में भाव में हो तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में ख्याति प्राप्त कर सकता है. पंचम भाव जिसे मनोरंजन भाव कहते हैं उस पर लग्नेश की दृष्टि हो साथ ही शुक्र या गुरू भी उसे देखते हों तो व्यक्ति अभिनय की दुनियां में अपना कैरियर बना सकता है. शुक्र, बुध एवं लग्नेश जिस व्यक्ति की कुण्डली में केन्द्र भाव में बैठे हों उन्हें कला जगत में कामयाबी मिलने की अच्छी संभावना रहती है. तृतीय भाव का स्वामी शुक्र के साथ युति सम्बन्ध बनाता है तो व्यक्ति कलाकर बना सकता है.

कुण्डली में मालव्य योग, शश योग, गजकेशरी योग, सरस्वती योग (Malavya yoga, shasha yoga, gajkesari yoga, saraswati yoga) हों तो व्यक्ति के अंदर कलात्मक गुण मौजूद होता है. अपनी रूचि के अनुरूप वह जिस क्षेत्र में अपनी योग्यता को निखारता है उसमें सफलता मिलने की पूरी संभावना रहती है. चंद्रमा पंचम, दशम अथवा एकादश भाव में स्वराशि में बैठा हो तथा शुक्र शुक्र दूसरे घर में स्थित हो या चन्द्र के साथ इन भावों में युति बनाये तो कलाकार बनने के लिए व्यक्ति को प्रेरणा मिलता है. शुक्र चन्द्र की इस स्थिति में व्यक्ति अभिनय या गीत, संगीत में नाम रोशन कर पाता है. गुरू चन्द्र एक दूसरे को षष्टम अष्टम दृष्ट से देखता है साथ ही गुरू यदि आय भाव का स्वामी हो तो व्यक्ति कला जगत से आय प्राप्त करता है.

हर व्यक्ति के मन में एक कलाकार होता ही है. कुछ में वह सामने नहीं आ पाता है तो कुछ में यह प्रतिभा स्वयं ही बाहर आ जाती है. कला क्षेत्र में बहुत लोग प्रयास करते हैं लेकिन उनमें से कुछ को अभिनय की दुनिया में सफलता मिल जाती है तो कुछ को बहुत अधिक सफल नही हो पाते हैं, और यही बात को हम ज्योतिष द्वारा बहुत आसानी से समझ सकते हैं.