विदेश में नौकरी और आजीविका (Vedic astrology and livelihood from a job in a foreign country)
विदेश में नौकरी एवं आजीविका की चाहत आज के युवाओं की पहली पसंद बन गई है. ऊँची डिग्रियां लेने के बाद ख्वाहिश यही होती है कि वह विदेश जाकर खूब कमाएं. लेकिन, विदेश जाने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एवं योग यह तय करते हैं कि वह विदेश जाएगा या नहीं. अगर विदेश यात्रा के योग बलशाली नहीं हैं तो व्यक्ति के विदेश जाने की संभावना कम रहती है. जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग कमज़ोर होते हैं उन्हें विदेश में वह सफलता नहीं मिलती है जिनकी ख्वाहिश वह रखते हैं.
कार्यक्षेत्र में छठे भाव का महत्व
छठा भाव नौकरी का भाव भी होता है, और प्रतिस्पर्धा का भी होता है. इस भाव में पाप ग्रह का होना आपको विरोधियों पर हावि होने वाला बनाता है. आप अपने संघर्षों से आगे बढ़ते हुए जीवन जीते हैं. व्यक्ति अपने काम में किस प्रकार आगे बढ़ता है और कैसे अपने विरोधियों को नियंत्रित कर पाएगा या नहीं कर पाएगा इन सभी बातों को समझने के लिए छठे भाव को समझने की आवश्यकता होती है. यहां शुभ ग्रह की स्थिति आपके लिए अनुकूल नहीं होती है. शुभ भाव के प्रभाव से कार्य क्षेत्र पर आपके सहयोगी आपका इस्तेमाल करेंगे और आप चाह कर भी कुछ नही कर पाते हैं. .
कार्यक्षेत्र में दशम भाव का महत्व
जन्म कुण्डली का दसवां भाव कर्म क्षेत्र माना गया है. इस भाव से जातक के कर्म उसके काम के स्थान का अंदेशा लगाया जा सकता है. इस भाव से ये समझने में मदद मिलती है की जातक कौन सी फील्ड में अपना भाग्य आजमा सकता है. इसी भाव से जीवन में मिलने वाला उत्साह मिलता है.
दशम भाव में स्थित ग्रह और राशि के प्रभाव से ये समझने में मदद मिलती है. शुभ ग्रहों की स्थिति के प्रभाव के कारण आपको जीवन में सकारात्मक रुख की प्राप्ति होगी. यहां स्थिति राशि और ग्रह के स्वभाव से नौकरी की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है. यह भाव दिखाता है की कार्य को लेकर जातक कितना महत्वकांक्षी होगा.
विशेष:मुख्य रुप से यह दोनों भाव आपके काम को प्रभावित करते हैं आप कौन सा व्यवसाय चुनेंने या किसी नौकरी को कर सकते हैं इन बातों को इन दोनों भावों से समझने में मदद मिलती है. अब दूसरी बात आती है की हमारा काम जहां हम रहते हैं वहीं पर रहेगा या हमें उससे दूर जाकर काम करना पड़ेगा. अब ये बात समझने के लिए हमें बारहवें भाव को देखना पड़ता है. बारहवां भाव कुण्डली में विदेश यात्रा को दिखाता है.
विदेश में जाकर धन कमाने के योग (Yogas for job in a foreign country)
ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है. कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं.
- ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है (The lord of the second house gives migration to foreign land if it is in the twelfth house). यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है.
- कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेश यात्रा का योग बनता है.
- पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है.
- भाग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है.
- चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो (A moveable sign placed in the fourth or the 12th house and conjunction of Moon and Sun in the tenth house) और चन्द्रमा से दसवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है.
- आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है. इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है.
- विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये. इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में बनता है तो विदेश जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदेश में आप धन कमा सकते हैं.
विदेश यात्रा योग का फल (Judging the result of the yoga for foreign travel)
कुण्डली में विदेश यात्रा के योग होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको विदेश जाने का अवसर मिलेगा. इस विषय में ज्योतिषियों का मत है कि योग अगर कमज़ोर है तो विदेश में आजीविका की संभावना कम रहती है, इस स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपने ही देश में नौकरी अथवा कोई व्यवसाय करे.
जन्म कुण्डली में चौथा भाव पाप तो व्यक्ति अपने निवास स्थान से दूर रहने को मजबूर होता है, ऎसे में काम करने के लिए उसे बाहरी स्थान ही मिलता है वहीं जब लग्न, चतुर्थ और दशम भाव का स्वामी बारहवें भाव में स्थित हो तो उस स्थिति में भी जातक को अपने जन्म स्थान से दूर जाकर काम करना पड़ता है वह विदेश जा कर काम कर सकता है.
इसी प्रकार छठे, दसवें ओर बारहवें का संबंध भाग्य भाव में बन रहा हो तो उसमें भी जातक का भाग्य उदय विदेश स्थान पर जाकर हो सकता है.
ज्योतिष में बनने वाले कुछ योगों का प्रभाव व्यक्ति को नौकरी में विदेश की स्थिति दिखाता है. दशम का स्वामी बारहवें में राहु के साथ स्थिति हो तो भी ये स्थिति जातक को विदेश में काम करवाने वाली होती है. राहु को विदेश का कारक ग्रह भी कहा जाता रहा है. ऎसे में इस ग्रह के प्रभाव से भी व्यक्ति को विदेशों में काम करने के मौके मिलते हैं. विदेश में आपका काम कब तक रहेगा और कितना समय आप वहां रह पाएंगे यह कुण्डली में बनने वाले योग की मजबूती ओर दशाओं पर निर्भर करता है. इन सभी बातों का सूक्ष्म रुप से चित्रण करके ही ये समझा जा सकता है की जातक को विदेश में काम मिल सकता है या नहीं.
विदेश में नौकरी में सफलता पाने के उपाय
विदेश में नौकरी की प्राप्ति और बार-बार उत्पन्न होने वाली बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए यहां कुछ उपाय बताए जा रहें. पूर्ण विश्वास के साथ इन उपायों को करें लाभ की प्राप्ति अवश्य होगी.
हनुमानजी के मंदिर में जाकर उन्हें 11 मंगलवार पान का भोग लगाएं. हनुमान जी के उड़ने वाले चित्र को अपने घर के पूजा घर में स्थापित करें.
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी का व्रत एवं पूजन करें.
40 दिन नियमित रुप से चिडिया और कबूतरों को खाने को दाना डालें.
विदेश जाने के लिए नारायण कवच का पाठ नियमित रुप से करें.