शनि रत्न नीलम (Blue Sapphire, The Gemstone of Saturn)

सूर्य का रत्न माणिक्य है, चन्द्र का मोती, मंगल का मूंगा इसी प्रकार शनि का रत्न है नीलम. शनि को नवग्रहों में पाप ग्रह तथा क्रूर ग्रह के रूप में संबोधित किया गया है. माना जाता है कि शनि अपनी दशा में व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार दंड देता है इसलिए, शनि की दशा कष्टकारी प्रतीत होती है. शनि के कष्टदायी प्रभाव को कम करने हेतु शनि का रत्न नीलम धारण करना लाभप्रद होता है. नीलम को चमत्कारी रत्न माना जाता है, यह न सिर्फ शनि के प्रकोप से रक्षा करता है बल्कि इसमें तकदीर बदलने की भी क्षमता मानी जाती है. नीलम की खूबियों, पहचान एवं प्रकार के विषय में आपकी जो भी जिज्ञासा है इस आलेख में उन सभी विषयों की चर्चा की जा रही है.

शनि का रत्न क्यो है नीलम (Why is Saturn's Gemstone Blue Sapphire)

शनि का रंग नीला होता है. नीलम का रंग भी नीला होता है. नीलम में शनि की उर्जा को अवशोषित करने की क्षमता होती है यही वजह है कि नीलम को शनि का रत्न माना गया है. नीलम को कई नामों से जाना जाता है. नीलम को अंग्रेजी में Blue Sapphire कहते हैं. संस्कृत में नीलम को इन्द्रनील, तृषाग्रही नीलमणि नाम से जाना जाता है. फरासी में याकूत, कबूद नाम से इसे जाना जाता है.

नीलम के प्रकार (Types of Blue Sapphire)

नीलम की पहचान करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि नीलम कितने प्रकार का होता है. यह जान लेने से नीलम की पहचान करना आसान हो जाता है. संरचना के आधार पर संसार में प्राप्त होने वाले नीलम के दो प्रकार होते हैं जिनके नाम हैं जल नीलम और इन्द्र नीलम.

जल नीलम (Jala-Neelam Gemstone)

जिस नीलम के चारों तरफ नीली आभा दिखाई देती है तथा बीच में सफेद रंग की आभा नज़र आती है उसे जल नीलम कहा जाता है.

इन्द्र नीलम (Indra-Neelam Gemstone)

इन्द्र नीलम को शुक्र नीलम भी कहते हैं. यह नीलम चारों तरफ से गहरे रंग का होता है और बीच में हल्की नीली आभा छिटकती रहती है..

नीलम की पहचान (How to recognize a Blue Sapphire)

नीलम कीमती रत्न है अत: विक्रेता नकली नीलम बेचकर लोगों को खूब ठगते हैं. नीलम खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हर नीला पत्थर नीलम नहीं होता है. अच्छा नीलम वह होता है जिसकी आभा से दूसरी वस्तु भी नीली दिखने लगती है. श्रेष्ठ नीलम से नीली रोशनी निकलती हुई प्रतीत होती है.

नीलम धारण करने में सावधानी (Precautions While Wearing Blue Sapphire)

नीलम को बहुत ही प्रभावशाली रत्न माना जाता है. त्रुटिपूर्ण नीलम धारण करने से नुकसान होता है. जिस नीलम में दो रंग की आभा दृष्टिगत होती है उसे नहीं पहनना चाहिए. यह परिवार के लिए नुकसानदेय होता है, विशेषतौर पर संतान एवं जीवनसाथी के लिए कष्टकारी माना जाता है. जिस नीलम में जाल दिखता हो उसे धारण करने से रोग में वृद्धि होती है. जिस नीलम में चीरा दिखाई देता हो उसे नहीं पहनना चाहिए. इससे धन की हानि होती है. सफेद लकीर वाली नीलम तथा दाग़दार नीलम पहनना कष्टकारी होता है. इससे दुर्घटना भी हो सकती है.

नीलम किसे पहनना चाहिए (Who should wear Blue Sapphire)

मेष, वृष एवं तुला लग्न के लिए शनि योगकारी ग्रह होते हैं. इस लग्न के व्यक्ति नीलम धारण कर सकते हैं. मकर एवं कुम्भ राशि के स्वामी शनि ग्रह हैं अत: इस लग्न के लिए शनि शुभ होते हैं अत: मकर एवं कुम्भ लग्न के व्यक्ति भी नीलम पहन सकते हैं. कुण्डली में अगर शश योग है तो नीलम पहनना बहुत ही फायदेमंद होता है. वे लोग जिनकी कुण्डली में शनि कमज़ोर, वक्री एवं अस्त हैं और शुभ भाव में बैठे हैं अथवा शुभ भावों के स्वामी हैं तो नीलम पहनन सकते हैं.

नीलम कब पहनना चाहिए (When should one Wear Blue Sapphire)

जब शनि की महादशा अथवा अन्तर्दशा चल रही हो उस समय नीलम पहनना लाभकारी रहता है. साढ़ेसाती एवं ढैय्या की अवधि में भी नीलम धारण कारण कल्याणकारी होता है.

नीलम के लाभ (Benefits of Wearing Blue Sapphire)

नीलम शनि का रत्न है अत: इसे धारण करने से व्यक्ति में धैर्य व साहस बढ़ता है. मेहनत करने की क्षमता बढ़ती है तथा मेहनत का पूरा फल प्राप्त होता है. नेत्र रोग, ज्वर एवं रक्त सम्बन्धी रोग में कमी आती है.

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