वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा जानिए प्रश्न कुण्डली से (When I will get married and How Will be Married Life)
गृहस्थी सुखमय हो तो घर में देवताओं का निवास होता है. गृहस्थी में अशांति, कलह और मतभेद बना रहे तो, लक्ष्मी भी रूठ जाती है. भारतीय दर्शन की परिकल्पना भी यही कहती है कि जिस घर में प्रेम का वास होता है वहीं तीनों लोक विराजमान होता है. यही कारण है हर व्यक्ति सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करता है. क्या आप जानना चाहते हैं कि आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा!
प्रश्न ज्योतिष से सुखी वैवाहिक जीवन का विश्लेषण (Analysing happiness from marriage through prashna kundali)
प्रश्न कुण्डली ज्योतिषशास्त्र का ही एक अंग है. वैवाहिक जीवन कैसा होगा इस प्रश्न के विषय में प्रश्न कुण्डली का विश्लेषण करने के लिए प्रश्न ज्योतिष के अनुसार लग्नेश और सप्तमेश तथा लग्न और सप्तम भाव को देखना चाहिए (The lagna lord, and the seventh lord are important for marriage). पुरूष की कुण्डली में शुक्र तथा स्त्री की कुण्डली में गुरू की स्थिति से भी भी वैवाहिक जीवन में सुख दु:ख प्रेम और अन्य बातों का पता चलता है. वैवाहिक जीवन सुखमय होगा या नहीं इस विषय में सामान्य नियम यह है कि अगर प्रश्न कुण्डली में लग्न अथवा लग्नेश, सप्तम भाव अथवा सप्तमेश अगर शुभ और बलवान है तथा गुरू और शुक्र पाप ग्रहों से पीड़ित या मंदा नहीं है तो वैवाहिक जीवन सामान्य रूप से सुखमय होगा.प्रश्न कुण्डली में सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ग्रह स्थिति (Prashna kundali combinations for happy married life)
प्रश्न कुण्डली के नियमानुसार, वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा जब यह सवाल प्रश्न कुण्डली से पूछा जाता है तब प्रश्न की कुण्डली में लग्नेश और सप्तमेश दोनों एक दूसरे को देख रहे हों तो इसे वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्नेहपूर्ण सम्बन्ध का सूचक समझना चाहिए. इसी प्रकार का परिणाम उस स्थिति मे भी प्राप्त होता है जब लग्न का स्वामी और सप्तम भाव का स्वामी एक साथ प्रथम भाव अथवा सातवें भाव में विराजमान होते हैं. प्रश्न की कुण्डली में अगर लग्नेश और सप्तमेश एक दूसरे के मित्र हों और उनकी दृष्टि शुभ हो तो पति पत्नी के बीच आपसी सामंजस्य और प्रेम बना रहता है.लग्नेश अगर लग्न में बैठा हो और चन्द्रमा की शुभ दृष्टि लग्न पर हो तो वैवाहिक जीवन में पति पत्नी एक दूसरे के प्रति समर्पित होते हैं उनमें एक दूसरे के प्रति विश्वास और स्नेह भरा होता है. सप्तम भाव में सप्तमेश हो और चन्द्रमा लग्नेश के साथ युति बना रहा हो तो इसे भी सुखमय और प्रेमपूर्ण वैवाहिक जीवन का सूचक माना जा सकता है. चन्द्रमा अगर कुण्डली में सातवें घर में बैठा हो और सप्तमेश उसे देखता हो तो गृहस्थी खुशहाल रहती है. गुरू और शुक्र क्रमश: लग्न और सप्तम में बैठकर एक दूसरे को देखते हैं (The aspect of Jupiter and Venus on each other) तो प्रेमपूर्ण एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का संदेश देते हैं. अष्टम भाव में अगर शुभ ग्रह हो अथवा अष्टम भाव को शुभ ग्रह देख रहा हो तो मानोनुकूल जीवनसाथी प्राप्त होता है.
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