अनंत कालसर्प दोष और ज्योतिषशास्त्र (Anant Kalsarp dosh)
नवग्रहों में राहु केतु रहस्यमयी ग्रह होने के साथ ही साथ काफी प्रभावशाली ग्रह भी हैं. इन दोनों ग्रहों को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है लेकिन, इनका प्रभाव ऐसा है कि यह जहां भी बैठ जाते हैं उस घर के मालिक बन जाते हैं. भारतीय धर्मशास्त्रों के मुताबिक राहु-केतु के कारण ही सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण होता है. ये दोनों ऐसे ग्रह हैं जिनके बीच में आकर सभी ग्रह कमज़ोर पड़ जाते हैं. जब ग्रहों की ऐसी स्थिति होती है उस समय जिस व्यक्ति का जन्म होता है उसकी कुण्डली में कालसर्प दोष नामक दोष बनता है. इस दोष के कई प्रकार हैं जिनमें अनंत कालसर्प (Anant Kalsarp Dosha) भी एक है.
अनंत कालसर्प दोष का निर्माण How Anant Kalsarp forms?
नागों को पाताल और देव लोक का वासी माना गया है. हमारे धर्म ग्रंथों में नाग जाति को देवताओं के रूप में स्थान दिया गया है. माना जाता है कि नाग की हत्या करने वाले व्यक्ति को कई जन्मों तक इस पाप का प्रायश्चित करना पड़ता है. जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष का होना भी पूर्व जन्म में सर्प की हत्या का कारण माना जाता है. कालसर्प के मुख्य 12 प्रकारों में अनंत काल सर्प योग का निर्माण तब होता है जब राहु लग्न स्थान (Rahu in ascendant) में होता है और केतु सातवें घर (Ketu in seventh house) में रहता है. इन दोनों ग्रहों के बीच में शेष सातों ग्रहों के बैठने से यह योग बनता है.अपनी कुंडली में कालसर्प दोष चैक कीजिये "Check Kalsarp Dosha in Your Kundli" एकदम फ्री
अनंत कालसर्प दोष का प्रभाव - Effects of Kalsarp Dosh
अगर कुण्डली में अनंत कालसर्प दोष है तो व्यक्ति निडर और स्वतंत्र विचारों वाला होता है. वह हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहता है. अपने दु:साहसी व्यवहार के कारण उसे दुर्घटनाओं का सामना करना होता है. सिर पर चोट लगने की संभावना रहती है. इस दोष के प्रभाव के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग रहने की जरूरत होती है. सेहत के प्रति लापरवाही से जल्दी ही यह रोगग्रस्त हो सकते हैं. सरकारी मामलों में लापरवाही इनके लिए नुकसानदेय हो सकता है. किसी विवाद में इन्हें आदलत के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं.इन्हें अपने मान-सम्मान को ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए क्योंकि मान-सम्मान पर आंच आने की संभावना रहती है. मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिलने के कारण मानसिक तनाव और निराशात्मक विचारों का इन पर दबाव बना रहता है. दाम्पत्य जीवन में भी यह योग बाधक बनता है. व्यक्ति अगर सूझ-बूझ एवं शांति से काम नहीं ले तो गृहस्थी में जीवनसाथी से अनबन बनी रहती है.