कृष्णमूर्ति पद्धति और चौथा भाव - KP Astrology and Forth House

चौथे घर को सुख (happiness) का घर कहते है. इस घर से भौतिक सुख-सुविधाएं देखी जाती है तथा माता से प्राप्त होने वाले स्नेह को जानने के लिये भी चौथे घर से विचार किया जाता है. व्यक्ति जब कभी घर से दूर जाता है तब माता से दूर रहने की संभावनाएं बनती है. जिसके फलस्वरुप व्यक्ति के सुख में कमी आती है. जिसका कारण चौथे घर पर अशुभ प्रभाव हो सकता है.

सुख भाव

कृष्णमूर्ति पद्धति में चौथे भाव की स्थिति एक अनुकूल भाव है. यह एक शुभ स्थल भी है. जन्म कुण्डली में घर में मिलने वाला सुख इसी भाव से दिखाई देता है. हमारे भावनात्मक विचार एवं पारीवारिक स्थिति किस प्रकार की है ये बात हमे इस भाव से प्राप्त होती है. इस भाव की स्थिति के बुरे प्रभाव के कारण जातक को घर में सुख नहीं मिल पाता है. वह घर से दूर रह सकता है और घर से अलग ही दिखाई देता है.

विदेश जाने का मार्ग (Way to go Abroad as Per K.P. Systems)

यह भाव व्यक्ति को बताता है की उसकी घर पर स्थिति किस प्रकार की होगी. क्या वह अपने निवास स्थान पर ही रहेगा या फिर उसे अपने निवास स्थान से दूर जाकर रहना पड़ेगा. यह स्थान और इस भाव में यदि कोई ग्रह बैठा हुआ हो तो उस ग्रह के नक्षत्र प्रभाव ओर उसकी अन्य ग्रहों के साथ युति की शुभता या अशुभता द्वारा जातक के जीवन में उसके निवास स्थान को समझने में सहायता मिलती है. व्यक्ति के इस घर के पीड़ित हुए बिना व्यक्ति के घर से दूर विदेश में जाने की संभावनाएं कम ही बनती है. अगर बारहवें भाव के स्वामी का प्रभाव चौथे घर में आता हो या इन दोनों के राशि स्वामियों में यदि राशि परिवर्तन भी हो रहा हो तो भी ये स्थिति व्यक्ति के निवासस्थान से दूर जाने की स्थिति को दिखाती है.

हृदय से संबंधित रोग

शरीर के अंगों में चौथा घर हृदय स्थान होता है तथा इस घर से वक्षस्थल या छाती का विचार किया जाता है. इस भाव में पीड़ा अधिक होने पर व्यक्ति को हृदय से संबंधित रोग भी परेशान कर सकते हैं. चौथे भाव में स्थिति ग्रह चौथा भाव और चौथे भाव का स्वामी यह सभी मिलकर आपके दिल और छाती से जुड़े विकारों को दिखाते हैं.

चौथे घर के कार्य (Acts of the Fourth House as Per K.P. Systems)

चौथा घर तीसरे घर से द्वितीय घर होने के कारण भाई-बन्धुओं में वृद्धि की संभावना बनाता है. यह घर पंचम से बारहवां घर होता है इसलिये मध्यम स्तर की शिक्षा के लिये देखा जाता है. यह घर सुख स्थान होता है इसलिए घर के सुख के साथ वाहन का सुख, जमीन, खेती, तथा बगीचे की प्राप्ति भी इसी घर से देखी जाती है. कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthy system) में चतुर्थ स्थान से ही कालेज की शिक्षा देखी जाती है परन्तु परम्परागत ज्योतिष में यह शिक्षा पंचम घर से देखी जाती है.

चौथा भाव घर में होने वाले बदलावों को दिखलाता है. इस भाव में घर में होने वाले परिवर्तन देखे जा सकते हैं. घर में बदलाव होना निर्माण के काम होना कोई नई वस्तुओं का घर पर लाया जाना ही चतुर्थ की स्थिति की सकारातमकता को दर्शाने वाला होता है. वहीं घर का सुख न मिल पाना, घर का पुराना या खराब हालात का होने पर पाप प्रभाव की स्थिति ही दिखाई देती है.

चौथे भाव में ग्रहों का फल

सूर्य - सूर्य का चौथे भाव में होना जातक को सामाजिक रुप में प्रसिद्धि देता है लेकिन पारिवारिक रुप में परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है.


चंद्रमा -चौथे भाव में चंद्रमा की स्थिति होने पर व्यक्ति को परिवार में अपनी माता का प्रेम ओर सहयोग मिलता है सुख की प्राप्ति होती है. वस्त्र एवं आभूषण इत्यादि भी प्राप्त हो सकेंगे.


बुध -बुध के इस भाव में होने पर जातक को शिक्षण संस्थानों में जाने का मौका मिलता है. जातक घर से दूर जाकर काम कर सकता है. माता का स्वास्थ्य कमजोर रहता है. मित्रों का सहयोग मिलता है और घूमने फिरने के मौके भी मिलते हैं.


मंगल - मंगल का प्रभाव व्यक्ति के घर की शांति भंग करने जैसा होता है. मंगल के कारण व्यक्ति के घर में कोई न कोई बदलाव बना ही रहता है. लोगों के साथ विरोध की स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है.


शुक्र -शुक्र का प्रभाव यहां होने पर व्यक्ति के पास सुख और समृद्धि मिलती है. जातक अपने प्रियजनों के साथ रहकर मौज मस्ती के पल भी गुजारता है. यात्राएं करनी पड़ सकती है और यात्रा से लाभ की प्राप्ति होती है. संगीत व और नृत्य के प्रति रुझान भी अधिक रहेगा. वाहन का सुख भी प्राप्त होता है.


शनि -शनि की चतुर्थ भाव में स्थिति के कारण मानसिक ओर घरेलू सुख में कमी झेलनी पड़ सकती है. पैतृक संपत्ति मिल सकती है. घर कुछ पुराने इंटीरियर का बना होता है.


राहु-केतु -जातक घर से दूर रह सकता है. अपने लोगों के साथ किसी न किसी कारण से अनबन हो सकती है. दुर्घटना के योग भी बनते हैं. माता को मानसिक कष्ट अधिक होता है.


दोनों पद्धतियों में अन्तर (Difference between Both the Systems as Per K.P. Systems)

कृष्णमूर्ति पद्धति में चौथे घर से कालेज की शिक्षा देखी जाती है तथा पांचवें घर से ईश्वरीय ज्ञान, अनुभूति, ईश्वर की पहचान तथा आत्मा के दर्शन की चाह को जाना जाता है. पारम्परिक ज्योतिष में पांचवें घर से ही कालेज की शिक्षा का भी विचार किया जाता है.

अन्य बातें (Othr Information as Per K.P. Systems)

  1. चौथे घर से वाहनों से प्राप्त होने वाले सुख को देखा जाता है.

  2. इस स्थान से ही पानी (कर्क राशि का स्थान होने के कारण), कन्सट्रक्शन, सिमेंट, रेती आदि वस्तुओं का विचार इस घर से किया जाता है.

  3. चौथा घर शिक्षण संस्थाओं.

  4. संतान का विदेश गमन.

  5. वाहन जैसे किए गाड़ियों , मोटर, हवाई जहाज इत्यादि का विचार होता है.

  6. इस घर से यात्रा में प्रयोग होने वाले वाहनों के विषय में भी जाना जाता है.

  7. चौथा घर माता का होने के कारण, माता के स्वास्थ्य के विषय में भी इस घर से जाना जाता है.

  8. पिता की दुर्घटना आदि का विश्लेषण करने के लिये चौथे घर से विचार किया जाता है.

  9. चौथा घर, तीसरे घर से द्वितीय घर होने के कारण पराक्रम व साहस में वृद्धि के लिये विशेष रुप से देखा जाता है.

  10. चतुर्थ भाव पंचम भाव का व्यय स्थान होने के कारण संतान सुख में कमी तथा प्रेम प्रसंगों में असफलता के लिए भी देखा जाता है.

घर में इस भाव का स्थान (Place of this House in the Home as Per K.P. Systems)

पढ़ाई का कमरा, पानी रखने की जगह, कुंए आदि चतुर्थ भाव के स्थान माने जाते हैं.

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