कृष्णमूर्ति पद्धति और तीसरा भाव - KP Astrology and Third Houses
अगर आप शक्ति-सामर्थ्य, पराक्रम के विषय में जानना चाहते हैं तो आपको कुण्डली के तीसरे घर को देखना चाहिए. इसी प्रकार जब आप माता से स्नेह तथा सुख के विषय में जानाना चाहते हैं. भूमि एवं वाहन सुख आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा अथवा कितना मिलेगा तो इस विषय में चौथे घर को देखा जाता है.
पारम्परिक ज्योतिष (Traditional astrology) के समान कृष्णमूर्ति ज्योतिष पद्धति में इन भावों के विषय में समान मान्यताएं हैं. अगर आप कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthi Paddhati) से भविष्य फल जानने की कोशिश कर रहे हैं तो तीसरे और चौथे भाव से किन-किन विषयों के बारे में जान सकते हैं
तीसरा भाव या पराक्रम स्थान ( Consideration of the Third House as Per K.P. Systems)
कुण्डली के तीसरे घर को पराक्रम स्थान के नाम से जाना जाता है. शरीर के अंगों में यह घर श्वसन तंत्र का काम करता है. हाथ, कंधे, हाथों का ऊपरी हिस्सा, उंगलियां, अस्थि मज्ज, कान व श्रवण तंत्र तथा कंठ का स्थान के विषय में जानने के लिए भी तीसरे घर को ही देखा जाता है.इस भाव की विशेषताएं (Qualities of Third House as Per K.P. Systems)
पराक्रम भाव से व्यक्ति की बाजुओं के बल का भीविचार किया जाता है. इसके अलावा व्यक्ति में साहस, वीरता आदि के लिये भी तीसरे भाव देखा जाता है. तीसरे घर से व्यक्ति की रुचियां व शौक देखे जाते है. यह घर लेखन (writing) की भी जानकारी देता है.यह घर चौथे घर से बारहवां घर होने के कारण सुख में कमी की संभावनाओं कोदर्शाता है. तृतीय भाव द्वितीय भाव से दूसरा घर होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के अंदर संगीत के प्रति लगाव को भी देखा जाता है. इस घर में जो भी राशि होती है उसके गुणों के अनुसार व्यक्ति का शौक होता है.