शुक्र के भिनाष्टकवर्ग से जन्म कुण्डली के जातक को शुक्र से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए उससे प्राप्त बिन्दुओं की संख्या को जानने की आवश्यकता होती है. शुक्र को वैभव, विलासिता और ऎश्चर्य का कारक माना गया है. कुण्डली
Read More..
कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो जाते हैं. इसके बलहहीन होने के प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों मेंतनाव को उत्पन्न कर सकते हैं.स्त्रियों की कुंडली में शुक्र के बलहीन
Read More..
कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल हो इत्यादि तथ्यों से ग्रह के कमजोर होने कि स्थिति का पता लगाया
Read More..
अष्टकवर्ग में बृहस्पति के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक को बृहस्पति से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए बिन्दुओं की संख्या का निर्धारण करने की आवश्यकता पड़ती है. बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है. इसी के
Read More..
चिकित्सा ज्योतिष में हर ग्रह शरीर के किसी ना किसी अंग से संबंधित होता है. कुंडली में जब संबंधित ग्रह की दशा होती है और गोचर भी प्रतिकूल चल रहा होता है तब उस ग्रह से संबंधित शारीरिक समस्याओं व्यक्ति को होकर गुजरना पड़ सकता है. आइए ग्रह और
Read More..
अष्टकवर्ग में बुध के फलों के बारे में जानने के लिए उसके भिन्नाष्ट वर्ग में प्राप्त बिन्दुओं की संख्या द्वारा समझना आसान होता है. किसी जातक की कुण्डली में 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित बुध निर्बल होता है तथा उसके परिणामों में शुभता नहीं रह
Read More..
वैदिक ज्योतिष का मुख्य आधार जन्म कुंडली और उसमें स्थापित नौ ग्रह, बारह राशियाँ व 27 नक्षत्र हैं. इन्हीं के आपसी संबंध से योग बनते हैं और इन्हीं के आधार पर दशाएँ होती है. ज्योतिष में बारह राशियों का अपना ही स्वतंत्र महत्व होता है. भचक्र में
Read More..
किसी भी रोग के होने की संभावना को एक कुशल ज्योतिषी अपने पूर्वानुमान से बता सकता है लेकिन इसके लिए कुंडली में मौजूद बहुत सी बातों का मिलना जरुरी है. पाठको को किसी एक बात को लेकर किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं पालना चाहिए. आज इस लेख के माध्यम
Read More..
जन्म कुंडली में बहुत से शुभ - अशुभ योगो के साथ विदेश यात्रा के योग भी मौजूद होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा कुंडली में चलती है तब व्यक्ति विदेश जाता है. वर्तमान समय में विदेश जाना सम्मान की बात भी समझी जाने लगी है और अधिक पैसे
Read More..
वैदिक ज्योतिष में बहुत सी बातों का अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. किसी एक बात के आधार पर फलित करना किसी की जान को खतरे में डालने जैसा काम हो सकता है. इसलिए फलकथन कहने के लिए जितनी भी आवश्यक शर्ते होती हैं उन सभी का
Read More..
मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को समझने का पूर्ण प्रयास किया जा सकता है. निचे
Read More..
चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ हो तो जातक को जीवन में राजसी सुख की
Read More..
आज के इस लेख में हम मानसिक बीमारियों के अध्ययन की बात करेगें. मानसिक बीमारी होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है, इसकी चर्चा इस लेख के माध्यम से की जाएगी. चिकित्सा ज्योतिष में सभी बीमारियों के कुछ योग
Read More..
सूर्य के भिन्न्ष्टकवर्ग से जातक के शुभाशुभ परिणामों की विवेचना की जाती है. सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. वह आत्मा है. यह आरोग्य व चेतना शक्ति को दर्शाता है. यदि जन्म कुण्डली में सूर्य बली होकर अधिक बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो यह अच्छे
Read More..
वैदिक ज्योतिष में जीवन के हर पहलू का विश्लेषण किया गया है. जन्म से लेकर मृत्यु तक का फलकथन किया जाता है. जीवन की सभी घटनाओं की जानकारी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिषी अत्यधिक कुशल हो. व्यक्ति को अपने भविष्य में
Read More..
फिल्म लाईन में जाने के लिए प्रमुख भाव | Primary Houses For Entering Film Industry जन्म कुण्डली का हर भाव महत्वपूर्ण होता है. सभी की अपनी विशेषता होती है. कुण्डली के दशम भाव से व्यवसाय का आंकलन किया जाता है. इसलिए दशम भाव के स्वामी ग्रह,
Read More..
ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल
Read More..
अष्टकवर्ग के सर्वाष्टक में मंडल शोधन, शोधनों त्रिकोण शोधन और एकाधिपत्य शोधन करने के पश्चात शोध्य पिण्ड की गणना कि जाती है. ग्रहों के शोध्य पिण्ड निकालने का नियम हम पहले ही आपको बता चुके हैं जिसके अनुसार प्रत्येक ग्रह के और प्रत्येक राशि
Read More..
त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दुसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही ग्रह हो. इस तथ्य के संदर्भ में यहां इस
Read More..
त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही ग्रह हो. इस तथ्य के संदर्भ में यहां इस