चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ हो तो जातक को जीवन में राजसी सुख की प्राप्ति हो सकती है, मन से प्रसन्नत का अनुभव होता है, समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है.
जन्म कुण्डली चंद्रम का 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित होना उसके कमजोर पक्ष को दर्शाता है. चंद्रमा के इस प्रकार से होने पर जातक मन से व्याकुल, तनाव ग्रस्त और चिंतित रह सकता है, मान हानि का भय बना रह सकता है. माता को भी कई प्रकार से स्वास्थ्य हानि हो सकती है.
चंद्रमा 6 या 8 बिन्दुओं के साथ केन्द्र में स्थित हो तो जातक बुद्धिमान व समृद्धि को पाता है. मन से संतुष्ट रहने वाला तथा प्रेम प्रिय होता है.
3, या 3 से कम बिन्दुओं के साथ चंद्रमा बृहस्पति से 6, 8 या 12वें भाव में स्थित हो तो जातक विषाद से ग्रस्त हो सकता है उसे रोग व शत्रु का भय बना ही रहता है.
चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग में जिस राशि में अधिक बिन्दु होते हैं उससे प्रभावित जातक के लिए यह लाभकारी सिद्ध होते हैं. लेखकों कला से संबंधि जातकों की कुण्डली अधिकतम बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा अच्छा रहता है. इसके कारण व्यक्ति कला जगत में अच्छा नाम कमा सकता है.
केन्द्र अथवा त्रिकोण भावों में 6 या 8 बिन्दुओं के साथ स्थित होने पर जातक को जीवन में उच्च स्तर का रहन सहन, शिक्षा प्राप्त होते हैं. धन व ऎश्वर्य को पाने हेतु चंद्रमा का शुभ होना अत्यंत आवश्यक होता है. इसके साथ ही इस पर गुरू की दृष्टि होना और भी शुभता बढा़ता है.
नीच राशिगत चंद्रमा 0 से 3 बिन्दुओं के साथ जिस भाव में भी स्थित होता है उस भाव के नैसर्गिक तत्वों को खराब कर देता है. इस प्रकार जिस दिन चंद्रमा जब ऎसी किसी राशि में गोचर करता है जिस राशि में वह अपने भिन्नाष्टक वर्ग में 0 बिन्दु देता हो तो उक्त दिन में किसी भी शुभ कार्य को टालना ही अच्छा होता है.
जन्म कुण्डली में चंद्रमा अपने भिन्नाष्टक वर्ग में 3 और कम बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो ऎसे जातक को सेहत से संबंधि परेशानियां हो सकती हैं. आयु पर भी प्रभाव पड़ता है. यदि कृष्ण पक्ष का चंद्रमा अपनी नीच राशि में या शत्रु राशि के साथ होकर केन्द्र या त्रिकोण में बैठा हो और भिन्नाष्टकवर्ग में केवल 2 या 3 बिन्दु ही प्राप्त हो ऎसी स्थिति में चंद्रमा द्वारा गृहीत भाव का बल समाप्त हो जाता है.
चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग में चंद्रमा से अष्टम भाव के बिन्दुओं की संख्या को चंद्रमा के शोध्य पिण्ड से गुणा करके उक्त गुणनफल को 27 से भाग देने पर जो शेषफल हो उसे अश्विनी नक्षत्र से शेषफल के बराबर गिनकर नक्षत्र देखें अब इस नक्षत्र और इससे त्रिकोण के नक्षत्र पर चंद्रमा का गोचर होने पर व्यक्ति लडा़ई झगडों या निराशा से गुजर सकता है.