हर व्यक्ति जीवन में किसी ना किसी रुप में अपनी आजीविका कमाता है. कोई अपना व्यवसाय करता है तो कोई नौकरी कर के जीवनयापन करता है. नौकरी में भी व्यक्ति समय - समय पर अपनी तरक्की व पदोन्नति की चाह रखता है. आज हम नौकरी में अचानक होने वाली तरक्की तथा पदोन्नति के सूत्रों पर विचार करेंगे.
अनायास पदोन्नति के योग | Yogas for an Effortless Promotion
आज हम व्यक्ति के जीवन में होने वाली अचानक पदोन्नति के योगों से करेंगे अर्थात जन्म कुंडली के ऎसे योगो की चर्चा की जाएगी जिनके बनने पर व्यक्ति अपने जीवन में अनायास पदोन्नति पाता है. जन्म कुंडली के दशम भाव में दशमेश व नवमेश की युति हो और षष्ठेश व एकादशेश की दशम भाव पर दृष्टि, सप्तमेश की दृष्टि नवम भाव पर होने से व्यक्ति की पदोन्नति उसकी उम्मीद से बढ़कर होती है.
जन्म कुंडली में दशमेश नवम भाव में हो, नवमेश दूसरे भाव में हो, षष्ठेश लग्न में तथा धनेश व लाभेश की युति दशम भाव में होने पर व्यक्ति को अचानक पदोन्नति मिल जाती है. जन्म कुंडली में लग्नेश, नवमेश व दशमेश की युति, एकादश या दूसरे भाव में हो और षष्ठेश केन्द्र स्थान में स्थित हो.
दशम भाव पर नवमेश की दृष्टि और द्वित्तीयेश, षष्ठेश, लाभेश तीनो पाप प्रभाव में ना हो और केन्द्र से संबंध बना रहे हों. षष्ठेश व लाभेश की दृष्टि दशम भाव पर हो और दशमेश, नवम, दशम या एकादश भाव को देखे, नवमेश दशम भाव में स्थित हो तब व्यक्ति को अचानक पदोन्नति मिल सकती है.
षष्ठेश व दशमेश की परस्पर दृष्टि या युति हो तथा दशमेश, लाभ अथवा धन भाव में हो तब भी व्यक्ति अचानक पदोन्नति पाता है. जन्म कुंडली में मकर या कुंभ राशि में बृहस्पति स्थित हो और शनि से दृष्ट भी हो, स्वग्रही मंगल को सूर्य देख रहा हो तब व्यक्ति जीवन में अनायास ही पदोन्नति पा लेता है.
कुंडली में मिथुन या कन्या राशि में शुक्र स्थित हो, स्वग्रही मंगल पर सूर्य की दृष्टि हो तब भी अचानक पदोन्नति के बनते हैं. जन्म कुंडली में तृतीयेश या षष्ठेश नीच का होकर, लग्न पर दृष्टि डालें तब भी अचानक पदोन्नति हो सकती है.
जन्म कुंडली में नीच राशि का कोई भी ग्रह तीसरे या छठे भाव में स्थित होकर, चंद्रमा से दृष्ट हो रहा हो तब भी अचानक पदोन्नति होती है. कुंडली में दशमेश की द्वितीयेश से युति हो रही हो तथा पंचमेश या नवमेश, दशम भाव में स्थित हो तथा षष्ठेश की दशम भाव पर दृष्टि हो तब भी व्यक्ति अचानक तरक्की पाता है.
जन्म कुंडली में लग्नेश, पंचमेश व भाग्येश की युति दशम भाव में हो रही हो तथा दशमेश पाप ग्रह के प्रभाव में ना हो तब व्यक्ति जीवन में अचानक तरक्की पाता है.
पदोन्नति होने के योग | Yogas for Promotion
आइए अब पदोन्नति के कुछ अन्य योगों की बात करते हैं. जन्म कुण्डली में षष्ठेश व दशमेश का संबंध शुभ ग्रहों से तथा नवम, दशम व एकादश भाव या भाव स्वामी से हो तब व्यक्ति आजीविका के क्षेत्र में उन्नति करता है.
लेकिन जब जन्म कुंडली में षष्ठेश या दशमेश, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो और शुभ ग्रहों से युति या दृष्टि संबंध ना बन रहा हो तब व्यक्ति को आजीविका क्षेत्र में बाधाएँ आती हैं.
नियमित पदोन्नति के नियम | Yogas for Governed Promotion
आइए अब हम जन्म कुंडली में नियमित रुप से होने वाली पदोन्नति के विषय में बात करते हैं. कुंडली में दशम भाव पर लग्नेश या शुभ ग्रह की दृष्टि हो तथा द्वादश भाव में दशमेश स्थित हो और लाभेश व धनेश से दृष्ट भी हो रहा हो तब व्यक्ति नियमित रुप से तरक्की करता है.
कुंडली में नवम भाव पर लग्नेश की दृष्टि हो तथा धनेश, छठे भाव में स्थित होकर लाभेश से दृष्ट हो रहा हो तथा द्वादश भाव में दशमेश स्थित हो तब व्यक्ति नियमित तरक्की पाता है. दशम भाव पर धनेश अथवा लाभेश व षष्ठेश की दृष्टि होने पर भी व्यक्ति नियमित रुप से पदोन्नति पाता है.
जन्म कुंडली में दशमेश तथा षष्ठेश से धनेश या लाभेश का दृष्टि संबंध या युति संबंध बन रहा हो तब नियमित पदोन्नति होती है. षष्ठेश पर दशमेश की दृष्टि हो तथा दशमेश या दशम भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर जीवन में नियमबद्ध रुप से पदोन्नति होती है.
जन्म कुंडली में षष्ठेश या छठे भाव का संबंध योग कारक ग्रह से होने पर भी नियमित रुप से पदोन्नति होती रहती है. जन्म कुंडली में शुभ व बली गुरु की दृष्टि दशमेश पर होने से नियमित पदोन्नति होती है.
यदि कुंडली में दशमेश आठवें भाव में हो तथा षष्ठेश भी नीच का हो लेकिन छठे भाव या षष्ठेश पर दशमेश की दृष्टि थोड़ी बाधा व विलंब के बाद पदोन्नति दे ही देती है.