संकटा दशा राहु की दशा होती है इस दशा की अवधि आठ वर्ष की मानी गई है. यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा की हानि करती है. परिवार से वियोग कष्ट प्राप्त होता है. जातक में मनमानी व हठ की प्रवृत्ति अधिक रहती है. इस दशा में व्यक्ति को संघर्ष की स्थिति
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सिंह लग्न का पांचवां नवांश वर्गोत्तम होता है यह सिंह राशि का ही होता है. इस लग्न के नवांश की यह स्थिति त्रिकोण की अवस्था की द्योतक है. इस नवांश में जातक का जन्म होने पर वह बुद्धिमान और योग्य स्थिति पाता है. इस नवांश के स्वामी सूर्य हैं और
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वैदिक ज्योतिष में बनने वाले योगों द्वारा धन संबंधी मामलों को समझने में बहुत आसानी होती है. जैसे की जातक के जीवन में कौन सी ग्रह दशाएं ऎसी हैं जो उस धन प्राप्ति में मददगार हो सकती हैं और कौन सी उसके लिए आर्थिक हानि का कारण बन सकती है.
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह मित्र राशि में, उच्चराशिस्थ, मूल त्रिकोण या स्वक्षेत्री होने से अधिक बल प्राप्त करता है. स्थान बल के अंतर्गत पांच प्रकार के बलों को शामिल किया गया है. जिसमें उच्च बल, सप्तवर्ग, ओजयुग्म बल, केन्द्र बल,
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कर्कस्थ गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Cancer कर्कस्थत होती है और वह अपने कर्मों द्वारा समाज में शुभता लाता है. किसी के हृदय को नहीं दुखाता है और सभी के लिए अच्छे काम करने की चाह रखता है. कर्क में गुरू के होने पर जातक विद्वानों का साथ
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मेषगत गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Aries मेषगत गुरू के होने पर जातक की वाणी में ओजस्विता का भाव देखा जा सकता है. व्यक्ति अपने विचारों को स्पष्टता के साथ प्रबल रूप से सभी के समक्ष रखता है. उसके वाद विवाद के समक्ष किसी का ठहर पाना आसान
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ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में काफी कुछ बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृत्ति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है तथा
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मेषगतदृष्टि बुधफल | Mercury Aspecting Aries मेषगत बुध के होने से जातक में युद्धकला की खूबी होती है और वह युद्धप्रिय होता है. जातक अपने विषयों का अच्छा जानकार होता है. व्यक्ति निर्णय लेने में देरी नहीं करता है और किसी भी नतीजे पर जल्द से
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चंद्रमा की व्यवसाय और कार्यक्षेत्र में उपयोगिता है बहुत ही प्रभावशाली ढ़ग से उभर कर सामने आती है. व्यवसाय क्षेत्र में चंद्रमा एक जलीय ग्रह है अत: इसके कार्यों में जल से संबंधित वस्तुओं का व्यापार करने के अवसर देखे जा सकते हैं. चंद्रमा के
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मकरगत बुध का योगफल | Mercury Aspecting Capricorn बुध के मकर में होने पर शनि की इस राशि में बुध का प्रभाव व्यक्ति की शिक्षा के लिए अच्छा माना जाता है. जातक को अपने क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त होती है. जातक अपने ज्ञान में अनुकूल होता है और
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मंगल ग्रह अग्नि तत्व का ग्रह तथा भूमि का कारक माना गया है. इस ग्रह के संदर्भ में सेना संबंधी कार्यों और पुलिस विभाग से जुडे़ कामों को देखा जा सकता है. इस ग्रह के प्रभाव स्वरूप जातक में साहस और शौर्य के गुणों का निष्पादन होता है. इसके उन्नत
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तुला से मीन लग्न तक | Libra to Pisces Ascendant तुला लग्न में जन्मा जातक चंचल प्रवृत्ति का होता है. यह कल्पनाओं की उडा़न में व्यस्त रहते हैं. न्यायप्रिय होते हैं तथा मेधावी होते हैं. गोरे रंग के, मध्यम आकार के कद वाले, आवेगहीन, सुस्त
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ज्योतिष में होरा को तीन रूपों में विभाजित किया गया है. होरा से आशय इस बात का है कि किसी भी राशि के दो समान हिस्सों में विभाजन से लिया गया है.प्रत्येक राशि तीस अंशों की होती है और किसी राशि के पहले 15 अंश उसकी पहली होरा को बताते हैं और
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ज्योतिष में कुण्डली की उपयोगिता को समझने हेतु अन्य तथ्यों के आधारभूत सिद्धांतों को जानकर ही फलित करने में सहायता प्राप्त होती है. षडवर्ग राशि, द्रेष्काण, नवांश, द्वादशांश और त्रिशांश में राशि तथा द्रेष्काण दो ऎसे वर्ग होते हैं जिनका उपयोग
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वर्तमान समय में व्यक्ति के व्यवसाय का प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण बन चुका है. नौकरी लगने पर भी व्यक्ति उसमें पदोन्नति व सम्मान की चाह रखता ही है. आज हम आपको पदोन्नति के कारकत्व तथा पदोन्नति में होने वाले विलंब के बारे में बताना चाहेंगे.
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जन्म कुण्डली के लग्न द्वारा जातक के जीवन के विषय में प्रभावशाली तरीके से फलित का निर्धारण किया जाता है. लग्न संपूर्ण कुण्डली की पृष्ठभूमि होता है इसके द्वारा व्यक्ति के गुणों व अवगुणों का अवलोकन करने में सहायता प्राप्त होती है. किसी भी
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सिंह लग्न के चौथे नवांश का स्वामी कर्क है इस नवांश में जन्मे जातक पर सूर्य व चंद्रमा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है. इस नवांश से प्रभावित होने पर जातक के जीवन पर द्वादश भाव से संबंधित बातें जुडी़ रह सकती हैं. इस नवांश में जन्मे जातक का
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दो ग्रहों का एक साथ युति का प्रभाव कुण्डली के अनेक प्रभावों को दिखाने में सहायक होता है. इसके प्रभाव से ग्रहों की युति का संबंध होने पर ग्रह मिलजुल कर फल देने में सक्षम होते हैं. किसी भी ग्रह की यह स्थिति उसे आपस में मिलकर प्रभावशाली फल
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हर व्यक्ति जीवन में किसी ना किसी रुप में अपनी आजीविका कमाता है. कोई अपना व्यवसाय करता है तो कोई नौकरी कर के जीवनयापन करता है. नौकरी में भी व्यक्ति समय - समय पर अपनी तरक्की व पदोन्नति की चाह रखता है. आज हम नौकरी में अचानक होने वाली तरक्की
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ज्योतिष में चिकित्सा विज्ञान पर कई शोध किए गए हैं जिनके द्वारा जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कौन सा रोग अधिक प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ नक्षत्रों का भी रोग विचार करने में महत्वपूर्ण स्थान होता