गुरू का गोचर मुख्यत स्वराशि, उच्च और नीच राशि स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला होता है. जब गुरू कर्क राशि में गोचर करता है तो वह अपनी उच्च स्थिति एवं अनुकूल स्थिति को दर्शाने वाला होता है. इस स्थिति में गुरू के गोचर का प्रभाव जातक के
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ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है, इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है
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बुध के कारक तत्वों में जातक को कई अनेक प्रकार के व्यवसायों की प्राप्ति दिखाई देती है. बुध एक पूर्ण वैश्य रूप का ग्रह है. व्यापार से जुडे़ होने वाला एक ग्रह है जो जातक को उसके कारक तत्वों से पुष्ट करने में सहायक बनता है. इसी के साथ व्यक्ति
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जातक के जीवन में ग्रहों की द्रेष्काण में स्थिति उसके जीवन पर बहुत प्रभाव डालने वाली होती है. ग्रह का समक्षेत्री, मित्र क्षेत्री होना स्वराशि में होना बहुत अनुकूल फल देने में सक्षम माना जाता है. जातक के जीवन में आने वाले उतार-चढावों को
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जातक के जीवन में ग्रहों की द्रेष्काण में स्थिति उसके जीवन पर बहुत प्रभाव डालने वाली होती है. ग्रह का समक्षेत्री, मित्र क्षेत्री होना स्वराशि में होना बहुत अनुकूल फल देने में सक्षम माना जाता है. किंतु शत्रु राशि या पिडी़त होना अनुकूल नहीं
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ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है, इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृत्ति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है
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वैदिक ज्योतिष में शरीर के अंगों के विषय में अनेकों विचारधाराओं को बताया गया जिसमें जातक के रंग-रूप, आचार-विचार, व्यवहार, उसकी भावनात्मक स्थिति इत्यादि बातों को बोध कराने में वैदिक ज्योतिषाचार्यों नें बहुत से तथ्यों का प्रतिपादन किया. इस
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द्रेष्काण द्वारा ग्रहों की युति का जातक के जीवन में बहुत गहरा प्रभाव प्रतिफलित होता है. इसके साथ ही जातक के जीवन में होने वाले बदलावों को भी इसी से समझने में बहुत आसानी रहती है. देष्काण कुण्डली का प्रभाव ग्रहों की स्थिति को समझने में तथा
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किसी भी व्यक्ति के लिए उसका भाग्य बली होना शुभ माना जाता है. भाग्य के बली होने पर ही व्यक्ति जीवन में ऊंचाईयों को छू पाने में सफल रहता है. यदि भाग्य ही निर्बल हो जाए तब अत्यधिक प्रयास के बावजूद व्यक्ति को संतोषजनक परिणाम नहीं मिलते हैं.
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दिवारात्रि बली ग्रह में जातक को धन ऎश्वर्य और आभूषणों की प्राप्ति होती है. भू-संपदा की प्राप्ति में सफलता मिलती है. वाहन सुख तथा भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. व्यक्ति के बल व पराक्रम में वृद्धि होती है. तथा शतुओं से बचाव होता है. जातक
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सिंह लग्न का नौवां नवांश धनु राशि का होता है जिसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. इस नवांश के अनुरूप जातक के जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. जातक का रूप रंग आकर्षक होता है, उसमें बाहुबल की अधिकता होती है. वह कार्यों को करने में सूझबूझ
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ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में काफी कुछ बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है, इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृत्ति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है तथा
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जन्म के समय आकाशीय ग्रहों का नक्शा कुंडली कहलाता है. समय विशेष पर ग्रहों को कुंडली में अंकित किया जाता है. हर स्थान पर कुंडली बनाने का तरीका अलग होता है, लेकिन ग्रह नौ ही होते हैं और राशियाँ भी बारह ही होती हैं. भारतवर्ष में भी कई प्रकार
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ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में काफी कुछ बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है, इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृत्ति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है तथा
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दिग्बली ग्रह जातक को अपनी दिशा में ले जाकर कई प्रकार से लाभ देने में सहायक बनते हैं. यह जातक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने में सहायक होते हैं तथा आभूषणों, भूमि-भवन एवं वाहन सुख देते हैं. व्यक्ति को वैभवता की प्राप्ति हो सकती है. जातक
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ग्रह के काल बली होने पर वह जातक को धन व मान सम्मान देने में सहायक बनता है. व्यक्ति की कार्यकुशला में निखार आता है जिससे वह अपने मार्ग में प्रगति को पाने में सफल होता है. काल बल जातक के शुभ समय के आगमन का बोध कराने वाला होता है. जातक को
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मकरस्थ चंद्रफल | Moon Aspecting Capricorn Sign मकरस्थ चंद्रमा के होने पर जातक में भावनाओं का ज्वार रहता है जिसमें वह निरंतर मंथन करता रहता है. वह किसी जोखिम से दूर ही रहना चाहता है. अपने यथार्थवादी लक्ष्यों और स्पष्ट सीमाओं को समेटे हुए
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तुलागत गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Libra तुला में स्थित गुरू के प्रभाव में जातक मेधावी बनता है. वह जो भी कार्य करता है उसमें उसकी योग्यता का बेहतरीन रूप देखने को मिलता है. वह अपने काम में एक सौंदर्य का रूप दर्शाने में सफल होता है.
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मकरगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Capricorn मकरगत शनि के होने पर जातक दूसरों की वस्तुओं पर अधिकार जमाने वाला होता है. वह अच्छे व बुरे दोनों कामों का अनुसरण करने में तत्पर रहता है. वैदिक आचार और गुणों से संपन्न होता है. इनके प्रति उसकी
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वक्री ग्रहों के बारे में बहुत सी बाते कही जाती हैं लेकिन फिर भी इनके विषय में अभी तक भी बहुत सी बाते छिपी हुई सी ही हैं. गोचर में जब सूर्य से छठे, सातवें व आठवें भाव में ग्रह विचरण करता है तब वह उसकी वक्र गति कहलाती है. वक्र अर्थात उलटा,