जातक के जीवन में ग्रहों की द्रेष्काण में स्थिति उसके जीवन पर बहुत प्रभाव डालने वाली होती है. ग्रह का समक्षेत्री, मित्र क्षेत्री होना स्वराशि में होना बहुत अनुकूल फल देने में सक्षम माना जाता है. किंतु शत्रु राशि या पिडी़त होना अनुकूल नहीं होता है. जातक के जीवन में आने वाले उतार-चढावों को वर्गों में ग्रहों की स्थिति से समझा जा सकता है. चंद्रमा का शनि के द्रेष्काण में होना उसे तो सम भाव देता है किंतु शनि के लिए यह शत्रु स्थिति होती है.

इसलिए इस परिस्थिति में चंद्रमा का प्रभाव उतना प्रतिफलित नहीं होगा जितना होना चाहिए. जातक के मन में वैर भाव तथा कुटीलता पनप सकती है. व्यक्ति गलत कामों द्वारा धनार्जन कर सकता है तथा दूसरों के प्रति अधिक सहानभूति नहीं रख पाता है. जातक की महत्वकांक्षाएं बहुत प्रबल होती हैं जिन्हें पूरा करना व प्राप्त कर लेना उसकी प्राथमिकता में शुमार होता है जिसके लिए चाहे किसी भी प्रकार कि निति का अनुसरण करना पडे़.

चंद्रमा का शनि के द्रेष्काण में जाने का नियम | Rules For Moon Entering Saturn Dreshkona

चंद्रमा यदि शनि के द्रेष्काण में जाए तो इस स्थिति को इस प्रकार समझा जा सकता है :-

चंद्रमा जब मकर राशि में 0 से 10 अंशों तक होगा तो शनि के ही द्रेष्काण मकर राशि में रहता है.

चंद्रमा जब कन्या राशि में 10 से 20 अंशों तक का होगा तो शनि के द्रेष्काण मकर राशि में जाएगा.

चंद्रमा जब वृष राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण मकर राशि में जाएगा.

चंद्रमा जब कुम्भ राशि में 0 से 10 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में ही जाएगा.

चंद्रमा जब तुला राशि में 10 से 20 अंशों के मध्य स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में जाएगा.

चंद्रमा जब मिथुन राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में जाएगा.

चंद्रमा का शनि के द्रेष्काण में होने का प्रभाव | Effect Of Moon In Saturn Dreskona

चंद्रमा का शनि के द्रेष्काण में स्थित होने पर जातक क्रूर हो सकता है वह कामों में निष्टुरता करने वाला होता है. उसके कार्यों में अनेक प्रकार के नए-नए प्रपंच देखने को मिल सकते हैं. वह लालच की भावना से पुष्ट हो सकता है. नीच कर्म को करने वाला तथा आलसी हो सकता है. व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता व जल्द से भरोसा नहीं किया जा सकता. जातक का मन चंचल रह सकता है उसकी कलात्मकता के प्रति रूचि जागृत हो सकती है.

चंद्रमा मकर राशि में 0 से 10 अंशों तक | Moon In Capricorn Sign 0-10 Degree

चंद्रमा जब मकर राशि में 0 से 10 अंशों के मध्य तक स्थित होता है तो शनि के ही द्रेष्काण मकर राशि में स्थान पाता है. यहां पर चंद्रमा का प्रभाव शनि के स्वरूप में अधिकता से घुलमिल सकता है. जिसके प्रभाव स्वरूप जातक मन से अनेकों विचारशील तथ्यों को समझने की कोशिश में लगा रहता है. जातक में सोचने की प्रवृत्ति अधिक होती है. वह अपनी कल्पनाओं को सभी के समक्ष उजागर नहीं करता है.

चंद्रमा कन्या राशि में 10 से 20 अंशों तक | Moon In Virgo Sign 10-20 Degree

जन्म कुण्डली में चंद्रमा जब कन्या राशि में 10 से 20 अंशों तक के मध्य स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण मकर राशि में स्थान पाता है. किसी भी ग्रह का किसी अन्य के द्रेष्काण में होना ग्रह की विशेषताओं को तो स्वत: ही प्रभावित करने वाला होगा. यहां पर तीन प्रभाव प्रतिफलित होते हैं जिनके संयोग द्वारा जातक को फलों की प्राप्ति ओती है. यह प्रभाव जातक के ज्ञान क्षेत्र को विस्तृत करने में सक्षम होता है. जातक को साहित्य का ज्ञान प्राप्त होता है. व्यक्ति आध्यात्मिक रूचि बढ़ती है, वह रूढ़ीवादी हो सकता है.

चंद्रमा वृष राशि में 20 से 30 अंशों तक | Moon In Taurus Sign 20-30 Degree

चंद्रमा जब वृष राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण मकर राशि में जाता है. यहां जातक का मन चकाचौंध की ओर आकर्षित हो सकता है. वह अपने को बनाव श्रृंगार में व्यस्त रख सकता है. उसकी मानसिक संवेदनाएं बढ़ सकती हैं तथा वह हृदय से व्याकुल भाव लिए रह सकता है.

चंद्रमा कुम्भ राशि में 0 से 10 अंशों | Moon In Aquarius Sign 0-10 Degree

जन्म कुण्डली में चंद्रमा जब कुम्भ राशि में 0 से 10 अंशों के मध्य में स्थित होता है तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में ही जाता है. व्यक्ति परंपराओं का पालन करने वाला होता है. उसके स्वभाव में जिद्द का भाव देखा जा सकता है. जातक दूसरों के विचारों को समझने वाला होता है. यह सहानुभूति रखने वाले उदार भाव के व्यक्ति होते हैं. कुछ संकोची रह सकते हैं. मन में अनेकों भावनाएं और कल्पनाएं जन्म लेती रहती हैं. भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं जल्द ही किसी भी माहौल में ढ़ल जाते हैं.

चंद्रमा तुला राशि में 10 से 20 अंशों | Moon In Libra Sign 10-20 Degree

चंद्रमा जब तुला राशि में 10 से 20 अंशों के मध्य स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में जाता है. वैभववान और संचित पुण्य से सुखी होता है. खर्चों पर नियंत्रण नहीं लग पाता है. मानसिक चिंताएं अधिक रहती हैं. कई स्त्रियों के साथ संबंध रहता है. व्यावसायिक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है. ससुराल पक्ष से लाभ होने की संभावना रहती है. भावुक होते हुए कई निर्णय लेते हैं जिनमें विचार की कमी दिकाई पड़ सकती है. जातक को स्वयं पर संयम रखना चाहिए जिससे की उनका मन व्यर्थ में न भटके.

चंद्रमा मिथुन राशि में 20 से 30 अंशों | Moon In Gemini Sign 20-30 Degree

चंद्रमा जब मिथुन राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य स्थित होगा तो शनि के द्रेष्काण कुम्भ राशि में जाएगा. परंपराओं के प्रति सजग होते हैं और धर्म कर्म में रूचि रखने वाले होते हैं. भाग्य में तथा संपत्ति में वृद्धि होती है. जातक कई प्रकार की चालों को चलने में प्रयासरत रहता है वह महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सभी कदम उठाने से पिछे नहीं हटता है. देविकृपा या अनजान शक्तियों का साथ मिलता है. तीर्थयात्रा करता है तथा परोपकारी कार्यों में रूचि रखता है. सामाजिक मान- सम्मान मिलता है. प्रकाशन के व्यवसाय में लाभ मिलता है. नई आकांक्षाओं से भरा होता है तथा स्वयं को परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेने में सक्षम होता हैं. परिश्रमी होते हैं. लेकिन कुछ मामलों में आप बातूनी भी खूब होते हैं.