Author Archives: astrobix

सूर्य के आत्मकारक होने पर प्रतिष्ठा के साथ मिलती हैं राजनीतिक सफलता

आत्मकारक ग्रह जीवन में इच्छाओं के साथ आकांक्षा को दर्शाता है. यह ग्रह मुख्य ग्रह है जिसके माध्यम से कुंडली के अन्य ग्रहों के बल का आंकलन किया जाता है. यदि आत्मकारक कमजोर या पीड़ित है, तो जीवन में गलत … Continue reading

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शनि का सभी लग्नों पर असर और इससे मिलने वाले प्रभाव

शनि का प्रभाव प्रत्येक लग्न के लिए विशेष होता है. किसी लग्न में शनि बेहद खराब हैं तो किसी के लिए बेहद उत्तम होते हैं वहीं किसी के लिए सम भाव के साथ दिखाइ देते हैं. अब शनि हम पर … Continue reading

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मंगल केतु का एक साथ होना क्यों होता है नकारात्मक

मंगल और केतु यह दोनों ही ग्रह काफी क्रूर माने जाते हैं. इन दोनों का असर जब एक साथ कुंडली में बनता है तो यह काफी गंभीर ओर नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है. इन दोनों ग्रहों की प्रकृति … Continue reading

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मेष लग्न के लिए शनि की महादशा का फल

मेष लग्न के लिए शनि की महादशा का समय कार्यक्षेत्र एवं महत्वाकांक्षाओं की स्थिति को प्रभावित करने वाला होता है. मेष लग्न का स्वामी मंगल है और शनि इस लग्न के लिए दशम भाव के साथ एकादश भाव का स्वामी … Continue reading

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सप्तम भाव में सूर्य कैसे प्रभाव डालता है

सूर्य की स्थिति सातवें भाव में होने को कई मायनों में विशेष बन जाता है. कुंडली का सातवां भाव कई मायनों में जीवन पर प्रेम एवं सहयोग की स्थिति को दिखाने वाला होता है. ज्योतिष के बारह भाव हैं जिन … Continue reading

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कुंडली में ब्रेकअप का होता है यह ज्योतिषिय कारण

जीवन में रिश्तों को लेकर हर व्यक्ति काफी अधिक भावनात्मक होता है. अपने जीवन में वह रिश्तों की स्थिति को अच्छे से निभाने की हर संभव कोशिश करते हैं लेकिन कई बार असफल होते चले जाते हैं. कई बार जीवन … Continue reading

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क्या सातवें भाव में सूर्य और केतु की युति विवाह में देती है अटकाव ?

जन्म कुंडली का सातवां भाव एक शुभ भाव स्थान है. यह भाव विवाह का स्थान है, साझेदारी का भाव है. इसके द्वारा जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण साझेदारियों को देखा जाता है. वैदिक ज्योतिष में सप्तम भाव के द्वारा व्यक्ति … Continue reading

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मेष लग्न के लिए मंगल महादशा का अलग-अलग भावों पर असर

मंगल महादशा का प्रभाव मेष लग्न के लिए बेहद अच्छा माना गया है. मंगल इस लग्न का स्वामी है ओर इस लग्न वालों को जब मंगल दशा मिलती है तो उन्हें यह लग्नेश की दशा के रुप में सहायक भी … Continue reading

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चंद्रमा के आत्मकारक होने का प्रभाव

जैमिनी ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व और प्रभाव बेहद महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है और बिना दिमाग के कोई भी व्यक्ति चंद्रमा के बिना वही काम नहीं कर सकता ज्योतिष कुछ भी नहीं है. चंद्रमा के … Continue reading

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सूर्य का छठे भाव में होना शत्रुओं एवं विरोधियों को करता है समाप्त

छठे भाव में सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर विजय दिलाएगा. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ विलय करेंगे और सौहार्दपूर्ण तरीके से एक साथ काम करेंगे. छठे भाव में स्थित सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर … Continue reading

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