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शुक्र और सूर्य की युति का विभिन्न भावों में प्रभाव

सूर्य ग्रह आत्मा का प्रतीक है और शुक्र सौंदर्य एवं भोग का. इन दोनों ग्रहों का संबंध जीवन के कई पड़ावों पर अपना असर दिखाता है. एक अग्नि तत्व ग्रह है और दूसरा जल तत्व से भरपूर अब इन का प्रभाव एक साथ

अंगारक योग: जानिए इसके 12 भाव में शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष में अंगारक योग को एक अशुभ पयोग के रुप में जाना जाता है. अंगारक योग एक बहुत ही कष्टदायक योग है, यदि कुंडली में राहु या केतु का मंगल से संबंध किसी भी एक भाव में स्थापित हो जाते हैं तो इस योग का

केतु की अन्य ग्रहों के साथ संबंधों पर एक नजर

जब बात होती है केतु की तो यह एक काफी संदेह और चिंता को दर्शाता है. इस ग्रह का प्रभाव काफी विशेष है. ग्रहों की दिशा का प्रभाव कुछ मायनों में काफी विशेष होता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की

राहु का मीन लग्न के 12 भावों पर प्रभाव जानें अपनी कुंडली से

राहु का असर मीन लग्न में होना एक बेहद गंभीर एवं तेजी से होने वाले बदलावों का प्रतिनिधित्व करता है. राहु की स्थिति व्यक्ति को उन चीजों से जोड़ती है जो सीमाओं से परे की बात करती है और बृहस्पति के

श्रापित योग का कुंडली के हर भाव पर क्या पड़ता है असर

ज्योतिष के कुछ खराब योगों में श्रापित दोष का विशेष महत्व होता है. श्रापित योग का असर किसी व्यक्ति के पिछले जन्मों का प्रभाव दिखाता है, इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह एक भाव में शनि और राहु

गुरु चांडाल योग योग का कुंडली के 12 भाव में प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु या केतु जैसे पाप ग्रहों के साथ बृहस्पति की युति को चांडाल दोष कही जाती है. इस दोष को गुरु चांडाल दोष के नाम से भी जाना जाता है. बृहस्पति ग्रह को गुरु के रूप में जाना

केतु महादशा का सभी लग्नों पर प्रभाव

केतु को छाया ग्रह के रुप में जाना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु दक्षिण नोड है जिसे चंद्रमा के कटान बिंदू के रुप में भी जानते हैं. राहु अपने रहस्यमय और आक्रामक गुणों के लिए जाना जाता है.

सूर्य महादशा में क्या शनि दशा से होती है पीड़ा

सूर्य महादशा जीवन का एक ऎसा समय जो परिश्रम, उत्साह एवं जोश से भरा समय, जब व्यक्ति के भीतर बेहद तीव्र इच्छा शक्ति भी मौजूद होती है. यह समय व्यक्ति को कम समय के लिए मिलता है लेकिन इस समय पर यदि दशा शुभ

मंगल का आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश क्यों होता है विशेष

मंगल जब मिथुन राशि में होता है तब आर्द्रा में जाता है. 26 अगस्त 2024 को मंगल मिथुन में प्रवेश करेगा और तब आर्द्रा नक्षत्र में स्थान पाएगा. मंगल का आर्द्रा नक्षत्र में जाना दो शक्तिशाली तत्वों का एक

प्रेम और वैवाहिक संबंधों पर शुक्र राहु का योग

कुंडली में शुक्र और राहु ग्रहों की युति बहुत ही अलग प्रकार के फल देती है. इन दोनों को रिश्तों पर असर डालने वाला योग माना गया है. इन दोनों के कारण व्यक्ति के प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन के सुख पर भी

ज्योतिष से जाने आंखों से संबंधित रोग का कारण

नेत्र संबंधित रोग के लिए कौन से ग्रह और योग बनते हैं कारक चिकित्सा ज्योतिष में नेत्र रोग से संबंधित कई तरह के योग मिलते हैं जो आंखों की बीमारियों के होने का संकेत देते दिखाई देते हैं. ग्रह इस तथ्य को

लग्न से जाने मंगल महादशा के प्रभाव

मंगल महादशा का प्रभाव सभी राशियों के लिए बेहद विशेष होता है, हर लग्न के लिए मंगल किसी न किसी विशेष पक्ष को दर्शाता है. मंगल की स्थिति यदि लग्न के लिए शुभ है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाला होगा, इसके

शनि के उदय और अस्त होने का ज्योतिष अनुसार प्रभाव

शनि का उदय और अस्त होना शनि चाल में सबसे महत्वपूर्ण समय की स्थिति होती है. ज्योतिष में सभी ग्रहों का अस्त होना सूर्य की स्थिति से देखा जाता है. अब जब शनि सूर्य से अस्त होता है तो यहां इसकी स्थिति

छठे भाव या बारहवें भाव में बना धन योग

ज्योतिष के अनुसार शुभ या अशुभ ग्रहों के विशेष योग से एक प्रकार की युति बनती है जिसे योग कहते हैं. यह योग कई तरह से देखने को मिलते हैं इसमें योग कई प्रकार के होते हैं. कुछ योग शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ

सूर्य महादशा में राहु अंतरदशा प्रभाव और परिणाम

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को शक्ति और प्रभाव का कारक माना जाता है. इसकी शक्ति जहां भी मौजूद होती है वहां जीवन और प्रगति को दर्शाती है. यह आशावाद और चमक का प्रतीक है और क्रोध का भी इसकी शक्ति के समय

कुंभ राशि में बुधादित्य योग का फल

बुध और सूर्य से निर्मित बुधादित्य योग एक अत्यंत शुभ योगों की श्रेणी में स्थान पाता है. बुध ग्रह एवं आदित्य अर्थात सूर्य जब दोनों ग्रह एक साथ होते हैं तो इनका योग बुधादित्य योग का कारण बनता है. कुंडली

बृहस्पति का कुंडली की 12 राशियों में फल

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति एक पवित्र समुद्र है, जिसके कारण यह विस्तार का स्वरुप भी है. यह आध्यात्मिकता नैतिकता का आधार होता है. ज्योतिष में बृहस्पति को एक मजबूत शुभ ग्रह माना जाता है. इसे देवगुरु भी

शनि के साथ मंगल का होना कुंडली के सभी भावों को करता है प्रभावित

शनि और मंगल को शत्रु ग्रह के रूप में जाना जाता है, इसलिए इन दोनों की कोई भी युति अच्छी नहीं मानी जाती है. यह एक कठिन स्थिति को दर्शाती है. मंगल को अग्नि तत्व युक्त ग्रह कहा जाता है. मंगल स्वभाव से

जन्म कुंडली में केतु सभी भावों को कैसे करता है प्रभावित

केतु का असर ज्योतिष के दृष्टिकोण से काफी शुष्क माना गया है, जिसका अर्थ हुआ की ये ग्रह अपने प्रभाव द्वारा जीवन में कठोरता एवं वास्तविकता से रुबरु कराने वाला होता है. केतु की राशि और उसके ग्रहों के साथ

बृहस्पति का वक्री गोचर और वक्री ग्रह के क्या परिणाम होते हैं?

बृहस्पति एक बहुत ही शुभ ग्रह है इसकी महत्ता के बारे में जन्म कुंडली में यदि हम देखें तो यदि ये शुभ हैं तो व्यक्ति के लिए सभी काम सकारात्मक रुप से होते चले जाते हैं. किंतु यदि ये सकारात्मक नहीम है तो