मंगल केतु का एक साथ होना क्यों होता है नकारात्मक
मंगल और केतु यह दोनों ही ग्रह काफी क्रूर माने जाते हैं. इन दोनों का असर जब एक साथ कुंडली में बनता है तो यह काफी गंभीर ओर नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है. इन दोनों ग्रहों की प्रकृति का स्वरुप ऎसा है की यह तोड़फोड़ की स्थिति को दिखाने वाले होते हैं. मंगल यह ऊर्जावान, अधीर, शीघ्र निर्णय लेने वाला और जोखिम लेने वाला होता है. वहीं केतु विरक्ति से पूर्ण अलगाव, अकेलापन, आध्यात्मिक चिंतन का ग्रह होता है.
यदि दोनों ग्रह सकारात्मक हैं तो यह आपको जीत अवश्य दिलाते हैं लेकिन इसके विपरीत कमजोर मंगल अनुकूल फल नहीं दे पाता है. मंगल केतु के साथ होने पर का होना भाव स्थिति के अनुसार एवं राशि प्रभाव अनुसार अपना असर दिखाता है. केतु ग्रह का स्वभाव मंगल ग्रह से काफी मिलता-जुलता है जिस कारण कुजवत केतु कहा जाता है. केतु उच्च का होता है तो व्यक्ति का भाग्य बदल देता है. मंगल की तरह केतु ग्रह को भी साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है.
कुंडली के प्रथम भाव में मंगल और केतु का असर
कुंडली के प्रथम भाव में मंगल और केतु का होना व्यक्ति को उग्र होने के साथ साथ आक्रामक भी बना सकता है. इस का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव एवं उसके आचरण की तीव्रता को दर्शाने वाला होता है. स्वतंत्र होकर काम करने का असर व्यक्ति में अधिक होता है. व्यक्ति में शक्ति को प्रदर्शित करना दिखावा करना भी होता है. धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में आगे रह सकता है. व्यर्थ की चिंताएं घेर सकती हैं. गलत फैसले लेने के कारण दूसरों के कारण अपमान भी झेलना पड़ता है. जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है तथा अलगाव की स्थिति असर डालती है. .
कुंडली के दूसरे भाव में मंगल और केतु
दूसरे भाव में मंगल और केतु का प्रभाव व्यक्ति को उग्र भाषा शैली प्रदान करने वाला होता है. ऎसे में वाणी में संयम रखना चाहिए. परिवार से अलगाव की स्थिति रह सकती है. बचपन में परेशानी अधिक जेलनी पड़ सकती है. स्वास्थ्य समस्याएं भी अधिक परेशानी देने वाली हो सकती हैं. इस दौरान आपको सामाजिक स्तर पर सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि विवाद में फंसने की स्थिति अधिक रहती है. धन का निवेश सोच समझ कर ही करना उचित होता है. अनुभवी व्यक्ति की सलाह लेकर ही आगे बढ़ना उचित होता है.
कुंडली के तीसरे भाव में मंगल और केतु
तीसरे भाव में मंगल और केतु का असर काफी अच्छे असर दिखा सकता है. इसके प्रभाव को साहसी बनाता है. कार्यक्षेत्र में सहयोग की कमी रहने पर भी व्यक्ति अपने बल पर आगे बढ़ने में सक्षम होता है. खर्चे भी अधिक होता है लेकिन इसके साथ ही बचत के लिए कई तरह की योजनाओं का लाभ मिलता है. भाई-बहनों के मामले में सुख की कमी रह सकती है या विवाद हो सकता है. इस दौरान छोटी दूरी की यात्राएं लाभकारी हो सकती हैं. नौकरी व्यवसाय में सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होता है. सामाजिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा की प्राप्ति का योग बनता है.
कुंडली के चौथे भाव में मंगल और केतु
चतुर्थ भाव में मंगल और केतु का होना अप्रत्याशित चिंताओं को दे सकता है. अपने परिवार से दूर जाकर निवास करना पड़ सकता है. सेहत के मामले में भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. इस योग के प्रभाव से हृदय के रोग अधिक परेशानी दे सकते हैं. माता के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता अधिक रहती है. जमीन से संबंधित विवाह अधिक झेलने को मिल सकते हैं. कोर्ट केस या कानूनी मामले परेशानी का सबब बनते हैं.
कुंडली के पंचम भाव में मंगल और केतु
पंचम भाव में मंगल और केतु का होना शिक्षा को कमजोर करता है. शिक्षा के क्षेत्र में मिश्रित परिणाम देखने को मिल सकते हैं. खेलकूद से संबंधित गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं. उच्च शिक्षा में कुछ बाधा हो सकती है. संतान पक्ष से भी कुछ चिंताएं हो सकती हैं. प्रेम जीवन में संतुलन लाने के लिए आपको प्रयास करने पड़ सकते हैं. व्यक्ति को दोस्तों का अधिक सहयोग नहीं मिल पाता है.
कुंडली के छठे भाव में मंगल और केतु
छठे भाव में मंगल और केतु का होना अनुकूल माना जाता है. इसके प्रभाव से सफलताएं प्राप्त होती हैं. शत्रुओं को परास्त करने में सफलता मिलती है. व्यक्ति को करियर क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. अपने विरोधियों पर हावी रहते हैं. स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होता है कोई सर्जरी इत्यादि की संभावना अधिक रह सकती है. पारिवारिक जीवन में मिलेजुले परिणाम की प्राप्ति होती है. कानूनी मसलों के लिए यह योग बेहतर माना गया है.
कुंडली के सातवें भाव में मंगल और केतु
सप्तम भाव में मंगल और केतु का योग साझेदारी से जुड़े कामों को कमजोर बनाता है. वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डलता है. अलगाव एवं विवाह में तलाक की स्थिति झेलने पड़ सकती है. जीवनसाथी थोड़े आक्रामक स्वभाव का भी हो सकता है. वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाने के लिए अधिक कोशिशें करने पड़ती हैं. साझेदारी के व्यवसाय में कदम सूझबूझ से उठाने की जरुरत होती है. सामाजिक स्तर पर विवादों से बचने की कोशिश करनी चाहिए.
कुंडली के आठवें भाव में मंगल और केतु
अष्टम भाव में मंगल और केतु का होना आध्यात्मिक एवं गुढ़ ज्ञान के लिए अनुकूल होता है. तंत्र इत्यादि कामों से जुड़ सकते हैं. लेकिन सेहत के लिए खराबी देने वाली स्थिति होती व्है. अचानक होने वाली दुर्घटनाएं जीवन पर गहरा असर डालती हैं. आपसी संबंधों में अलगाव अधिक रह सकता है.
कुंडली के नवें भाव में मंगल और केतु
नवम भाव में मंगल और केतु का होना व्यक्ति को अलग विचारधारा प्रदान करने वाला होता है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति अपनी परंपराओं से अलग सोच रख सकता है. धार्मिक कार्यों से दूरी बना सकते हैं. करियर के मामले में लाभ मिलने की संभावना अचानक से ही मिल पाती है. जीवनसाथी के साथ प्रेम और तालमेल कमजोर रह सकता है. पिता के साथ सुख का अभाव हो सकता है.
कुंडली के दसवें भाव में मंगल और केतु
दशम भाव में मंगल और केतु का प्रभाव व्यक्ति को संघर्ष अधिक देता है लेकिन करियर क्षेत्र में तरक्की भी मिल सकती है. अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तालमेल में कमी का अनुभव हो सकता है. दूसरे लोग छवि को कमजोर करने में लगे रह सकते हैं. परिवार में लोगों के साथ आपके संबंध मिलेजुले रुप में ही अधिक दिखाई देते हैं.
कुंडली के ग्यारहवें भाव में मंगल और केतु
दशम भाव में मंगल और केतु का योग अनुकूल माना गया है. अपने जीवन में प्रगति को लेकर संघर्ष करना और सफलता पाने की उम्मीद भी बनी रहती है. व्यक्ति को करियर क्षेत्र में तरक्की को पाने में सक्षम होता है. प्रेम संबंधों में रोमांचक महसूस करता है. दोस्तों का सहयोग अधिक नहीं मिल पाता है लेकिन अपने परिश्रम द्वारा सफलता मिलती है.
कुंडली के बारहवें भाव में मंगल और केतु
बारहवें भाव में मंगल और केतु का योग विदेशी मामलों में अच्छे लाभ दिलाता है. धन खर्च अधिक रह सकता है. सेहत में कमी बनी रहती है. अचानक होने वाली दुर्घटनाओं के कारण मानसिक चिंता अधिक होती है. नौकरी या व्यवसाय में काम करने वालों से विवाद होने की संभावना अधिक प्रभाव डालने वाली होती है.