बृहस्पति के अस्त होने का आपकी कुंडली में क्या होता है असर
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति विस्तार का ग्रह है. यह उन लोगों के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है जो परंपराओं एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास के लिए अग्रसर होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को एक अत्यंत ही शुभ ग्रह है. यह एक शक्तिशाली ग्रह माना जाता है जिसे देवगुरु के नाम से भी संबोधित करते हैं. बृहस्पति का व्यक्ति के जीवन में भी बहुत प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष में बृहस्पति की शक्ति व्यक्ति को ज्ञान एवं आत्म साक्षात्कार के लिए विशेष होती है. ज्ञान, समर्पण और विद्वता का ग्रह होकर यह जीवन के लिए विशेष बन जाता है. यह व्यक्ति के आध्यात्मिक पक्ष को भी प्रकट करता है.
भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति का बहुत महत्व है. साथ ही, यह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अत्यधिक महत्व रखता है. इसका विवाह,संतान और धन से गहरा संबंध है. इस कारण से ये संतान और धन का कारक कहा जाता है. यदि बृहस्पति शुभ है तो यह सभी प्रकार की संपत्ति प्रदान कर सकता है. संतान, धन और बुद्धि का आशीर्वाद प्रदान करने वाला ग्रह है. लेकिन अगर अशुभ या कमजोर है तो यह जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है. इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है और व्यक्ति धन, बुद्धि या संतान से रहित हो सकता है. व्यक्ति को समाज में बदनामी भी मिल सकती है. इस कारण से बृहस्पति के अस्त होने की स्थिति को भी अनुकूल नहीं माना गया है.
बृहस्पति कैसे देता है अपना प्रभाव
बृहस्पति को भाग्य प्रदान करने वाला माना गया है. यह बुद्धि और अध्यात्मवाद के लिए महत्वपूर्ण होता है. बृहस्पति विचारधारा के निर्माण में मदद करता है. बृहस्पति का ज्ञान से संबंध तो हम सभी जानते हैं लेकिन आध्यात्मिकता के लिए बृहस्पति मार्गदर्शक होता है. यह व्यक्ति को धर्म और दर्शन की ओर प्रवृत्त करता है. यह एक व्यक्ति को परंपराओं एवं नैतिकता पर आगे बढ़ने के लिए उत्सहित करता है. कुलीन और परोपकारी ग्रह के रुप में समृद्धि और भाग्य से जुड़ा हुआ है. ज्ञान, आध्यात्मिकता और समर्पण शक्ति का प्रभाव इसी से देखने को मिलता है जब कुंडली में बृहस्पति अनुकूल नहीं होता है तब यह इन सभी चीजों के विपरित दिखाई देने लगता है.
यह एक आशावादी ग्रह है और अंधकार, अज्ञानता का विरोधी है. यह दक्षिणामूर्ति भगवान का प्रतिनिधित्व करता है. पौराणिक कथाओं में बृहस्पति गुरु का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसमें बहुत अधिक दिव्य शक्ति है. बृहस्पति का मजबूत होना जन्म कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं जो स्थिति के आधार पर अच्छी और बुरी दोनों होती हैं.
मजबूत बृहस्पति सौभाग्य और अपार धन, विलासिता, प्रसिद्धि, शक्ति और पद आदि लाता है. यह व्यक्ति को करियर और जीवन में प्रगति करने में भी मदद करता है.जबकि ज्योतिष में कमजोर बृहस्पति या अशुभ बृहस्पति आपके जीवन में कठोरता ला सकता है. सूर्य के साथ होने पर जब यह अस्त होता है तब इसके फलों की प्राप्ति में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.
अस्त बृहस्पति का प्रभाव
बृह्स्पति जब अस्त स्थिति में होता है तो कई तरह के असर दिखाता है. सबसे पहला असर इसका ज्ञान में देखने को मिलेगा. बृहस्पति का अस्त होना व्यक्ति को उसके मूलभूत गुण से दूर करने वाला होगा. बृहस्पति केज्ञान का विस्तार जिस रुप में होना होग औस से हटकर हम उसे देख पाएंगे. यहां व्यक्ति अपनी जानकारी एवं योग्यता को लेकर बहुत अधिक सजग नहीम रह पाता है. व्यक्ति को अपनी बौद्धिकता को लेकर संदेह भी रह सकता है. अपने आस पास के लोगों की ओर से अधिक सहयोग न मिल पाए. उसे अपने ज्ञान की प्राप्ति में किसी बड़े का सहयोग लेने की आवश्यकता होती है अथवा अपनी चमक को दिखाना उसके लिए आसान नहीं होता है. व्यक्ति के पास कई चीजों की योग्यता होगी लेकिन वह उन्हें जल्द से प्रदर्शित न कर पाए और उसके ज्ञान का लाभ उसे कम ही प्राप्त होगा.
विवाह में विलंब का असर भी बृहस्पति के अस्त होने की स्थिति में देखने को मिल सकता है. व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन में कुछ व्यवधान भी देख सकता है. अपने प्रेम और समर्पण का उचित समर्थन उसे कम ही मिल पाता है. गुरु का अस्त होना विवाह जैसे कार्यों की शुभता को कम ही देता है. इस के लिए दांपत्य जीवन में अलगाव या जीवन साथी का मतभेद भी यहां अधिक प्रभाव डाल सकता है. विवाह में देरी का योग भी इसके कारण देखने को मिल सकता है. इसके अलावा विवाह के प्रति मोहभंग भी अस्त बृहस्पति के प्रभाव से देखने को मिल सकता है.
अस्त बृहस्पति का असर व्यक्ति को संतान प्राप्ति में भी देरी दे सकता है. बृहस्पति संतान का कारक होता है. अत: ऎसे में बृहस्पति का अस्त होना संतान सुख की प्राप्ति में देरी या व्यवधान की स्थिति को दर्शा सकता है.
जिन लोगों का बृहस्पति प्रतिकूल होता है, वहां अक्सर व्यक्ति खुद के द्वारा किए गए कार्यों के नैतिक पहलुओं की उपेक्षा कर सकता है. स्व: का अस्तित्व अधिक मजबूत दिखाई पड़ता है. अपनी भलाई और समृद्धि को देखते हैं और ऐसा कुछ भी करते हैं जिससे उन्हें लाभ हो. सही, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण का त्याग भी कर सकते हैं. एक निराशावादी रवैया भी ज्योतिष के अस्त होने पर मिल सकता है. अवसरों का उपयोग न कर पाना भी इस के कारण देखने को मिल सकता है. नकारात्मक परिणामों के बारे में चिंतित रहते हैं और हमेशा कोई बड़ा कदम उठाने से डरना अस्त बृहस्पति के कारन हो सकता है. व्यक्ति धार्मिक कट्टरता के रूप में भी हो सकता है या फिर धर्म से विमुख भी दिखाई दे सकता है. बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति लोगों को बहुत पूर्वाग्रही बना सकती है. व्यक्ति अस्पष्ट आधारों पर दूसरों के बारे में अपनी सोच बना सकता है. अहंकारी प्रवृत्ति भी मिल सकती है. बृहस्पति के अस्त प्रभाव कई रुपों में कारक को कमजोर करके अलग तरह के असर दिखाते हैं.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            